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31 to 41 Rahim Das Ji Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

रहीम दास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 31 से 41 तक।

31) रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि । उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि ।। अर्थ: जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है। 32)…

21 to 30 Rahim Das Ji Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

रहीम दास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 21 से 30 तक।

21) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय ।। अर्थ: जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता। 22) आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि…

11 to 20 Rahim Das Ji Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

रहीम दास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 11 से 20 तक।

11) रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय । सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय ।। अर्थ: रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं…

1 to 10 Rahim Das Ji Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

रहीम दास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 1 से 10 तक।

1) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।। अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे…

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