Aankh Aana Netra Abhishyanda in Ayurveda Treatment in Hindi
Aankh Aana Netra Abhishyanda in Ayurveda Treatment in Hindi

रोग परिचय:- इस रोग में आँखें दुखने पर कड़क, जलन, पीड़ा, तथा जल स्‍त्राव होता है, नेत्र लाल तथा शोथयुक्‍त हो जाते हैं, नेत्र खोलने में कष्‍ट होता है। शीत, चोट, धूल का कण अथवा 1 आँखं आने पर उसके व्‍यवहार में आई हुई वस्‍तुओं का उपयोग, धूप, ओस तथा विटामिन ए का शरीर में अभाव इत्‍यादि कारणों से यह रोग उत्पन्न होता है।

आँख आना (Conjunctivitis) आयुर्वेदिक उपचार:-

• दो ढाई तोले करेले के रस में 4-6 रत्ती फिटकरी का चूर्ण मिलाकर स्‍वच्‍छ कपड़े से छानकर शीशी में रख लें। दिन में 3-4 बार इस लोशन को ड्रापर से नेत्रों में डालने से जलन, कड़क, लाली आदि विकार नष्‍ट हो जाते हैं।

• नौसादर और भुनी फिटकरी 4-4 माशा लें। दोनों को 2 तोला करेला के रस में खरल कर शुष्‍क करके शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे सलाई द्वारा नेत्रों में लगाने से 3-4 दिनों में रतौंधी का रोग दूर हो जाता है।

• ककरौंदा स्‍वरस की 2-2 बूँदें सुबह-शाम आँख में डालने से अभिष्‍यनन्‍द में लाभ होता है।

• गुलाब जल 2-2 बूँद सुबह-शाम आँख में डालने से नेत्राभिष्‍यन्द-जन्‍य उपद्रव शांत होते हैं तथा लालिमा भी खत्‍म हो जाती है।

• पान के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर आँख में डालने से अभिष्‍यन्‍द जन्‍य विकार शांत हो जाते हैं। पान पर घृत (घी) चुपड़कर नेत्रों पर बांधने से अभिष्‍यन्‍द में लाभ होता है।

• 10 ग्राम हल्‍दी को 160 ग्राम जल में उबालकर स्‍वच्‍छ दोहरे कपड़े या फिल्‍टर पेपर से छानकर दिन में 2-2 बूँद आँखों में डालते रहने से या उसमें गौज भिगोकर नेत्र पर रखने से आँखों को ठण्‍डक मिलती है, वेदना शांत होती है तथा नेत्राभिष्‍यन्‍द में लाभ होता है।

• बादाम की 6 गिरियों को पानी में पीसकर उसमें घृत या मिश्री 20-20 ग्राम मिलाकर प्रात: सायं सेवन करने से आँखे नहीं आती हैं तथा आई हुई आँखें ठीक हो जाती है।

• अनार के हरे पत्तों को कुचलकर निकाला हुआ रस खरल में डालकर खुश्‍क करें। जब खुश्‍क हो जाये तब कपड़े से छानकर सुरक्षित रख लें। उसे प्रात: सायं सलाई द्वारा सुरमे की भॉंति लगाने से नेत्राभिष्‍यन्‍द में लाभ होता है या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर दिन में 2 बार लेप करने से तथा पत्तों को पानी में भिगो पोटली की भॉंति आँखों पर फेरने से दुखती आँखों में लाभ होता है।

• सरसों का तैल दोनों कानों में डालने से दुखती आँखों में आराम होता है।

• सफेद प्‍याज का अर्क 250 ग्राम, देशी शहद 125 ग्राम, लाहौरी नमक 20 ग्राम। तीनों को मिला, कपड़े से छानकर शीशी में रखें। इसे 2-2 बूँदें आँखों में डालने से दुखती आँखों में तत्‍काल लाभ होता है।

• फिटकरी तथा कल्‍मी शोरा 6-6 ग्राम लेकर पीस लें। तदुपरान्‍त वर्षा के पानी अथवा गुलाबजल की 1 बोतल में डाल दें। बाद में निथार छान कर सुरक्षित रख लें। इसे 2-2 बूँद नेत्रों में डालने से नेत्राभिष्‍यन्‍द में लाभ होता है।

