सिर दर्द बहुत से रोगों में होता है और उन्‍ही रोगों की चिकित्‍सा करने पर ठीक भी हो जाता है। जब कोई रोग मालूम न पड़े और केवल सिर-दर्द ही हो, तो भी सावधानी से देखने पर पता चलेगा कि कोई न कोई रोग जरूर छिपा हुआ है। उसी रोग की चिकित्‍सा करनी चाहिए। इसके अतिरिक्‍त कभी गर्मी, कभी सर्दी, थकान, नींद न आना आदि कारणों से भी सिर दर्द हो जाता है। सिर दर्द के लिए निम्‍नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करना चाहिए।

बेलाडोना – आंखें लाल हो, रोशनी बुरी लगे, तेज़ दर्द यकायक शुरू हो और यकायक बंद भी हो जाए। दाई तरफ दर्द अधिक, लेटने से दर्द बढ़े।

एकोनाइट – पूरे सिर में या आधे सिर में तेज़ दर्द, धूप व ठण्‍डी हवा से पैदा हुआ दर्द।

ब्रायोनिया – हिलने-डुलने से सिर का दर्द बढ़ना, आधे सिर में खास कर दाई तरफ, पित्त की अधिकता के कारण, पित्त की कै के साथ सिर-दर्द, सिर में चक्‍कर आना, सिर फट जाने का भाव, ऐसा मालूम हो कि हर चीज़ बाहर निकल आएंगी। इस दवा के सिर दर्द का एक खास लक्षण जो केवल इसी दवा में है, वह यह है कि दर्द सामने की तरफ माथे में शुरू होता है। सुई-सी चुभती है, झटके से लगते हैं, दर्द माथे से पीछे की तरफ को जाता है, गुदृी से होता हुआ कंधे और पीठ तक फैल जाता है।

स्‍पाइजेलिया – इसका दर्द आम तौर से आधे सिर में बाई तरफ होता है। सुबह सूर्योदय के साथ शुरू होकर दोपहर तक बढ़ता है। सूर्यास्‍त के साथ खत्‍म भी हो जाता है। दर्द सिर के पीछे की तरफ से आगे बाई आंख तक आ जाता है।

साइलीशिया – गर्दन से इसका दर्द शुरू होता है और गुद्दी में होता हुआ माथे तक आ जाता है, प्राय: दाहिनी तरफ ज्‍यादा होता है, अमावस्‍या के दिन व सिर खुला रखने से बढ़ जाता है। गर्म कपड़े से कसकर बांधने या दबाने से आराम मिलता है।

सैंगूइनेरिया – दाहिनी तरफ आधे सिर का दर्द। सोने से आराम मिलता है और सूरज के साथ दर्द बढ़ता-घटता है।

ग्‍लोनाइन – धूप व लू लगने से सिर-दर्द, सूरज के साथ दर्द का घटना-बढ़ना, आधे सिर का दर्द, गर्मी बरदाश्‍त न होना।

पल्साटीला – पेट की गड़बड़ी तथा घी से बनी चीज़ें खाने से सिर में दर्द।

नक्‍सवोमिका – कब्‍ज़ के कारण दर्द, सिर में चक्‍कर आना, सिर झुकाने से दर्द बढ़ना।

नैट्रम म्‍योर – सूरज के साथ घटने-बढ़ने वाला सिर का दर्द खास तौर से दाहिनी तरफ।

फास्‍फोरिक एसिड – धातु की दुर्बलता से या अधिक मैथुन के कारण दर्द।

चायना – वीर्य-नाश या शरीर से अति खून निकल जाने पर या अन्‍य प्रकार की कमजोरी के कारण सिर-दर्द।

लैककैनानम – कभी-कभी ऐसा होता है कि रोगी के बाई या दाई तरफ दर्द होता है। वह ठीक होने पर दूसरी तरफ दर्द हो जाता है। आंख में, कनपटी में या आधे सिर में जब दर्द एक दफा एक तरफ और दूसरी दफा दूसरी तरफ हो और यह सिलसिला बाई-दाई तरफ का जारी रहे तो इस दवा की 200 एक मात्रा ही से वह दर्द जाता रहता है। कभी-कभी दो या तीन मात्रा देनी पड़ती है।

इन दवाओं के अतिरिक्‍त अन्‍य भी बहुत-सी दवाएं लक्षणनुसार सिर-दर्द में काम आती है – जैसे आरनिका, मैलिलोटस, जेल्‍सीमियम, मैगनेशिया फास आदि-‍आदि।

आधे सिर के दर्द में उपर्युक्‍त दवाओं के अतिरिक्‍त प्रूनस स्‍पाइनोजा, प्‍लेटिना, पल्‍साटीला, साइलीशिया दाहिनी तरफ के दर्द में और थूजा, लैकेसिस, साइकेलेमन आदि बाई तरफ के दर्द में उपयोगी सिद्ध हुई है।

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