आम खाने के फायदे
• आम का बौर डेढ़ से तीन माशा जल में पीसकर पीने से अथवा इसके चूर्ण के जल के साथ सेवन करने से प्रमेह, प्रदर, अतिसार के वेग कम हो जाते हैं तथा कुछ दिन तक निरन्तर सेवन करने से संपूर्ण लाभ हो जाता है।
• आम के पत्तों का क्वाथ ढाई तोला की मात्रा मे सेवन करने से सन्निपात ज्वार में बढ़े हुए ( वात-पित्त-कफ) दोष दूर हो जाते हैं। चढ़े बुखार में इसका सेवन करने से बुखार का वेग कम हो जाता है।
• आम की गुठली प्रतिदिन चावल के धोवन (पानी) के साथ पीसकर पीने से प्रदर रोग और अतिसार शर्तिया मिट जाते हैं।
• आम के सूखे पत्तों के चूर्ण को चिलम में भरकर पीने से बढ़ी हुई खाँसी और हिजकी शान्त हो जाती है।
• बर्र, चींटी, मक्खी, बिच्छू दंश में आम की मींगी का शीतल लेप करना लाभकारी है।
• मीठे आम का रस गौदुग्ध के साथ नित्य सेवन करने से संग्रहणी में लाभ हो जाता है। आमाशय और पक्वाशय के रोगियों को पके आम का मधुर रस अत्यन्त ही हितकारी है।
• आम की मींगी को जल में पीसकर नाक में 2-3 बार सुड़कने से नकसीर (नाक से खून टपकना) रुक जाता है।
• आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से कर्णपीड़ा मिटती है।
• आम के पत्तों के रस में शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बबासीर का रक्त स्त्राव रुक जाता है।
• आम की मीगी जल में पीसकर जले स्थान पर लगायें। जलन शान्त होगी।
• कच्चे आम को आग में भूनकर इसके रस को गुड़ मिलाकर पीने से लू लगे रोगी को शांति मिलती है तथा गर्मी के मौसम में इसके नित्य सेवन से लू लगने का खतरा मिट जाता है।
• लू लग जाने पर (जब सर्वांग में दाह, जलन और ज्वर हो) तो आम की मींगी को पानी में पीसकर हाथ-पैर के हथेली और तलुवों और समस्त शरीर के अंगों पर बार-बार लेप करने से लू के कारण होने वाली जलन और बेचैनी तत्काल दूर हो जाती है तथा लू के कारण प्राणघात का खतरा टल जाता है।
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