• सहजना के पत्तों के रस में समभाग शहद मिलाकर 1 बूँद डालने से ही नेत्राभिष्‍यन्‍द में लाभ होता है। आईफ्लू में भी विशेष लाभप्रद योग है।

• नीम के कोमल पत्तों का रस निकाल कर जिस ओर की आँख दुखती हो उस ओर के कान में और यदि दोनों आँखें दुख रही हों तो दोनों ओर के कानों में डालने से लाभ होता है।

• बबूल के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकाल लें। आँखों में टपकाने से या स्‍त्री के दूध के साथ आँख पर बॉंधने से आँख की पीड़ा तथा सूजन मिटती है।

• नागकेशर का चूर्ण 60 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 6 ग्राम दोनों को खूब बारीक पीसकर इसमें 60 ग्राम मिश्री मिलाकर सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में 20 ग्राम गाय के घी के साथ दिन में 1 बार चटाने से नेत्राभिष्‍यन्द, आँखों की लाली, खुजली, अश्रुस्‍त्राव इत्‍यादि को नष्‍ट करने हेतु यह साधारण योग अत्‍यधिक चमत्‍कारी है।

• नीला थोथा 2 रत्ती, पिपरमेन्‍ट आधा रत्ती, भीमसैनी कपूर आधी रत्ती, एक्रीफ्लेबिन 2 रत्ती (एलोपैथी की पीला टिंचर बनाने वाली दवा) बोरिक एसिड पाउडर (ऐलोपौथी का) 2 रत्ती, गिलेसरीन 1 तोला अर्क गुलाब या अर्क सौंफ 10 तोला में क्रम से 1 के बाद दूसरी औषधि को पक्के खरल में भली प्राकर घोटकर 2 परत वाले मलमल के कपड़े से छानकर मजबूत कार्क युक्‍त साफ शीशी में सुरक्षित रख लें। दुखती आँखों तथा अन्‍य नेत्र पीड़ाओं में अत्‍यन्‍त ही लाभकारी प्रयोग है। चिकित्‍सको के लिए व्‍यवहारीय योग है।

• गोरखमुन्‍डी के फूल (बिना पानी के सेवन किये) जितने भी निगल सकते हों, उतने निगल जायें। इस प्रयोग में जितने फूल निगलेंगे उतने ही वर्षों तक ऑंखें नहीं दुखेंगी।

• नीम की पत्तियों का रस 1-1 बूँद आँखों में टपकाने से नीम का तीखापन पलों में ऑंख में ठण्‍डक भर देगा। छोटे बच्‍चों की दुखती आँखों में न डालकर 2-2 बूँदें कानों में डाल दें। यदि एक ही ऑंख दुखती हो तो एक ही कान में डालें किन्‍तु विपरीत (उल्‍टे) कान में। यदि दोनों ऑंखें दुख रही हों तो दोनों कानों में डालें।

• छोटी मक्खियों का शुद्ध मधु नेत्रों में आंजने से नेत्रों के सभी प्रकार के नेत्र दोष मिट जाते हैं।

• रीठा के छिलके के चूर्ण को पानी में घोलकर इसका निथरा हुआ पानी 4 बूँद आँखों में टपकाने से अभिष्‍यन्‍द (आँख आना) निश्‍चयपूर्वक ठीक हो जाता है। इसे 24 घंटे में सिर्फ 1 ही बार प्रयोग करें।

• 2 रत्ती फिटकरी 5 तोला आकाशजल अथवा परिश्रुत (उबालकर, छानकर ठण्‍डा किया हुआ जल) में घोलकर 2-2 बूँद आँखों में डालने से आँख आना रोग ठीक हो जाता है।

• फिटकरी को 1 रत्ती गुलाब जल में मिलाकर 2-4 बूँद नेत्रों में डालने से ऑंखों की लाली तथा पीड़ा कम हो जाती है।

