बीरबल गाय रॉंधत
ऐसा देखा जाता है कि बादशा हो हँसी मजाक से बड़ा प्रेम था, इसी कारण बात-बात में उससे और बीरबल से हंसी हो जाया करती थी। हँसी-हँसी में अक्सर बादशाह क्रुद्ध भी हो जाता, परंतु बीरबल कभी क्रोधित नहीं होता था। इस बात को मनमें विचार कर बादशाह ने बीरबल को क्रोधित करने की एक नई युक्ति निकाली। वह बोला- बीरबल गाय राधत, तब उत्तर में बीरबल ने कहा- बादशाह शूकर रॉंधत।
बीरबल तो बादशाह के मुख से उपरोक्त पहेली के निकतले ही उसका अर्थ समझ कर क्रोधित न हुआ, परंतु बादशाह क्रोधित हो गया और बीरबल से बोला- तुम मुझे मजाक के बहाने शूकर खिलाते हो। तब बीरबल बोला- आप भी तो तुझको गाय खिलाते हैं।
बादशाह अपने काफिये का अर्थ बदल कर बोला- मैं तो तुम्हें राधते वक्त गाने को कहा था। बीरबल ने उत्तर दिया- गरीबपरवर! भला मैं शूकर राधने को कब कहा था। मैं तो कह रहा था कि बादशाह शूकर रखाय। याने आप (शुक) तोते की रखवाली करते हैं। आप बिना अर्थ समझे अकारण क्रोधित होते हैं। बादशाह निरूत्त्र हो गया।
सबका ध्यान आपकी तरफ था
फारस का बादशाह बीरबल की बुद्धि की बड़ी प्रशंसा सुना करता था, इसलिये उसे बीरबल को देखने के लिये उत्कट इच्छा हुई। अकबर के पास एक पत्र लिखकर भेजा उसमें बीरबल के बुलाने की बात लिखी थी। वह अहल्कार कई दिन की मंजिल तय कर दिल्ली पहुँचा और बादशाह को अदब से सलाम कर फारस के बादशाह का भेजा हुआ पत्र दिखलाया। अकबर बादशाह पत्र पढ़कर बहुत खुश हुआ और अहल्कार को अपनी सराय में आराम करने की आज्ञा दी। वहॉं उसके आराम की सभी वस्तुऍं प्रस्तुत थीं। दूसरे ही दिन बादशाह ने बड़े ठाटबाट के साथ बीरबल को फारस भेज दिया।
बीरबल फारस पहुँचकर शहर के बाहर एक बाग में अपना डेरा खड़ा कराया और उस अहल्कार को अपने आने की सूचना देने के लिए फारस के बादशाह के पास भेजा। जब बादशाह ने सुना कि बीरबल नगर के बारह मेरे हुक्म की इन्तजार कर रहा है, तो उसने अपने समस्त कर्मचारियों को अपने ही सा वस्त्राभूषणों से सुसज्जित करा सबके सहित दरबार में जा बेठा और बीरबल को आने की आज्ञा दी।
अहल्कारे से बादशाह के बुलावे का पत्र पाकर बीरबल राजभवन में उससे मिलने आया। वहॉं की अजीब हालत थी, सब लोग एक ही तरह की पोशाक पहने हुए यत्रतत्र बैठे थे। बीरबल एक तरफ से सबको लक्ष करता हुआ धीरे-धीरे बादशाह के पास जा पहुँचा और उसे अदब से सलाम कर उसके समीप आप भी बैठ गया। बादशाह फारस ने पहले उसकी बड़ी आवभगत की पश्चात उससे पूछा- बीरबल! तुमको कैसे मालूम हुआ कि मैं ही फारस का बादशाह हूँ बीरबल ने उत्तर दिया- गरीबपरवर! आपका दृष्टिकोण सब पर था और सबका ध्यान आप पर था इससे मैंने आपको बिना परिश्रम ही आसानी से पहचान लिया।
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