रोग परिचय:- इस रोग को सूर्यावर्त्त भी कहा जाता है। इस रोग में आधे सिर का दर्द प्रतिदिन सुबह सूरज निकलते ही आरम्भ हो जाता है। जैसे-जैसे सूरज चढ़ता जाता है, दर्द बढ़ता जाता है किन्तु जैसे ही दोपहर के बाद सूरज पश्चिम की ओर ढलना (डूबना) शुरू होता है, दर्द में कमी होती जाती है और अन्तत: सिरदर्द रात को नहीं होता है।
आधासीसी अर्द्धावभेदक (Migraine) आयुर्वेदिक उपचार :-
• तम्बाकू के पत्ते तथा लौंग सम भाग लें। पानी के साथ पीसकर मस्तक पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से अर्द्ध मस्तक-शूल में लाभ हो जाता है।
• तिल 2 ग्राम तथा बायबिडंग 1 भाग, दोनों को जल में पीसकर थोड़ा गरम करके मस्तक पर लेप करना अर्ध मस्तक शूल में लाभकारी है।
• लौंग 6 ग्राम को बारीक पीसकर पानी में घोलकर लेही जैसी तैयार कर थोड़ा सा गरम करके कनपटियों पर लगाने से आधासीसी में लाभ होता है।
• चीनी और दूध को सम मात्रा में मिलाकर नाक द्वारा सूंतने से अर्द्धावभेदक तथा अन्य शिर:शूल में लाभ होता है।
• लहसुन को छीलकर खरल में डालकर पीसें। फिर किसी बारीक मलमल के कपड़े से छानकर 10 ग्राम रस निकालकर उसमें 6 रत्ती हींग डालकर पुन: खरल करें। जब अच्छी तरह रस व हींग घुल जाए तो शीशी में रख लें। आधाशीशी के दर्द में आवश्यकता के समय रोगी के जिस ओर दर्द होता हो, उसी ओर के नाक के नथुने में 3 बूँद रस (औषधि) टपकायें। लाभप्रद योग है।
• सूर्यमुखी के बीजों को सूर्यमुखी के स्वरस में ही मिलाकर पीसें। सूर्योदय से पूर्व इसका लेप करने से आधासीसी में लाभ होता है।
• अकरकरा की लकड़ी छील कर सिर के जिस ओर में दर्द हो उसी ओर की दाड़ से चबाने से तत्काल आधासीसी का दर्द बंद होता है।
• स्वर्णक्षीरी (सत्यानाशी) का स्वरस कपड़छन कर 3-4 बूंद नाक में टपकाने से आधासीसी का दर्द शान्त हो जाता है।
• प्रात:काल शौचादि निवृत्त हो, एवं हाथ-मुँह धोकर भुने हुए गरम-गरम चने चबाने से 2-3 दिन में ही आधासीसी का दर्द भाग जाता है।
• छनी हुई कन्डों की राख में आक के दूध की भावना देकर सुखाकर शीशी में सुरक्षित रख लें। रोगी के सिर में जिस ओर दर्द हो, उसी ओर के नथुने से उसे नस्म की तरह सुंघाने से छीके आ-आकर आधासीसी का दर्द सदैव के लिए ठीक हो जायेगा।
• नौसादर 1 ग्राम तथा गुलाबजल 10 ग्राम लेकर शीशी में मिलाकर सुरक्षित रख लें। रोगी को ऐसे खटिया (चारपाई) पर लिटायें कि उसका सिर (सिरहाने से) कुछ नीचे लटका हुआ रहे। फिर उक्त औषधि ड्रापर से 5-6 बूँद नाक के नथुनें में भली प्रकार डालें। इसके प्रयोग से नाक के नथुनें से पानी टपकने लगेगा और 5-10 मिनट में ही आधासीसी का रोग ठीक हो जायेगा।
• सरसों का तेल 6 भाग तथा तारपीन का तैल 1 भाग मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसकी 4-6 बूँदें नाक में ड्रापर से टपकायें और मुँह को नीचा कर दें। इस प्रयोग से पूय, कृमि आदि जो भी होगा वह बाहर निकल जायेगा और आधासीसी का दर्द तत्काल बंद हो जोयगा।
• सूर्योदय से पूर्व लगभक 25 ग्राम की मात्रा में चावल की खील शहद के साथ खिलाकर रोगी को सुलाना अर्द्धावभेदक में लाभकारी है।
• नयी सौंफ तथा धनिया सम मात्रा में लेकर महीन पीसकर इसके बाद इसमें इतनी ही मिश्री मिलाकर (मीठा हो जाना चाहिए) मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे दिन में 3 बार 1-1 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करने से आधासीसी तथा अन्य शिर:शूलों में लाभ होता है।
• कपूर (उत्तम) 1 ग्राम तथा गोदुग्ध का खोवा (मावा) 50 ग्राम को पीसकर 3 लड्डू बनाकर एक लड्डू सूर्योदय से पूर्व तथा 1 लड्डू सूर्यास्त के बाद रोगी को खिलायें, 1 लड्डू दोपहर के समय चौराहे पर रखवा दें। इस प्रकार नित्य 3-4 दिन के प्रयोग से आधासीसी का दर्द सदैव के लिए मिटेगा।
