रोग परिचय:- यह स्वयं में कोई रोग नहीं है, बल्कि शरीर में उत्पन्न हो रहे अथवा उत्पन्न हो चुके अन्य दूसरे रोगों का एक विकार (लक्षण) मात्र है।
• भांग को बकरी के दूध में पीसकर पैर के तलुओं पर मालिश करने से अथवा पलकों पर लेप करने से उत्तम निद्रा आती है।
• स्वर्णक्षीरी (सत्यानाशी) के तैल की 1 बूंद बताशे में डालकर खिलाने तथा ऊपर से दूध पिलाने से अनिद्रा दूर हो जाती है।
• बैंगन के पत्तों का रस 20 ग्राम, इतना ही सफेद प्याज का रस और शहद 15 ग्राम एकत्र मिलाकर रात्रि के समय सोने से 1 घंटा पूर्व देकर ऊपर से थोड़ा दूध पिला देने से गहरी नींद आती है तथा स्नायु मण्डल का तलाव कम हो जाता है।
• सर्पगन्धा का चूर्ण अथवा खुरासानी अजवायन 1-1 ग्राम रात्रि-शयन के पहले दूध से ले लेने से निद्र भली प्रकार आती है।
• सौंफ 6 ग्राम, पानी 40 ग्राम लेकर क्वाथ करें। जब पानी 10 ग्राम शेष रह जाये तो उसमें 1 पाव गाय का दूध और 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर पिलाने से अनिद्रा में लाभ होता है।
• सर्पगंधा तथा कली मिर्च दोनों सम मात्रा में लेकर अलग-अलग कूट पीसकर सुरक्षित रखें। इसे 250 मि.ग्रा. कैपसूल में भरकर 2 कैपसूल रात्रि में सोते समय दूध या जल से अनिद्रा में सेवन कराना लाभप्रद है।
• भैंस का दूध 300 ग्राम, इतना ही पानी, एक साल पुराना गुड़ एवं 10 ग्राम पीपरामूल मिलाकर औटाकर दूधमात्र शेष रह जाने पर पिलाने से तत्काल निद्रा आती है।
• असगन्ध का चूर्ण 6 ग्राम तथा थोड़ा सा घी लें। इसे शक्कर (चीनी) में मिलाकर प्रतिदिन रात्रि को सेवन करने से थकावटजन्य अनिद्रा दूर होती है। इस प्रयोग से प्रगाढ़ निद्रा आती है।
• हरमल 2 ग्राम को शहद के साथ लेने से रात्रि में निद्रा आती है।
• शंखपुष्पी और अश्वगन्धा चूर्ण 3-3 ग्राम, घी तथा मिश्री मिलाकर सेवन करने से अनिद्रा में लाभ होता है।
• एरन्ड तैल को दीपक में जलाकर उससे काजल तैयार कर ऑंख में ऑंजने से अनिद्रा दूर हो जाती है।
• सौंफ 6 माशा जौकुट करें, पानी 40 तोला लेकर क्वाथ करें। 10 तोला शेष रह जाने पर नमक मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से (यह एक मात्रा है) अतिनिद्रा (अधिक नींद आने का) रोग ठीक हो जाता है।
• हरे धनिये का स्वरस निकाल कर 25 मि.ली. में 10 मि.ग्रा. मिश्री मिलाकर पिलाने से गैस रोग से पीडि़तों को अनिद्रा रोग नष्ट होकर सुखद निद्रा आने लगती है।
• खुरासानी अजवायन का क्वाथ (क्वाथ विधि से) बनाकर नित्य ढाई-ढाई तोला में सुबह-शाम पिलाने से कम्पवात, अनिद्रा, भ्रम, मिर्गी, योषापस्मार एवं सन्धिवात दूर हो जाते हैं।
अनिद्रा नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदीय योग:-
सरपिन टेबलेट (हिमालय ड्रग) आधी से 1 गोली दिन में 3 बार अथवा रात्रि को सोने से पूर्व 1-2 गोली दें। यह अनिद्रा नाशक उत्तम औषधि है। रक्तदाब (ब्लड प्रेशर) भी कम करती है।
साइलेडिन टेबलेट (अलारसिन) दिन में 2-3 बार 2-2 टेबलेट (अंतिम मात्रा सोते समय लें) लाभ उपर्युक्त की भॉंति।
ब्राह्मी घनसत्व टेबलेट (गर्ग बनौऔषधि) दिन में 2-3 बार 1-2 गोली दें। अनिद्रा-नाशक औषधि है। मस्तिष्क-जन्य उष्णता भी कम करती है।
निद्राशी (धन्वन्तरि कार्या.) सिर पर मालिश हेतु यह तैल अनिद्रा एवं सिर चकराना आदि में अत्यन्त लाभकारी है।
दिमाग दोषहरी (देशररक्षक) 1-2 गोली दिन में 3 बार दें। स्नायुपुष्टिकारक है तथा बिना नशा तीव्र नींद लाने वाली औषधि है।
निद्रायनी शुगर कोट टेबलेट (झन्डू) मात्रा व लाभ उपर्युक्त।
सीरप शंखपुष्पी (ऊंझा व बुन्देलखण्ड) 2-2 चम्मच सुबह-शाम दूध में मिलाकर दें। अनिद्रा दूर करता है तथा मस्तिष्क का टॉनिक है।
ब्राह्मी शंखपुष्पी सीरप (गर्ग बनौऔषधि) मात्रा लाभ उपर्युक्त।
सर्पगन्धा घनसत्व कैपसूल (अतुल फार्मेसी) अनिद्रा तथा रक्तचाप वृद्धि में अति उपयोगी महौषधि है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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