हाथी घोड़े शेर सभी ने मिलकर सभा बुलाई,
हम भी कोरोना पर चर्चा करेंगे फिर पंचायत विठाई।
दूर – दूर बैठकर सबने सोशल डिस्टेंस की बात बताई,
घर से बाहर न निकलेंगे, सब ने मिलकर कसम खाई।
२० सेकंड तक हाथ धोकर वायरस को भगाने की बात समझाई ,
साफ सफाई को अपनाकर, महामारी से मुक्ति पाई।
घर के अंदर रहे सुरक्षित बात ये सबको समझ में आई,
महामारी न घर आ पायेगी, जो बाहर जाने की रट न लगाई।
डॉक्टर नर्सों और पुलिस के प्रति मन में श्रद्धा की जोत जगाई,
इन सबका सदा आदर करेंगे, जंगल में ये सबको बात बताई।
जानवर भी अब समझ गए, क्यूँ इंसान को बात समझ न आई,
कुछ नियमों का पालन करके, महामारी से मुक्ति की युक्ति पाई।
न खरीदारी, न मॉल – दुकानें,
न कपड़े, न मँहगी चीजें
अब खर्चा न एक रुपइया ,
बस शौक जेब पर भारी थे।
न काका, न मामा – मौसी,
न जन्मदिन, न शादी – पार्टी, अब खर्चा न एक रुपइया ,
बस रिश्ते जेब पर भारी थे।
न प्रसाद, न दीपक – बाती ,
न पंडित, न मंदिर – गुरूद्वारे , अब खर्चा न एक रुपइया ,
बस धर्म जेब पर भरी थे।
न यात्रा, न लम्बे रस्ते,
न गोवा, न ऊटी – मसूरी,
अब खर्चा न एक रुपइया
बस सैर सपाटे जेब पर भरी थे।
-Sangeeta Namdeo