• हरे कच्चे अमरूद को प्रात:काल पत्थर पर घिसकर कल्क तैयार कर कपाल पर जहॉं दर्द हो वहॉं लगा दें। इससे 2-3 घण्टे में आधासीसी का दर्द शान्त हो जाता है। एक दिन के प्रयोग से लाभ न हो तो प्रयोग दूसरे दिन भी करें।
• देसी घी की ताजा गरम-गरम जलेबी सूर्योदय से 2 घंटे पूर्व दूध के साथ खिलाने से आधासीसी में अवश्य लाभ हो जाता है।
• स्वच्छ नौसादर को पीसकर सुरक्षित रख लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में सूर्योदय से 1 घंटा पूर्व जल के साथ सेवन कराने से अर्द्धावभेदक तथा अन्य शिर:शूल नष्ट हो जाते हैं।
• काली मिर्च और जौ दोनों को सम मात्रा में लेकर तवे पर भूनें। जब वे काली राख के समान हो जायें, तब पीसकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे 1-1 रत्ती की मात्रा में प्रत्येक 4-4 घंटे पर ताजे जल से सेवन कराने से आधासीसी का दर्द अवश्य नष्ट हो जाता है।
• गाय का ताजा घी सुबह शाम नाक में चढ़ाने से नाक से खून गिरना तथा आधासीसी रोग जड़मूल से नष्ट हो जाता है।
• सिर में जिधर आधासीसी का दर्द हो, उधर के नथुने में 10 बूँद कड़वा तैल डालकर सुंधा देने से दर्द एकदम बंद हो जाता है। दो-चार दिनों के इस प्रयोग से इस रोग से सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है।
• जिस ओर दर्द हो उस ओर के कान में कागजी नीबू के रस की 3-4 बूँदे डालने से आधासीसी का दर्द तत्काल मिट जाता है।
• काली मिर्च पानी में घिसकर जिस ओर दर्द हो उससे (विपरीत) ऑंख में लगादें। यह दवा ऑंख में लगेगी तो बहुत, किन्तु आधासीसी का दर्द एक ही बार के प्रयोग से भाग जायेगा और जीवन में दोबारा नहीं होगा।
• सूर्योदय से पूर्व काली स्याही (जिससे बच्चे प्रारंभ में लिखना शुरू करते है) सलाई द्वारा ऑंखों में लगाने से आधासीसी का दर्द शर्तिया नश्ट हो जाता है।
• आधे सिर के दर्द में नथुनों में अदरक के रस की 2-3 बूँदें 2-2 घंटे के बाद डालने से अवश्य आराम होता है।
आधासीसी नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग:-
सर्पेन्थिन टेबलेट (मार्तन्ड) 1-2 गोली दिन में 2-3 बार दें। यह आधासीसी नामक उत्तम औषधि है। इसके अतिरिक्त अपस्मार व आक्षेप में भी लाभप्रद है।
सरबाइना स्ट्रांग (डाबर) मात्रा उपर्युक्त। सिरदर्द के अतिरिक्त अन्य दर्दों में लाभप्रद है।
दर्दोना टेबलेट (बैद्यनाथ) मात्रा तथा लाभ उपर्युक्त।
दर्दनाशक टेबलेट (बैद्यनाथ) मात्रा तथा लाभ उपर्युक्त।
ए.पी.सी.एम. टेबलेट (देशरक्षक) मात्रा तथा लाभ उपर्युक्त।
शूल केसरी कैपसूल (मिश्रा) 1-2 कैपसूल आवश्यकतानुसार दे।
पीड़ाहर टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद) 2-2 टिकियॉं दिन में 2-3 बार अथवा आवश्यकतानुसर दें।
हैप्पीलेक्स टेबलेट (मेहता) कब्ज के कारण आधासीसी हो तो 2 गोली रात को सोते समय गर्म पानी से सेवन करायें।
ब्राह्मी तेल (झन्डू) मस्तिष्क को शीतल रखता है तथा आधासीसी में लाभप्रद है। सुबह-शाम सिर में मालिश करायें।
पेन बाम (बैद्यनाथ) भयानक सिरदर्द में पीड़ा के स्थान पर मलें।
देशरक्षक नस्य (देशरक्षक) नाक में 4-6 बूँद दिन में 2-3 बार डालें इसे सूंघने से सिरदर्द व जुकाम (प्रतिश्याय) में भी लाभ होता है।
कैलसीसत्व कैपसूल (अतुल फार्मेसी) बुखार के बाद की कमजोरी, क्षय रोग, नजला, जुकाम, दॉंतों के रोग, पुरानी खॉंसी इत्यादि को भी दूरकर वजन बढ़ाने वाली कैल्शियम की पूर्तिकारक उत्तम औषधि है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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