बहुत ही कम लोग इस बात को जानते है कि सांसों से आने वाली दूर्गध / बदबू का संबंध सिर्फ मुंह या दांतों से ही नहीं है। ऐसी कई प्रकार की बीमारियां भी है जिनकी वजह से सांसो को बदबूदार कर देती है और जिसके चलते अक्सर लोग शर्मिदगी का सामना करते है। इसके बावजूद अधिकांश लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। और न ही सही समय पर इसका इलाज करवाते हैं। आपको आज हम ऐसी ही कुछ बीमारियों के बारे में बताते है जो की सांसें में बदबू उत्पन्न करती हैं!
पेट में खराबी
कभी-कभी पेट की खराबी भी सांसों की बदबू का कारण बनती है। वैसे तो सांसों से आती बदबू आमतौर पर मुंह से जुड़ी होती है, लेकिन कई बार शरीर के किसी भी हिस्सेा में आने वाले बदलाव के कारण भी यह समस्याद हो सकती है। पेट की समस्याे एसिड रिफ्लक्स होने पर शरीर की पाचन क्रिया ठीक नहीं रहती। इसमें सीने और छाती में जलन होती है। कई बार इस समस्यान से ग्रस्त व्यक्ति को घबराहट भी होने लगती है और खट्टी डकार आती हैं। जिससे सांसों से बदबू आने लगती है।
साइनस
साइनस की बीमारी से ग्रषित व्यक्ति की सांसों से बदबू आने लगती है। साइनस की वजह से ग्रषित व्यक्ति की नाक में अवरुद्ध उत्पन्न हो जाता है और वह मुंह का उपयोग कर के सांस लेने लगता है। इस की वजह से मुंह सूखने लगता है और जीवाणुओं को पनपने का मौका मिल जाता है। इसके साथ ही आपके साइनस से उत्पन्न द्रव जो की नाक से होकर बहता है वह द्रव आपके गले में जाकर सांसों में दुर्गंध पैदा करता है।
मुंह सूखना (ड्राइ माउथ सिंड्रोम)
आपको तो ये बात पता ही होगी कि लार की सहायता से मुंह में नमी और मुंह को साफ रखने में मदद मिलती है। पर कई बार मुंह में लार बननी कम हो जाती है और जिसकी वजह से जीरोस्टोमिया यानी ड्राइ माउथ नामक रोग हो सकती है। इस रोग की वजह से मृत कोशिकाओं का जीभ, मसूड़े और गालों के नीचे जमाव होने लगता है। ये कोशिकाएं क्षरित होकर दुर्गंध पैदा करने लगती हैं। सूखे मुंह की समस्याज आमतौर पर सोते समय होती है।
मुंह का इन्फेक्शन
नियमित रूप से ब्रश न करने और दांतों की सफाई न रखने से भी सांसों की बदबू परेशान करती है। मुंह में रह गए भोजन के टूकडे और बैक्टीरिया के कारण कई बार इन्फेक्शन हो जाता है। इन बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित सल्फर, यौगिक के कारण आपकी सांसों में दुर्गंध पैदा करता है। इसलिए मुंह के इंफेक्शजन से बचने के लिए गर्म पानी से मुंह साफ करें। जीभ का पिछला हिस्सा विशेष तौर पर साफ करें क्यों कि वहीं पर सबसे ज्यापदा बैक्टीरिया छिपे घुसे रहते हैं।
मसूड़ों की बीमारी
सांसों से बदबू और मुंह का स्वाद खराब रहना मसूड़े के रोग पेरिडोंटल के लक्षण भी हो सकते हैं। यह बीमारी बैक्टीरिया से निकलने वाले प्लेक (विशेष प्रकार के चिपचिपे तत्व) से होती है। हाइड्रोजन सल्फाइड भाप बनाते हैं। आपके दांतों पर बैक्टीरिया (सड़न) का एक रंगहीन और चिपचिपा फिल्म जमा हो जाता है। जिसमें मसूड़े इतने कमजोर हो जाते हैं कि ये दांतों को सपोर्ट नहीं दे पाते और दांत गिरने लगते हैं। सांसों की बदबू को दूर करने के लिए दांतों के अन्दर मसूड़ों पर टार की परत न जमने दें।
श्वसन तंत्र में संक्रमण
गर्दन के लिम्फं नोड्स (“सूजन ग्रंथियों”) में सूजन, बुखार, भरी हुए नाक, नाक से हरे या पीले रंग के डिस्चालर्ज और बलगम उत्पासदक खांसी भी सांसों से आने वाली बदबू का कारण बनती है।
फेफड़ों में संक्रमण के कारण
फेफड़े का गंभीर संक्रमण और फेफड़े में गांठ से सांसों से बदबू आने लगती है। अन्य बीमारियां, जैसे कुछ कैंसर और चयापचय की गड़बड़ी से भी सांसों में दुर्गंध पैदा हो सकती है। इसके अलावा बहुत अधिक तंबाकू खाने वाले लोगों में जब पेरिडोंटल बीमारी ओरल कैंसर में तब्दील होने लगती है तो भी सांसों से तेज बदबू आती है।
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