अकबर – बीरबल की तीन मजेदार कहानियाँ!

थोड़ा और बुहत!

एक दिन बीरबल अपनी छोटी कन्‍या को साथ लेकर दरबार में गया। पहले बादशाह ने उस को बहुत प्‍यार किया जब वह प्रसन्‍न होकर कुछ बातें करने को उद्यत हुई तो बादशाह ने पूछा- क्‍यों बेटी! क्‍या तुम बातें करना जानती हो?

जब उस लड़की ने जवाब दिया- थोड़ा और बहुत। बादशाह ने पूछा- इस थोड़ा और बहुत का क्‍या मतलब है?

लड़की बोली- सरकार! इसका मतलब यह है कि बड़ों से थोड़ा बोलना जानती हूँ और छोटों से बहुत। उस लड़की की ऐसी बुद्धिमत्‍तापूर्ण बातें सुनकर बादशाह को बड़ी प्रसन्‍नता हुई, और बीरबल के घराने की स्‍वाभाविक हाजिर जवाबी पर ईश्‍वर को कोटिश: धन्‍यवाद दिया।


घुँघची की माला!

एक दिन धार्मिक बातों पर चर्चा छिड़ी तो बादशाह ने बीरबल से पूछा- क्‍यों बीरबल! तुम्‍हारे कृष्‍ण भगवान घुँघची की माला क्‍यों पसंद करते है? उन्‍हें एक से एक अमूल्‍य रत्‍नों की मालाऍं क्‍यों नहीं पसंद आती?

बीरबल ने उत्‍तर दिया- पृथ्‍वीनाथ! हमारे शास्‍त्र में ऐसा लिखा है कि जो एक बार भी सोने से तौला जाता है वह पवित्र हो जाता है, फिर यह घुँघची के माले की इतनी प्रतिष्‍ठा की जाती है। इसी विचार से भगवान कृष्‍ण भी बहुमूल्‍य हीरे मोतियों की मालाओं को न पहनकर इसे अपने गले का हार बनाते हैं। इस उत्‍तर से बादशाह का चेहरा खिल गया और हँस पड़े।


बीरबल के कुटुम्‍ब की परीक्षा!

एक दिन बादशाह के मन में बीरबल के कुटुम्‍ब की परीक्षा लेने का उमंग उठा। वे अपना भेष बदलकर कई अन्‍य सभासदों के साथ बीरबल के घर पहुँचे। इस समय बीरबल के घर पर कोई बड़ा बूढ़ा आदमी नहीं था, वे लोग निजी काम से घर से बाहर चले गये थे। केवल बीरबल का एक छोटा लड़का और एक लड़की आपस में द्वार पर खेल कूद मचा रहे थे। लड़के ने बादशाह को देखकर कहा- वह आये। तब लड़की ने लड़के के प्रश्‍न का उत्‍तर दिया- वह नहीं है। बीरबल की स्‍त्री दालान में बैठी हुई कुछ दस्‍तकारी कर रही थी, वह भी इनकी बातें बराबर सुनती जा रही थी। वह बोली- बच्‍चों! यह भी होता है और वह भी होता है।

इन तीनों की उपरोक्‍त गुप्‍त वार्ता सुनकर बादशाह लौट गया और दरबार में पहुँचकर समस्‍त दरबारियों के सामने इस बात की चर्चा की और उसका अर्थ भी पूछा- वह आये, वह नहीं हैं, और यह भी होता है वह भी होता है। ऐसी भेदभरी बातें सुनकर सब लोग चकित होकर बादशाह का मुह देखने लगे। कितने दरबारियों ने तो लज्‍जा वश अपनी गरदन नीची कर ली और नाखून से जमीन कुरेदने लगे। जब बादशाह ने देखा कि इनसे कोई मतलब नहीं निकलेगा तो वह बीरबल को बुलवाया और उससे भी ऊपर कही बातें सुनाकर उसका अर्थ पूछा।

बीरबल ने कहा- गरीब परवर! यह वार्ता किसी मूर्ख पर छिड़ी थी। प्रश्‍न का तात्‍पर्य यह निकलता है कि किसी सभ्‍य के घर उसकी अनुपस्थिति में जाना उचित नहीं है और यदि कोई हठकर मूर्खतावश जावे ही और और उसके घर वाले उसके लिऐ ऐसा कहें तो समझना चाहिए, वह आये, यानी बैल राज आये। वह नहीं है, याने इनको सींग नहीं है। यह भी होता है और वह भी होता है, का यह अभिप्राय है कि किसी-किसी बैल को सींग रहती है और किसी-किसी को नहीं भी।

बादशाह बीरबल के ऐसे सारगर्भित उत्‍तर को सुनकर शरमिन्‍दा हुआ और उसने मन में ऐसी गुस्‍ताखी आगामी कभी न करने का प्रण कर लिया।

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