दोस्तों आप आज तक आप सिर्फ केला खाते रहे होगें पर आप इस पोस्ट में जानेंगे की केला खाने के आयुर्वेद शास्त्र में क्या क्या फायदे बताये गये है
• सर्वविदित गूदेदार अत्यन्त मीठा, सुस्वाद और पौष्टिक सर्वप्रिय फल है।
• केले के वृक्ष को सुखाकर, जलाकर इसकी भस्म बनाकर सुरक्षित रखलें। यह भस्म 4 से 8 रत्ती तक मधु से चाटने से कुकरकास (कुत्ता खांसी या काली खांसी) जड़मूल से नष्ट हो जाती है।
• केले की भस्म को पानी में घोलकर जल को निथारकर (इस जल को) चौथाई से ढाई तोला तक की मात्रा में नित्य पीने से मूत्राशमरी और मूत्रकृच्छ रोग दूर हो जाते हैं और पेशाब खुलकर आता है, क्योंकि यह मूत्रल है।
• केले के पत्तों को सुखाकर कैंची से बारीक काटकर चिलम में भरकर नित्य पीने से क्षयज कास (खाँसी), जीर्ण कास (खाँसी), शर्तिया थम जाती है। प्रथम दिन के प्रयोग से ही लाभ मिलता है तथा कुछ दिनों के स्थायी प्रयोग से पूर्ण लाभ हो जाता है।
• जंगली केले के वृक्ष के पके फलों के गूदे में राई और साबूदाना आकार के सांवले बीज निकलते हैं। ये बीज मसूरिका, रोमान्तिका रोग की अमोघ औषधि है। इन बीजों को 4 से 8 रत्ती तक की मात्रा में छोटे बच्चों को 1 से डेढ़ माशा तक और बड़े बच्चों को 2 से 3 माशा तक खिलाने से मसूरिका (स्माल पाक्स) का अाक्रमण नहीं होता है। यदि हो गई हो तो इस प्रयोग से धीरे-धीरे अवश्य ही शांत हो जाती है।
• केले को सुखाकर आटा तैयार कर इसकी बनाई गई रोटियां अत्यधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। कमजोर हाजमा वालों के लिय अत्यन्त हितकर है।
• स्कर्वी रोग से ग्रसित रोगी को केला रोगमुक्त कर उसका वजन व शक्ति बढ़ा देता है।
• केला के सेवन से अंतडि़यों में भोजन से विजातीय द्रव्यों की सड़न क्रिया पर पूर्णरूपेण प्रतिबंध लग जाता है।
• छोटे बच्चों को केला का चूर्ण बनाकर लगातार 6 मास तक सेवन करने से वे हष्ट-पुष्ट, फुर्तीले और स्वस्थ हो जाते हैं और चेहरे रक्त की लालिमा से दमक उठते हैं।
• गुर्दे की बीमारी में केले का सेवन करना अत्यन्त ही हितकारी है।
नोट- कच्चा केला दुष्पाच्य होता है, अत: कच्चे केले की सब्ची ही बनाकर खायें। पका केला शर्करा से भरपूर होता है इसमें 5 भाग शर्करा और 1 भाग स्टार्च होता है। एक केला में 100 कैलोरीज शक्ति होती है। यह शरीर में शीघ्र भेदकर तुरंत शक्ति प्रदान करता है। थकावट दूर कर फुर्तीला बनाता है। केले में कैल्शियम (चूना) मैग्नेशियम फास्फोरस, तेजाब सल्फर (गंधक) लोहा और तांबा के तत्व हैं तथा आयोडीन भी होती है। केले में प्रोटीन और चर्बी की मात्रा कुछ कम होती है किन्तु जब इसे दूध के साथ सेवन किया जाता है तब यह एक संपूण भोजन बन जाता है। केले में विटामिन ए, बी, सी, जी, और ई भरपूर मात्रा में होता है। केला कब्ज नहीं करता है (जैसा कि आम जनमानस में धारणा है) बल्कि केला कब्ज को दूर करने में सहायक है। कच्चे केले में स्टार्च अधिक होता है इसीलिए इसे पके केले की भांति नहीं खाना चाहिए (क्योंकि यह जल्दी नहीं पचेगा) इसका सब्जी के तौर पर पकाकर खाना ही श्रेष्ठ है। केला कभी सड़ता नहीं है (जैसाकि आम धारणा है कि केले पर कालिमा आना उसके सड़ने की निशानी है, यह धारण एकदम गलत है, बल्कि केले के खाने का यही समय होता है) कच्चे केले की सब्जी भी पौष्टिक और विटामिनों से भरपूर होती है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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