वर्तमान समय में इन्सान मन से सबसे ज्यादा अशांत है, वह हर समय किसी न किसी समस्या से गिरा रहता है मुख्य कारण है-गहरी सोच का अभाव। ज्यादातर घरो में लड़ाई झगड़ा, आपसी मतभेद एक आम समस्या है कारण छिछली सोच। हर सदस्य परिवार का सिर्फ ऊपरी तौर पर हल ढ़ूढ़ता है, कभी भी गहराई से चिंतन करके समाधान नहीं खोजता परिणामतः हर छोटी समस्या पर गुस्सा हो जाना आम बात हो गई और हर छोटी ख़ुशी में सेलिब्रेशन। घर का कोई मुखिया नहीं, सब परिवारजन अपने अपने मन की करने लगे।
पुराने समय में परिवार के मुखिया गहरे पेठे (तल) वाले होते थे, वह हर सदस्य की समस्या सुनकर गहराई से विचार करके समाधान खोजते ताकि समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाये। वह कभी भी छोटी -२ समस्या में घबराहट नहीं दिखाते थे, बल्कि बिना CONFUSE हुए हर परिस्थिति में शांत रहते थे।
किसी ने बहुत सूंदर कहा है :-
” कह रहा है शोरे – दरिया से समंदर का सुकूत
जिसका जितना जर्फ़ है उतना ही वह खामोश है।”अर्थात जिसकी जिंतनी गहराई, उतना ही वह खामोश है।
साधारण आदमी तो ऐसे जीता है, जैसे कभी कोई छिछला झरना। कितना शोरगुल! गहराई कुछ भी नहीं, शोरगुल बहुत। कभी क्या हमने ख्याल किया है की जितनी गहराई बढ़ती जाती है, उतना शोरगुल काम हो जाता है। अगर नदी बहुत गहरी हो तो शोरगुल होता ही नहीं, अगर नदी बहुत बहुत गहरी हो तो पता ही नहीं चलता की चलती भी है! चाल भी इतनी गहरी और शांत हो जाती है।
अगर अभी का इंसान थोड़ा गहरी सोच वाला हो जाये तो उसका अशांत मन हमेशा शांत रहेगा और आस पास का वातावरण भी शोरगुल रहित हो जायेगा। हर हाल में मुस्कराहट इंसान के चेहरे पर बानी रहेगी।
” हॅसते मुस्कुराते चेहरे परिवार की समृद्धि का सूचक “