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सूरदास जी, गोस्वामी तुलसीदास जी, रहीम दास जी, कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित हिंदी में | Read Surdas Ji, Tulsidas ji, Rahim Das ji, Kabir Das Ji Famous Dohe ( Couplets ) Arth Sahit in Hindi
सूरदास जी का दोहा क्रमांक : 11) कबहुं बोलत तात खीझत जात माखन खात। अरुन लोचन भौंह टेढ़ी बार बार जंभात॥ कबहुं रुनझुन चलत घुटुरुनि धूरि धूसर गात। कबहुं झुकि कै अलक खैंच नैन जल भरि जात॥ कबहुं तोतर बोल बोलत कबहुं बोलत तात। सूर हरि की निरखि सोभा निमिष तजत न मात॥ अर्थ: यह…
सूरदास जी का दोहा क्रमांक : 6) मिटि गई अंतरबाधा खेलौ जाइ स्याम संग राधा। यह सुनि कुंवरि हरष मन कीन्हों मिटि गई अंतरबाधा॥ जननी निरखि चकित रहि ठाढ़ी दंपति रूप अगाधा॥ देखति भाव दुहुंनि को सोई जो चित करि अवराधा॥ संग खेलत दोउ झगरन लागे सोभा बढ़ी अगाधा॥ मनहुं तडि़त घन इंदु तरनि ह्वै…
सूरदास जी का दोहा क्रमांक : 1) चोरि माखन खात… चोरि माखन खात चली ब्रज घर घरनि यह बात। नंद सुत संग सखा लीन्हें चोरि माखन खात॥ कोउ कहति मेरे भवन भीतर अबहिं पैठे धाइ। कोउ कहति मोहिं देखि द्वारें उतहिं गए पराइ॥ कोउ कहति किहि भांति हरि कों देखौं अपने धाम। हेरि माखन देउं…
गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीरामचरितमानस के रचयिता थे और हिंदी साहित्य के महान कवि थे। तुलसीदास जी के दोहे में ज्ञान का सागर है। आप यहां इन दोहों को अर्थ सहित पढ़ सकते हैं, व इनसे मिलने वाली शिक्षा को अपने जीवन में जरूर उतारें। Tulsidas Ji…
31) रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि । उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि ।। अर्थ: जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है। 32)…
21) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय ।। अर्थ: जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता। 22) आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि…
11) रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय । सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय ।। अर्थ: रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं…
1) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।। अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे…
71) मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार। जब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।। अर्थ: दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के लिये परमात्मा की भक्ति करने लगते हैं, पर जब वह नहीं मिलता तब वह मूर्खों की तरह इस संसार में ही दोष निकालने लगते हैं। 72) माटी कहे कुम्हार से, तु…
51) हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार । मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार ॥ अर्थ: जिस व्यक्ति ने परमात्मा के अमृत को चख लिया हो, वह सारा समय उसी नशे में मस्त रहता है। उसे न अपने शरीर कि, न ही रूप और भेष कि चिंता रहती है। 52) जबही नाम…