कर्मों का लेखा जोखा!!

एक बार एक बीबी थी। बहुत ज्यादा भजन सिमरन करना सेवा करनी किसी को कभी गलत न बोलना, सब से प्रेम से मिलकर रहना उस की आदत बन चुकी थी। वो सिर्फ एक चीज़ से दुखी थी के उस का आदमी उस को रोज़ किसी न किसी बात पर लड़ाई झगड़ा करता। उस आदमी ने उसे कई बार इतना मारा की उस की हडी भी टूट गई थी। लेकिन उस आदमी का रोज़ का काम था। झगडा करना।

उस बीबी ने महाराज जी से अरज की हे सचे पातशाह मेरे से कोन भूल हो गई है। मै सत्संग भी जाती हूँ सेवा भी करती हूँ। भजन सिमरन भी आप के हुक्म के अनुसार करती हूँ। लेकिन मेरा आदमी मुझे रोज़ मारता है। मै क्या करूँ।

महाराज जी ने कहा क्या वो तुझे रोटी देता है बीबी ने कहा हाँ जी देता है। महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। कोई बात नहीं। उस बीबी ने सोचा अब शायद गुरु की कोई दया मेहर हो जाए और वो उस को मारना पीटना छोड़ दे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस की तो आदत बन गई ही रोज़ अपनी घरवाली की पिटाई करना।

कुछ साल और निकल गए उस ने फिर महाराज जी से कहा की मेरा आदमी मुजे रोज़ पीटता है। मेरा कसूर क्या है। महाराज जी ने फिर कहा क्या वो तुम्हे रोटी देता है। उस बीबी ने कहा हांजी देता है। तो महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। तुम अपने घर जाओ। बीबी बहुत निराश हुई कि महाराज जी ने कहा ठीक है। वो घर आ गई लेकिन उस के पति के सवभाव वैसे का वैसा रहा रोज़ उस ने लड़ाई झगडा करना। वो बीबी बहुत तंग आ गई।

कुछ एक साल गुज़रे फिर महाराज जी के पास गई के वो मुझे अभी भी मारता है। मेरी हाथ की हड्डी भी टूट गई है। मेरा कसूर क्या है। मै सेवा भी करती हूँ। सिमरन भी करती हूँ फिर भी मुझे जिंदगी में सुख क्यों नहीं मिल रहा। महाराज जी ने फिर कहा वो तुजे रोटी देता है। उस ने कहा हांजी देता है। महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। इस बार वो बीबी जोर जोर से रोने लगी और बोली की महाराज जी मुझे मेरा कसूर तो बता दो मैंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है।

महाराज कुछ देर शांत हुए और फिर बोले…
बीबी तेरा घरवाला पिछले जनम में तेरा बेटा था। तू उस की सोतेली माँ थी। तू रोज़ उसको सुबह-शाम मरती रहती थी। और उस को कई कई दिन तक भूखा रखती थी। शुकर मना के इस जनम में वो तुझे रोटी तो दे रहा है। ये बात सुन कर बीबी एक दम चुप हो गई।

महाराज जी ने कहा बेटा जो करम तुमने किए है उस का भुगतान तो करना ही पड़ेगा ना। फिर उस बीबी ने कभी महाराज से शिकायत नहीं की क्यों की वो सच को जान गई थी।

इसलिए हमें भी कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए सब से प्रेम प्यार के साथ रहना चाहिए।
हमारी जिन्दगी में जो कुछ भी हो रहा है सब हमारे कर्मो का लेखा जोखा है। जिस का हिसाब किताब तो हमें देना ही पड़ेगा।


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4 thoughts on “कर्मों का लेखा जोखा!!

  1. iska matlab duniya mein jitne bhi divorce ho rahen hain vo sab karmon ka lekha jokha hai.

    Sab aurtain apne patiyon se maar khaati rahen aur us paap ko sahen.

    aur doosri taraf ye bhi kaha hai ki : jurm ko sehna bhi paap hai.”

    Kaunsi baat sahi hai … ki saath rehna chaiye yaa chhod dena chahiye

    1. muje lagta hai ki jo baatein hamre jeevan ko accha bannae ke liye banyi gayi use aaj kal log follow nhi karte isliye takraav hota hai kya 1980 me bhi yhi mahual tha nhi aaj jitne modern hue utne hi neeche jaa rhe hai ramayan dekhkar jeene wale aaj kal 24 hours anap snaap dekhe ge to kya ho ga

  2. Mera bus ek sawal hai agar koi bhi ek bejuban ya majbur ko ya kisi ko bhi koi takleef de raha ho aur usse ye bhi na pata ho usske sath aisa ho kyu raha hai aapko lagta hai usse usko karmo ki saza mil rahi hai ya uss par atyachar ho raha hai ???????????????

  3. karma is great but modern time me log alag tarike se jee rahe hai ,karm ka fal to milta hai wo bhi isi duniya me waise bhi life means strugle hai .apne aap ko pahchaana bhi bhi bahut jruri hai insaan ka janam le kar bhi janwar jaisa jeena galat hai bhagaan ki tarah soche wo sabko dete hai but lete kuch nhi hai agar ek din kisi ke yha dinner kar le to wo bhi insaan ko bhari padegaa .
    isliye is janam me to accha karam kar le .

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