यही प्रकृति अब कहती है अब बस, सांस मुझे भी लेने दो तुमको जीवन दिया है मैंने अब मुझको भी जीने दो अब सांस मुझे भी लेने दो। मेरी काया मेरी ही छाया। में जीना तुमने है सीखा है मेरा ये रूप अनोखा कभी मौन हूँ, कभी हूँ, मैं शोर हवा का कभी तो नीला…
प्रकृति हमे देती है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखे… सूरज हमे रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है… भूख मिटने को हम सबकी, धरती माँ अन्न देती है… पथिको को ताप्ती धुप में, पेड़ सदा देते ह छाया फूल सुगंध देते है, हम सबको फूलों की माला… पहाड़ गिरी ऊँचे ऊँचे, देते…