जानें ईमानदारी का वास्तविक अर्थ !!

ईमानदारी का वास्तविक अर्थ :- ” ई+ मान+ दारी “

अपने आप के साथ जो वफादार रहे, अपनी आत्मा (I) का मान जो रखता है वह गुण का नाम है ईमानदारी!

ईमानदारी को इन्सान का सर्वश्रेष्ठ गुण और गहना कहा जाता है, यह गहना ऐसा है जो आज के समय में हर मनुष्य के अंदर से गायब होता नजर आ रहा है।

ईमानदारी को लोग सिर्फ हिसाब, रुपये के लेन-देन में गलत नहीं करने तक ही लेते है, जो हिसाब में एक रुपये को इधर-उधर न करे लोग उसे ईमानदार कहेंगे। पर क्या वास्तव में ईमानदारी का अर्थ इतना ही है? नहीं, ईमानदारी का गुण अपने व्यवहार में हर जगह लागू होता है,

जैसे:-
१. जब हम विद्यार्थी है तो ईमानदारी से गुरु के बताये हुए ज्ञान को अपनाये। पढ़ते वक़्त दिमाग को खेलने में नहीं लगा के क्लास रूम में ही रखना ईमानदारी है।

२. जब हम एम्प्लोयी है तो जिस ऑफिस में बैठे है उस ऑफिस के प्रति अपने कार्य को पूरा करना ईमानदारी है।

३. जब घर पर अपने परिवार के साथ है तो हर रिश्ते के प्रति व्यवहार करते वक़्त ईमानदार बने। झूठ का साथ न दे, जो वास्तविक होना चाहिए, वही ईमानदारी से अपने व्यव्हार में उतारे। अगर पत्नी सही है तो उसे सही कहे और माँ सही है तो माँ को सही बताये।

४. अपने दोस्तों और अपने रिश्तेदारो से बातचित्त में ईमानदारी रखे। जो आपके बुरे वक़्त में सब भूल के आपके साथी बने उनके लिए आप भी समय आने पर उनके लिए खड़े रहे, यह ईमानदारी है।

कहने का भवार्थ यह है कि इन्सान को अपनी आत्मा के साथ ईमानदार बनना है। ना कि आज के दौर में जिसके साथ काम निकलना है तो झूठ बोल के भी साथ देना, या किसी के अन्याय में उसके भागीदार बनना। अगर हमारा बॉस भी है और हमसे कभी गलत करने को कहे तो उसका साथ नहीं देना ईमानदारी है, क्यू कि गौर से सोचे तो बॉस कि आत्मा भी जानती है कि वह गलत कर रहा है, पर वह किसी लालच में बेईमान हुआ है। हमे अपनी ईमानदारी नहीं छोड़नी, यह खुद के साथ ईमानदारी होगी।

आज के दौर में ईमानदारी का गुण इसलिए ही तो विलुप्त हो रहा है कि सब एक दूसरे को देख कर, या अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए, या दुसरो की तरह रुपये कमाने के लिए अपने ईमान को ताक में रख के आगे दौड़ रहा है, इस लिए आत्मिक रूप से वह अशांत हो रहा है और खाली भी हो रहा है|

एक सवाल हर इन्सान से :-
भगवान ने इन्सान को बनाते हुए जो गुण उसमे डाले है, अगर वही गुण हम एक- एक कर छोड़ते जायेंगे तो क्या हम वाकई इन्सान रहेंगे?

एक बार सोचियेगा जरूर….

Writer Shweta Jhanwar Bhilwara

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English Summery: Meaning of Honesty in Hindi by Shweta Jhanwar, Imandari Ka Arth,



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