जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु अवश्य ही होगी। जन्म और मृत्यु के बीच जो भी महत्वपूर्ण घटनाएं घटती है वह है जीवन कहलाती है। अधिकांश लोग जान ही नहीं पाते कि जीवन को जीवन कैसेट बनाया जाए?
ऐसे लोग जन्म और मृत्यु को ही जीवन का हिस्सा समझ लेते हैं। जीते तो पशु भी है लेकिन, जीवन को जानने की संभावना ईश्वर ने सिर्फ मनुष्य को दी है। जन्म-मृत्यु के बीच में जीवन कैसा तैयार किया जाता है, इसका जीता-जागता उदाहरण है हनुमानजी। जिस-जिस धर्म में जो-जो भी संदेश हैं वे समूचे व्यक्तित्व यानी हनुमानजी में उतरे हैं।
आज उनकी जयंती है। अपने जन्म के उद्देश्य को समझने के साथ उनका जन्मोत्सव मनाया जाए। हनुमान जयंती का मतलब ही होगा कि सचमुच जान सकें कि इस धरती पर हम मनुष्य बनाए क्यों गए हैं।
हनुमानजी ने बचपन में मां से पूछा था- मैं बड़ा होकर क्या बनूंगा? तब उनकी मां अंजनी ने कहा था कि चार काम करते रहना तो तू वह बन जाएगा, जिसके लिए तुझे संसार में भेजा गया है। लक्ष्य को कभी मत भूलना, समय का सदुपयोग करना, ऊर्जा का दुरुपयोग मत करना और सेवा का कोई अवसर मत चूकना।
और मां की इन बातों को हनुमानजी ने बचपन से ही आत्मसात कर लिया था। यदि हम सच्चे हनुमान भक्त हैं तो आज हमें भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम लक्ष्य से भटक न जाएं। हनुमानजी ने बचपन में ही तय कर लिया था कि मेरा लक्ष्य श्रीराम का दूत बनकर उनकी सेवा करना है और वो बने भी। सच्चा हनुमान भक्त सच्चा सेवक भी होता है। एक-एक पल का उपयोग कीजिए। ऊर्जा का दुरुपयोग मत करिए। हनुमानजी के चरित्र की ये चार बातें जीवन में उतर लें, तब ही लगेगा सच्ची भक्ति भावना के साथ सही अर्थ में उनकी जयंती मनाई गई।
– पं. विजयशंकर मेहता
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