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वीमन हैल्थ: अबॉर्शन शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से महिला पर गहरा असर डालता है।
इसे हल्के में न लें!
गर्भपात (अबॉर्शन), प्रेग्नेंसी पूर्ण होने से पूर्व गर्भ के समापन की अवस्था है, जिसमें गर्भाशय से भ्रूण स्वत: निष्कासित हो जाता है या चिकित्सीय रूप से कर दिया जाता है। इसके फलस्वरूप गर्भावस्था की समाप्ति हो जाती है। यह स्थिति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से महिला पर गहरा असर डाल सकती है। गर्भपात विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे शरीरिक समस्याएं, भ्रूण में असामान्यताएं आदि। गर्भपात के बाद सामान्य माहवारी अवधि 4-8 सप्ताह में वापस आ जाती है। शुरूआत में अनियमित स्पोटिंग या रक्तस्त्राव हो सकता है।
1. शारीरिक देखभाल:-
• आराम करना:- गर्भपात के बाद शरीर को पूरी तरह से आराम की जरूरत होती है। शारीरिक रूप से थकान महसूस हो सकती है। पहले कुछ दिन आराम करना जरूरी है।
• दर्द और ऐंठन :- गर्भपात के बाद हल्का दर्द या ऐंठन हो सकती है, जो सामान्य है। डॉक्टर की ओर से दी गई दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करें। गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड भी मदद कर सकता है।
• रक्तस्त्राव पर निगरानी:- गर्भपात के बाद हल्का रक्तस्त्राव सामान्य है, पर यदि रक्तस्त्राव ज्यादा हो, जैसे बड़े थक्के या रक्तस्त्राव, जो एक हफ्ते से अधिक हो तो इलाज लें।
• स्वच्छता:- संक्रमण से बचने के लिए सही स्वच्छता बनाए रखना बेहद महत्त्वपूर्ण है। बाथ टब के बजाय शॉवर का उपयोग करें और सैनिटरी पैड का उपयोग करें।
• भारी शारीरिक गतिविधि से बचना:- गर्भपात के बाद कुछ हफ्तों तक भारी शारीरिक गतिविधियों से बचें। भारी काम या शारीरिक मेहनत (जैसे वजन उठाना) न करें।
2. मानसिक और भावनात्मक देखभाल
• भावनात्मक समर्थन:- गर्भपात के बाद महिला को मानसिक और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। परिवार और दोस्तों से सहयोग प्राप्त करना और अपनी भावनाओं को साझा करना मददगार हो सकता है अगर गंभीर मानसिक तनाव हो तो काउंसलिंग की जरूरत पड़ सकती है।
• समय के साथ मानसिक स्थिति में सुधार :- गर्भपात के बाद मानसिक स्थिति में बदलाव आ सकता है, जैसे कि अवसाद चिंता या तनाव। यह सामान्य हो सकता है, लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो उपचार लेना चाहिए।
• समय और धैर्य:- इस समय में मानसिक स्थिति में सुधार आने में समय लग सकता है। महिला को धैर्य रखने की आवश्यकता है, और खुद को समय देने की आवश्यकता है।
• संक्रमण के लक्षण पर ध्यान देना:- अगर बुखार, अत्यधिक दर्द, बदबूदार डिस्चार्ज या अबॉर्शन के बाद हार्मोनल असंतुलन हो तो उपचार लें।
भविष्य में गर्भावस्था के लिए तैयारी:-
इस दौरान खुद से या बिना विषय विशेषज्ञ की सलाह के कोई ऐसे उपचार न लें, तो शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालें। यदि महिला भविष्य में गर्भधारण की प्लानिंग कर रही है तो स्वस्थ जीवनशैली को अपनाए। सही आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक स्थिति को बेहतर रखना मदद करेगा। अपनी देखभाल करें जैसे पर्याप्त नींद लेना, तनाव से दूर रहना और शारीरिक गतिविधियों में संतुलन बनाए रखना। अबॉर्शन के बाद अगली प्रेग्नेंसी के बारे में डॉक्टर से सलाह लेकर सही समय का अनुमान लगाएं।
डॉं. ऋतु हरिप्रिया
स्त्री रोग विशेषज्ञ
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