विरुद्ध आहार भी करता है बीमार!!

आयुर्वेद के अनुसार विपरीत गुण वाली चीजें एकसाथ खाने से बचें

हैल्‍दी ईटिंग

विरूद्ध आहार का मतलब खाने-पीने की वे चीजें जिन्‍हें एक साथ लेने से सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। घर के बुजु्र्ग भी इसीलिए कुछ चीजें एकसाथ खाने-पीने से रोकते-टोकते हैं।

आहार हमारे जीवन का आधार है, लेकिन खानपान की लापरवाही के कारण अक्‍सर बीमार पड़ते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छी जीवन शैली के साथ संतुलित भोजन बेहत जरूरी है

जानते हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ की राय :-

विरूद्ध आहार का मतलब – 9 गुण होते हैं हमारे भोजन में। जब इसके नौ गुणों का अवरोध-विरोध पाया जाता है तो इसे विरुद्ध आहार कहते हैं। 13 प्रकार के विटामिन, खनिज तत्व, प्रोटीन और फाइटो विटामिंस की खाने में प्रतिदिन होती है शरीर को जरूरत।

चक्‍कर स्‍वाद का हो या फिर जानकारी का अभाव। जाने-अनजानें में हम कई बार विरूद्ध आहार ले लेते हैं। यदि नियमित रूप से विरूद्ध आहार शरीर में जाए जो कई तरह की बीमारियां हो सकती है। यदि ऐसे आहार को लेते वक्‍त घर के बड़े बुजुर्ग कुछ चीजें एक साथ खाने-पीने से टोकें तो हमें इसका बुरा मानने की बजाय उनकी सलाह पर ध्‍यान देना चाहिए। इससे कई तकलीफों से बच सकते हैं। इन विरूद्ध आहार से मतलब है कि खाने-पीने की वे चीजें जिन्‍हें एकसाथ लेने से सेहत को नुकसान होता है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे भोजन में नौ गुण होते है और जब भोजन में इन गुणों का अवरोध या विरोध पाया जाता है तो उसे विरूद्ध आहार कहा जाता है। खानपान में इनका सही तरीके से प्रयोग कर स्‍वस्‍थ रहा जा सकता है।

18 प्रकार के होते है विरुद्ध आहार

1. देश चिरूद्ध :- सूखे या जीखे पदार्थो का सेवन सूखे स्‍थान व दलदली जगह में चिकनाई युक्‍त भोजन करना।
2. काल विरूद्ध :- सर्दी में सूखी और ठंडी वस्‍तुएं खाना और गर्मी के दिनों में तीखे भोजन का सेवन करना।
3. अग्नि विरूद्ध :- जठराग्नि मध्‍यम हो और व्‍यक्ति गरिष्‍ठ भोजन खाए तो इसे अग्नि विरूद्ध आहार कहा जाता है।
4. मात्रा विरूद्ध :- यदि घी और शहद बराबर मात्रा में लिया जाए तो ये हानिकारक होता है।
5. सात्‍मय विरूद्ध :- नमकीन भोजन खाने की प्रवृत्ति रखने वाले मनुष्‍य को मीठा रसीले पदार्थ खाने पड़ें।
6. दोष विरूद्ध :- भोजन का प्रयोग करना जो व्‍यक्ति के दोष को बढ़ाने वाला हो और उनकी प्रकृति के विरूद्ध हो।
7. वीर्य विरूद्ध :- जिन चीजों की तासीर गर्म होती है उन्‍हें ठंडी तासीर की चीजों के साथ लेना।
8. अवस्‍था विरूद्ध :- थकावट के बाद वात बढ़ने वाला भोजन लेना अवस्‍था विरूद्ध आहार है।
9. क्रम विरूद्ध :- व्‍यक्ति भोजन का सेवन पेट साफ होने से पहले करें या जब उसे भूख न लगी हो अथवा जब अधिक भूख लगने से भूख खत्‍म हो गई हो।
10. परिहार विरूद्ध :- दूध व उससे निर्मित पदार्थ जिन्‍हें शरीर पचा नहीं पाता और डॉक्‍टर भी इन्‍हे लेने के लिए मना करते हैं।
11. संस्‍कार विरूद्ध :- कई प्रकार के भोजन को अनुचित ढंग से पकाया जाए तो वह विष समान हो जाता है। दही, शहद गर्म करने से विषाक्‍त हो जाते है।
12. कोष्‍ठ विरूद्ध :- कोष्‍ठबद्धता रोगी को थोड़ी मात्रा में, कम मल बनाने वाला भोजन देना या शिथिल गुदा वाले व्‍यक्ति को गरिष्‍इ व ज्‍यादा मल बनाने वाला भोजन देना कोष्ठ-विरूद्ध आहार है।
13. उपचार विरूद्ध :- किसी उपचार विधि में अपथ्‍य का सेवन करना। जैसे घी खाने के बाद ठंडी चीजें खाना।
14. पाक विरूद्ध :- भोजन पकाने वाली अग्नि कम ईधन से बनाई जाए जिससे खाना अधपका अथवा या जल जाए।
15. संयोग विरूद्ध :- दूध के साथ अम्‍लीय पदार्थो का सेवन।
16. हृदय विरूद्ध :- ऐसा भोजन जो रूचिकार न लगे उसे खाना।
17. समपद विरूद्ध :- विशुद्ध भोजन खाना समपाद विरूद्ध आहार है। इससे पौष्टिकता विलुप्‍त हो जाती है।
18. विधि विरूद्ध :- सार्वजनिक स्‍थान पर बैठकर भोजन खाना।

दूध के साथ नमक वाले पदार्थ न खाएं।

• दूध के साथ फल नहीं खाएं।
• दूध के साथ खट्टे अम्‍लीय पदार्थ का प्रयोग नहीं करें।
• दूध के साथ नमक वाले पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए।
• गेहूं को तिल तेल में नहीं पकाएं।
• दही, शहद अथवा शराब के बाद गर्म पदार्थो का सेवन न करें।
• केले के साथ दही-लस्‍सी न लें।
• तांबे के बर्तन में घी नहीं रखें।
• मूली के साथ गुड़ खाना।
• मछली के साथ गुड़ लेना।
• तिल के साथ कांजी का सेवन।
• शहद को पकाना नहीं चाहिए।
• चाय के बाद ठंडे पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
• फल और सलाद के साथ दूध नहीं लेना चाहिए।
• मछली के साथ दूध नहीं पीएं।
• खाने के एकदम बाद चाय न पीएं।

सुबह ये पी सकते है।

आंवला, गाजर, चुकंदर व टमाटर का मिक्‍स जूसजूस सुबह खाली पेट पीया जा सकता है। साथ ही ऊष्‍णोदक पान करें। इसके तहत चार कप पानी लीजिए। इसे एक कप रह जाने तक उबालें और गरम चाय की तरह पी लें। स्‍वाद के लिए इसमें सौंफ या अजवायन मिला सकते है।

विरूद्ध आहार लगातार लेने से चर्म रोग, पेट में तकलीफ, खून की कमी (एनीमिया), शरीर पर सफेद चकते, पाचन का खराब होना, पेट से संबंधित विकार, पित्‍त की समस्‍या हो सकती है। साथ ही मधुपेह, मोटापा, बीपी आदि बीमारियां भी हो सकती है।

डॉ. हरीश भाकुनी
आयुर्वेद विशेषज्ञ, एनआईए, जयपुर


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