• लाल फूल के गुलाब के अर्क 5 तोला में 4 रत्ती फिटकरी को घोल कर एक साफ शीशी में सुरक्षित रख लें। इसके 2-3 बूँद नेत्रों में डालने से आँख का दुखना, पकना, शोथ व लालिमा आदि दूर हो जाती है।

• 1-2 चम्‍मच शहद दिन में 1-2 बार खाते रहने से 1-2 सप्‍ताह में ही आँखें बार-बार झपकने का रोग ठीक हो जाता है।

• काली मिर्च 6 माशा, शुद्ध मैनसिल 3 माशा डालकर काजल के समान घोटकर आँख में लगाने से ”ढलका” रोग ठीक हो जाता है।

• नमक का सूक्ष्‍म से भी सूक्ष्‍म चूर्ण बनाकर रात्रि में सलाई से नेत्र में लगाने से खुजली, दिनान्‍धता, रतौधी, जलन व लाली आदि विकार नष्‍ट हो जाते हैं।

• नित्‍य 2 बूँद नीबू रस ऑंखों में डालने से रतौंधी में लाभ होता है।

• अन्‍ध्‍ता तथा धुन्‍ध आदि विकारों में प्‍याज का रस मधु मिलाकर नेत्रों में लगाने से पर्याप्‍त लाभ होता है।

• ऑंखों में लालिमा होने पर ऑंख के ऊपर हल्‍दी का लेप करना चाहिए।

• देशी अजवायन, दालचीनी, काली मिर्च (तीनों सममात्रा में) लेकर खूब बारीक खरल करके सुरमा बना लें। तदुपरात कपड़छन करके शीशी में सुरक्षित रख लें। दिन में 3 बार इसे सलाई से ऑंखों में लगाने से रतौंधी रोग शर्तिया नष्‍ट हो जाता है। (यह योग रतौन्‍धी का महाकाल है।)

• पिसी हुई काली मिर्च ताजा मक्‍खन में मिलाकर कुछ दिनों निरन्‍तर चाटते रहने से पलकों की सूजन नष्‍ट हो जाती है तथा नेत्रों की ज्‍योति बढ़ जाती है। योग को स्‍वादिष्‍ट करने हेतु इसमें देशी खॉंड़ मिला सकते हैं।

• यदि ऑंखें गरमी से दुख रही हों (गर्मी के मौसम में शुष्‍कावस्‍था, ऑंखें दुखना, आँखों से पानी नहीं निकलना तथा ऑंखों में गर्मी सी अनुभव होना अर्थात् जलती हुई सी मालूम होना आदि) हो तो हरा धनियों 10 ग्राम, कपूर 1 ग्राम बारीक पीसकर मलमल के साफ कपड़े में पोटली बांधकर आँखों पर ऐसे फिरायें कि कुछ बूँदें आँखों के अंदर भी जली जायें, तुरन्‍त लाभ मिलेगा।

• प्‍याज के रस में रुई की बत्ती भिगोकर सुखालें। इसे तिल के तेल में जलाकर काजल बनाकर लगाने से जाला (आँखों की पुतली पर उत्‍पन्‍न सफेदी) नष्‍ट हो जाता है।

• मगज बादाम की सात गिरी, सौंफ 6 ग्राम तथा इतनी ही मिश्री। सौंफ औश्र मिश्री का चूर्ण बलालें। मगज बादाम को छीलकर और अर्ध-कूटकर उसमें मिला लें। इसे 15 ग्राम की मात्रा में (निरन्‍तर 40 दिनों तक) रात्रि को सोते समय गरम दूध के साथ सेवन करने से दृष्टि (नजर) इतनी अधिक तीव्र हो जाती है कि चश्‍मा (ऐनक) लगाने की जरूरत ही नहीं रहती है तथा दिमागी कमजोरी भी दूर हो जाती है।

