माँ क्या हैं ये तो आज तक कोई भी नहीं बता पाया हैं…
हज़ारों जतन करके भी इस छोटे से लब्ज़ की अहमियत कोई लब्ज़ों में नहीं बयान कर पाया हैं..
प्यार और ममता का अनमोल खज़ाना है माँ..
खुद को खो के हमारे लिए जो अपनी खुशियाँ खुशी खुशी वार दे वो है माँ..
हार में जीत में जो सबसे पहले याद आये वो है माँ..
चोट लगे तो तुमसे ज़्यादा जो घबराये वो है माँ..
भूख लागे तो अपना निवाला छोड़ जो तुम्हें पहले खिलाये वो है माँ..
डाँटे भी तो फिर लाड़ से जो तुम्हारा सिर सहलाये वो है माँ..
पन्ने कम पड़ जाए मगर जिसकी परिभाषा ना खत्म हो वो खूबसूरत अल्फ़ाज़ है माँ..
संसार में सबसे बड़ा सुख सबसे बड़ी नेमत है माँ…
-उर्वी मानेक
निराशा का अंधकार छाया है
हर पल अजीब से डर का साया है
सही क्या गलत क्या सब धुंधलाया है
दिल-ओ-दिमाग पे कोहराम सा मंडराया है
आज खुदही खुद को आज़माया है
ना जाने क्या खोया क्या पाया है
हज़ारों सवालों ने ज़िन्दगी को इस कदर उलजाय है
के हर एक लम्हा सवालों का सरमाया है
एक अजब सी खामोशी में आज खुद को यूँ कैद पाया है
की अल्फसों ने भी इस लम्हे में खुद को मजबूर पाया है…
-उर्वी मानेक
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