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किसी भी बीमारी के इलाज में जितना जरूरी रोग का सही डायग्नोसिस और सही दवाइयां तय करना है उतना ही जरूरी दवा लेने की सही टामिंग को फिक्स करना भी है। चिकित्सा विज्ञान की नई शाखा ‘ड्रग क्रोनोथेरेपी’ के अनुसार किसी भी दवा का अधिकतम लाभ लेने , उसके प्रभाव का पूरा फायदा उठाने और साइड इफैक्ट्स को कम करने के लिए दवा को व्यक्ति के सकेंडियन रिद्न के मुताबिक देना चाहिए। सकेंडियन रिद्न हमारे शरीर की जैविक घट़ी है जो हमारी नींद, हारमोन के उत्पादन और अन्य शरीरिक प्रणालियों पर नियंत्रण रखती है।
होता है अधिक फायदा!:-
ड्रग क्रोनोथेरेपी के सिद्धान्त के मुताबिक हमारा शरीर किसी भी प्रकार के मेडिकेशन के प्रति दिन भर एक ही प्रकार से प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं रहता। अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास (आस्टिन) के बायोमेडिकल इंजीनियर प्रोफेसर माइकल स्मोलेंस्की दवा लेने के टाम के संबंध में बताते हैं, ‘कुछ दवाएं गलत बायोलोजिकल टाइम पर लेने से सही प्रभाव नहीं दिखा पाती और नही शरीर में ठीक प्रकार से जज्ब हो पाती है’।
कोलकाता के रवीन्द्रनाथ टैगोर अस्पतला में वरिष्ठ मेडिसिन चिकत्सक डॉ. अरिंदम विश्र्वास ने बताया कि क्रोनोथेरेपी व अन्य फैक्टर्स के मद्देनजर कुछ दवाएं अपने चिकित्सक की सलाह से आगे दिए समय के अनुसार ली जाएं, तो उनका ज्यादा फायदा उठाया जा सकता है।
सुबह (मॉर्निंग पिल्स)
डिप्रेशनरोधी दवाएं:-
डिप्रेशन के इलाज के लिए दी जाने वाली कुछ खास दवाओं सेलेक्टिव सेरोटोनिन रियूप्टेक इनहिबिटर्स का साइड इफेक्ट है, नींद में खलल पड़ना। नींद में किसी तरह की परेशानी न हो इसलिए विेशेषज्ञ इसे जागने के बाद लेने की सलाह देते है।
ओस्टियोपोरोसिसि की दवाएं:-
कमजोर हड्डियों के इलाज या उनकी रोकथाम करने वाली दवाओं को शरीर आसानी से जज्ब नहीं कर पाता। इसलिए डॉक्टर इन्हें सुबह खाली पेट एक गिलास पानी से लेने की सलाह देते हैं। दवा लेने के एक घंटे बाद ही किसी प्रकार का खानपान या अन्य दवाएं लेने की राय दी जाती है।
रात्रि (भोजन के समय)
हमारे पेट में रात 10 बजे से 2 बजे तक दिन के किसी भी अन्य समय के मुकाबले दो से तीन गुणा एसिड बनता है। अगर आपको एसिड घटाने वाली दवा दी गई है तो इसे खाना खाने के आधा घंटा पहले लें। इससे पेट में एसिड बनने की प्रक्रिया धीमी होगी।
एलर्जीरोधी दवाएं:-
एलर्जी संबंधी समस्याएं रात के वक्त ज्यादा सताती हैं और सुबह इनका तीव्र रूप होता है। जो एंटीहिस्टामाइन टेबलेट दिन में एक ली जाती हैं जैसे क्लैरिटिन वे लेने के 8 से 12 घंटे बाद सबसे ज्यादा असर दिखाती हैं, इसलिए उन्हें रात को डिनर टाइम में लें ताकि सुबह एलर्जी की तीव्रता का सामना न करना पड़े।
सोने से पहले
कोलेस्ट्रोलरोधी दवाएं:-
लिवर में कोलेस्ट्रोल का उत्पादन आधी रात के वक्त सबसे ज्यादा और सुबह से दोपहर तक सबसे कम होता है। इसलिए कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाएं स्टेटिन रात को सेते समय ली जानी चाहिए। यह दवा रात को लेने से फायदेमंद साबित होती हैं।
ब्ल्डप्रेशर की दवाएं:-
आमतौर पर ब्लडप्रेशर दिन में ज्यादा रहता है और सोते वक्त कम। लेकिन कई लोगों में यह रात को कम नहीं होता, विशेष रूप बुजुर्गो में विशेषज्ञ कुछ खास बीपी रोधी दवाएं रात को सोते समय लेने की सलाह देते हैं ताकि दिन में रक्तचाप नियंत्रण में रहे और इससे होने वाली बीमारियों के खतरे कम हो जाएं।
लक्षणों के अनुसार टाइमिंग:-
फ्रांस के सेहत विशेषज्ञों के अनुसार नोन स्टेरॉयड एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे नेप्रोक्सेन और इबूप्रोफेन, को मरीज द्वारा दर्द की सबसे ज्यादा अनुभूति वाले समय के छह घंटे पहले लेना चाहिए। ये दवाएं ओरिटयोआर्थराइटिस के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। जैसे कोई दोपहर में दर्द का ज्यादा अनुभव कर रहा हो, तो उसे सुबह 8 से 10 बजे के बीच में , शाम के दर्द के लिए दवा दोपहर 12 से 1 बजे के बीच में और रात के दर्द के लिए शाम 4 से 5 बजे के बीच में लेनी चाहिए।
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