
वसुधैव कुटुम्बकम – रश्मि किरण
वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ है जहां एक और पूरी वसुधा अर्थात हमारी पृथ्वी को एक परिवार के रूप में बांध देता है वही यह भावनात्मक रूप से मनुष्य को अपने विचारों और कार्यों के प्रभाव को विस्तृत करने की बात कहता है। वसुदेव कुटुंबकम् हमारे हिंदू धर्म जिसे सनातन धर्म भी कहते हैं का मूल मंत्र है। हमारे धर्म में हीं नहीं यह हमारे भारतवर्ष के संस्कार का द्योतक है। विश्व के स्तर पर हम भारतीयों की विचारधारा का यह मूल है। वसुदेव कुटुंबकम् महा उपनिषद व कई अन्य ग्रंथों में लिखा हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ है धरती ही परिवार है। संसद भवन के प्रवेश कक्ष में भी यह लिखा हुआ है। महोपनिषद् अध्याय ४ श्लोक ७१ में यह इस प्रकार उद्धरित है:- "अयं बंधुरयं नेति गणना लघुचेतसाम् उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्" अर्थात- यह मेरा बंधु है वह मेरा बंधु नहीं है ऐसा विचार या भेदभाव छोटी चेतना वाले व्यक्ति करते हैं। उदार चरित्र क