• खाने वाला नमक 1 ग्राम, असली गुलाबजल 50 ग्राम लें। नमक को बारीक पीसकर गुलाब जल में घोल लें, तदुपरान्‍त किसी स्‍वच्‍छ शीशी में मजबूत कार्क (डॉट) लगाकर रख लें। इसे नित्‍य आँखों में 2-2 बूँद डालने से (दिन में 2 बार) लेत्रों की लाली, धुन्‍ध, जाला, नेत्रस्‍त्राव, आँखें आना तथा साधारण किस्‍म का फूला कुछ ही दिनों में दूर हो जाता है।

• नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर रुई की बत्तियों पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप चढ़ायें तथा बत्तियों को छाया में रखकर सुखा लें। फिर सरसों के तेल में थोड़ा सा कपूर मिलाकर और उक्‍त बत्ती को दीपक में जलाकर काजल बना लें। इस प्रकार जो काजल बनेगा वह ममीरे का भी बाप होगा। इस काजल के सेवन से दुखती ऑंखों में लगाने से तुरन्‍त शांति मिलती है। चश्‍मा लगाने वाले बंधु इसे कम से कम निरन्‍तर 15 दिन इस्‍तेमाल करें और प्रयोग काल में चश्‍मा लगायें। सुबह-शाम 1-1 मील शुद्ध वायु में भ्रमण करें, खान-पान एवं शरीर शुद्धि की ओर विशेष ध्‍यान दें, यदि इतना कर सके तो इस मामूली योग से उन्‍हें इतना लाभ प्राप्‍त हो जायेगा जो लाखों रुपया खर्च होने पर बड़े से बड़ा, आई स्‍पेशलिस्‍ट (ऑंखों का विशेषज्ञ चिकित्‍सक) भी नही दे सकता है। इसके प्रयोग से नेत्रों की लाली, नक्‍ताध्‍य, दिवान्‍ध, फूली, जाला तथा कम दिखायी देना इत्‍यादि समस्‍त नेत्र रोग नष्‍ट हो जाते हैं।

• जब आई फ्लू चल रहा हो तो और ऑंखे रोगग्रस्‍त हो गई हों तो कपूर को ऑंखों में काजल लगाने की भांति फिराने से लाभ हो जाता है और यदि यही क्रिया स्‍वस्‍थ ऑंखों में दिन में 3-4 बार कर ली जाये तो ऑंखें आई फ्लू के चपेट में आने से बच जाती है।

अभिष्‍यन्‍द (Conjunctivitis) नाशक प्रमुख पेटेन्‍ट आयुर्वेदीय दवाई:-

नेत्र बिन्‍दु ड्राप्‍स (धन्‍वन्‍तरि) 1-2 बूँद 3 बार डालें। दुखती ऑंखों में लाभकारी है।
आई (आँख) ड्राप्‍स (वैद्यनाथ) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
नेत्ररक्षक ड्राप्‍स (वैद्यनाथ) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
नेत्रबिन्‍दु (देशरक्षक) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
भीमसैनी नेत्र बिन्‍दु (गुरूकुल कांगडी) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
नेत्रबिन्‍दु (गुरूकुल कांगड़ी) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
आईनोला (डाबर) 2-4 बूँद सुबह-शाम डालें।
नेत्रामृत बिन्‍दु (ज्‍वाला आयुवेदीक) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
झन्‍डू नेत्रबिन्‍दु (झन्‍डू) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
नेत्रसुधार (त्रिमूर्ति फार्मेसी) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
नयनसुधा (देवेन्‍द्र आयु.) मात्रा व लाभ उपर्युक्‍त।
गुरूकुल काजल (गुरूकुल कॉंगड़ी फार्मेसी, हरिद्वार) प्रतिदिन प्रयोगार्थ आँखों का चिपकना, खुजली, लाली, जलन दूर करता है।
भीमसैनी सुरमा सफेद व काला (गुरूकुल कांगड़ी) आँखों से पानी, निर्बलता एवं आँखों की अन्‍य बीमारियों में लाभप्रद।
सुरमा व काजल (मिहीलाल फार्मेसी चौक बाजार, पीलीभील, उ.प्र.(दैनिक प्रयोगार्थ। आँख के समस्‍त रोगों व नेत्रों को ज्‍योति बढ़ाने में लाभप्रद।

स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्‍तक से

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