खाना पचाने में मददगार आदतें!!

डिनर के 30 मिनट बाद टहलें व 45 मिनट बाद पानी पीएं

पौष्टिक व लजीज भोजन करने का मतलब सिर्फ पेट भरने से नहीं होता है। अच्‍दी तरह से हजम हो, कोई तकलीफ न दे यह भी जरूरी है। भोजन से मिलने वाले पोषण पर ही हमारी सेहत की बुनियाद टिकी रहती है

स्‍वास्‍थ्‍य सिर्फ पोष्टिक भोजन पर ही निर्भर नहीं करता। यह इस पर भी निर्भर करता है कि शरीर भोजन को कितना अच्‍छे से पचाता है। पाचन वह प्रक्रिया है, जिससे शरीर ग्रहण किए गए भोजन और पेय पदार्थ को ऊर्जा में बदलता है। पाचन तंत्र के ठीक काम न करने पर भोजन बिना पचा रह जाता है, जो शरीर की प्रतिरोधाक क्षमता पर असर डालता है। इसके लिए जरूरी है रात दस बजे तक सोना, 6-8 घंटे की गहरी नींद, जंकफूड, तैलीय, उच्‍च कैलोरी वाले आहार लेने से बचें।

ऐसे काम करता पाचन तंत्र

भोजन जब अंदर जाता है तो वह गैस्ट्रिक जूस में मिक्‍स होता है। पेट की दीवारों पर मांसपेशियों की तीन परतें होती है जो लंबाई, चौड़ाई और तिरछी बंधी होती है। भोजन को यह तरल की मदद से पाचन के लिए ऊपर-नीचे करती है और फिर उसे छोटी आंत में भेज देती है। इसके बाद भोजन बड़ी आंत में जाता है और पूरी तरह पच जाता है।

सूर्यास्‍त के 2 घंटे में भोजन।

सूर्यास्‍त के बाद पित्‍त का प्रकोप बढ़ता है। इसलिए शाम छह से आठ बजे के बीच भोजन करना चाहिए। देर रात भोजन करने व जागने से पाचन क्रिया बिगड़ती है। इससे एसीडिटी, कब्‍ज की दिक्‍कत होती है। जो लोग जितना तेजी से खाते हैं उन्‍हें मल त्‍याग में उतना ज्‍यादा समय लगता है।

300 से 400 कैलोरी भोजन।

रात्रि का भोजन 300-400 कैलोरी से अधिक नहीं होना चाहिए। इसमें फाइबर, प्रोटीन ज्‍यादा हों। दूध लेते है तो खाने के डेढ़ घंटे बाद एक गिलास बिना मलाई वाला दूध ले सकते हैं। खाने के 45 मिनट बाद 300-400 मि.ली. पानी पीना चाहिए।

30 मिनट बाद हल्‍की वॉक।

भोजन के 30 मिनट बाद 15 मिनट की हल्‍की वॉक कर सकते हैं। हार्ट के मरीज है तो चिकित्‍सक से परामर्श लें। बाएं करवट लेटें। वज्रासन करें। डिनर के एक घंटे बाद लो जीआई (ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स) फल खाएं। लेकिन कोई जूस आदि न पीएं।

तुरंत सोने से बढ़ता मोटापा।

रात में खाने के बाद तुरंत सोने से मोटापा बढ़ा है। रिफ्लक्‍स की समस्‍या हो सकती है जो खाना खाया है वह सोने के बाद मुह में कसैलापन आ जाता है। इससे पाचन तंत्र बिगड़ता है। लंबे समय तक ऐसा करने से अपच, संक्रमण और फिर पेप्टिक अल्‍सर जैसी तकलीफ हो सकती है।

मरीज ये चीजें लेने से बचें।

डायब्टिीज व हृदय रोगी ज्‍यादा फाइबर वाली चीजें खाएं। किसी प्रकार का मीठा, गुड़, चीनी न लें। अंडे का पीला हिस्‍सा व मटन न खाएं। किडनी के मरीज पोटैशियम और प्रोटीनयुक्‍त चीजें न खाएं। रात में पानी की मात्रा चिकित्‍सक की परामर्श के अनुसार ही लें।

खाने के बाद धूम्रपान से पाचन गड़बड़ाता है।

स्‍मोकिंग:- खाने के बाद स्‍मोकिंग से निकोटीन लिवर में ऑक्‍सीजन की मात्रा को कम करता है। इससे पाचन बिगड़ता है। नियमित रूप से ऐसा करने से फेफड़ों व आंतों का कैंसर हो सकता है।
चाय:- चाय पीने से शरीर में आयरन को अवशोषित करने की क्षमता प्रभावित होती है। चाय में मौजूद टैनिक एसिड खाने में प्रोटीन और आयरन के असर को कम करता है। इससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है।
फल खाना:- खाने से एक घंटा पहले व दो घंटे बाद ही फल खाना चाहिए। ऐसा न करने से पेट में जलन और अपच जैसी समस्‍याएं हो सकती है क्‍योंकि पेट में खाने की मौजूदगी से फल के पौषक तत्‍व, फाइबर व नेचुरल शुगर पचती नहीं है।

” भोजन करने से पहले मस्तिष्‍क खाली पेट को संदेश भेजता है ताकि वह गैस्ट्रिक जूस तैयार कर सके। पाचन वह प्रक्रिया है जिससे शरीर व पेय पदार्थ को ऊर्जा में बदलता है। पाचन तंत्र के ठीक काम न करने पर भोजन पचता नहीं है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। ”

डॉ. प्रकाश केसरवानी
सीनियर फिजिशियन, एसएमएस, चिकित्‍सालय, जयपुर
डॉ. गोविन्‍द सहाय शुक्‍ला
प्रोफेसर, डॉ. एसआर राजस्‍थान आयुर्वेद विवि. जयपुर



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