प्रकृति अब कहती है – Renuka Kapoor

यही प्रकृति अब कहती है
अब बस, सांस मुझे भी लेने दो
तुमको जीवन दिया है मैंने
अब मुझको भी जीने दो
अब सांस मुझे भी लेने दो।

मेरी काया मेरी ही छाया।
में जीना तुमने है सीखा

है मेरा ये रूप अनोखा
कभी मौन हूँ,
कभी हूँ, मैं शोर हवा का

कभी तो नीला गगन करूँ मैं,
कभी करूँ मैं काला,
कभी दिन में ही अँधेरा करूँ दूँ
तो कभी करूँ उजाला।

कभी बारिश की, बूंदो को लाऊँ।
कभी तूफान को लेकर आऊं
कभी हरियाली की चादर को,
ओडकर मैं सौं जाऊं

जीवन मेरा सिर्फ देना है।
नहीं भूल मैं पाती
मैं जीवन की जननी हूँ
और हूँ “प्रकृति माँ” कहलाती।

Renuka Kapoor Delhi

लेखिका:- रेणुका कपूर, दिल्ली
[email protected]

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