निम्‍न दवाएं आपके नेत्र रोगों के इलाज में सहायक होगी।

आँख दुखना

फैरमफास – मामूली आंख में दुखने में यह दवा देने से रोग शुरु में ही ठीक हो जाता है। 6 एक्‍स की 4-5 टिकियां गर्म पानी से दिन में 2-3 बार दें।

बेलाडोना – आंखों में दर्द, आंखों का लाल होना और रोशनी व धूप की गर्मी बरदाश्‍त न होना।

एकोनाइट – सर्दी के कारण आंख दुखना।

मर्ककोर – आंखें चिपक जाना तथा आंख से बहुत पीप निकलना।

एपिसमेल – सुई गड़ने की तरह आंखों में दर्द, पलकें फूली हुई, जलन, खुजली, पीप।

युफ्रेसिया – नाक-आंख से बहुत पानी गिरना, दर्द अधिक, आंखें लाल होना, रोशनी बरदाश्‍त न होना।

इन दवाओं के अतिरिक्‍त लक्षणानुसार, पल्‍साटीला, सल्‍फर आदि भी काम में आती है। थोड़ी बोरिक एसिड गर्म पानी में डालकर रुई से सेंकना और युफ्रेसिया Q गुलाब-जल में 1 व 10 के अनुपात में मिलाकर आंख में डालना लाभकारी है। पीली मिट्टी को भिगोकर कनपटी पर लगाना या रात को सोते वक्त आंख पर लगाकर पट्टी बांध कर सो जाना भी लाभकारी है। त्रिफला मिट्टी के बरतन में रात को भिगो दें, सुबह छानकर आंखें धोएं, उसी में फिर पानी भर दें, इस तरह रोज आंखें धोएं।

रतौंधी और दिनौंधी

फाइजोइस्टिग्‍मा – सूर्यास्‍त से सूर्योदय तक बिल्‍कुल न देख सकतना। यह इस रोग की खास दवा है। वैसे नक्‍सवोमिका और फास्‍फोरिक एसिड भी इस रोग में आते हैं। यह रोग विटामिन ए और बी की कमी के कारण होता है। इसीलिए हरी सब्जियां, मक्‍खन आदि खाने से अधिक लाभ होता है। रतौंधी के विपरीत बहुत से लोगों को दिन की तेज रोशनी में दिखाई नहीं देता। बौथरोपस इस रोग की प्रधान दवा है।

आंशिक आंधपन

औरममेट – किसी चीज़ का केवल ऊपरी भाग ही दिखाई दे, नीचे का भाग न दिखाई दे।

लिथियम कार्ब या लाइकोपोडियम – किसी चीज़ का केवल दाहिने भाग या आधा दिखाई न दे।

लाइको – केवल वायां आधा दिखाई दे।

नीचे या ऊपर आ आधा भाग दिखाई न देने में कैलकेरिया कार्ब, नैट्रम म्‍योर, सीपिया आदि भी काम में आती है।

अंजनहारी, बिलनी या गुहेरी रोग

आंख की पलकों के ऊपर या नीचे फुंसी होने को अंजनहारी या गोहरी कहते हैं।

पल्‍साटीला, हिपर सल्‍फर, स्‍टेफिसेप्रिया, मरकूरियस, सल्‍फर कास्टिकम, एलुमिना ऊपर की पलकों पर फायदा करती है।

एस्‍टीरियस, फास्‍फोरस और रसटाक्‍स – नीचे की पलक पर फुन्‍सी होने पर काम में आती है।

लाइको या स्‍टैनम – कान में फुंसी होने पर दी जाती है।

हीपर – पीप बहने पर दिया जाता है।

मर्कसोल – बार-बार अंजनहारी निकलने पर दिया जाता है। इससे बार-बार अंजनहारी का निकलना बंद हो जाता है।

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