रोग परिचय:- खॉंसी श्वास प्रणाली के अनेक विकारों का एक लक्षण है केवल श्वास-प्रणाली ही नहीं, बल्कि यकृत (Liver) की खराबी के कारण से खाँसी का प्रकोप हो जाया करता है।
⇒ खाँसी के आयुवेर्दिक उपचार।
• छिलके सहित अखरोट की भस्म कर 1 ग्राम की मात्रा में 6 ग्राम शहद मिलाकर सेवन कराना खाँसी में लाभप्रद है।
• साफ की हुई अजवायन 1 ग्राम की मात्रा में नित्य रात्रि के समय पान के बीड़े में रखकर खिलाने से खाँसी में लाभप्रद है।
• साधारण खाँसी में अदरक के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करना लाभप्रद है। इसमें यदि थोउ़ा सा काला नमक भी मिला लिया जाये तो योग और भी विशेष लाभ्कारी हो जाता है।
• क्षय रोग की खाँसी में रात्रि को सोते समय एक मुनक्का में अफीम एक चौथाई रत्ती भरकर निकलवा देने से रात्रि में रोगी को बार-बार खाँसी नहीं डठती है, और निद्रा शांतिपूर्वक आती है।
• आक के पुष्पों की लौंग निकालकर उसमें सेंधा नमक तथा पीपल मिलाकर खूब बारीक पीसकर उड़द के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे 2 से 4 गोली तक दूध के साथ दें। बच्चों की आधी मात्रा सेवन करायें। खाँसी नाशक योग है।
• ऑंवला चूर्ण 20 ग्राम, दूध 125 ग्राम तथा जल 400 ग्राम का मिश्रण कर हल्की आग में पकायें। जब दूध शेष मात्र बचे तभी छानकर उसमें 6 ग्राम गोघृत (गाय का घी) मिलाकर सुबह-शाम (दिन में 2 बार) इसी प्रकार सेवन कराने से शुष्क खाँसी अथवा बेगपूर्वक चलने वाली खाँसी नष्ट हो जाता है।
• तुलसी के पत्ते 15 नग, काली मिर्च 9 दाने इनकी चाय बनाकर पीने से खाँसी, जुकाम, बुखार, कफ विकार, मन्दाग्नि इत्यादि रोग नश्ट हो जाते है।
• काली मिर्च कूट-पीसकर कपड़छान कर सुरक्षित रख लें। इसे 2 से 4 ग्रेन तक दिन में 2-3 बार शहद से चटाना खाँसी में अत्यन्त लाभप्रद है।
• वृद्धावस्था की खाँसी में (जिसमें कफन नहीं निकलता है) दो ग्राम काला नमक की डली (टुकड़ा) को मुँह में डाल लें (चूसें नहीं बल्कि जितनी स्वयं घुले, उसे घुलने दें) प्रथम रात्रि से ही लाभ मिलेगा।
• केले के सूखे पत्तों की राख बनाकर कपड़छन कर सुरक्षित रखें। इसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ग्रीष्म ऋतु में नमक के साथ तथा शीतकाल में शहद के साथ मिलाकर चटाने से सभी प्रकार की खाँसी में शर्तिया लाभ होता है। सहस्त्रों बार परीक्षित योग है।
• हरड़, बहेड़ा आँवला, सौंठ, काली मिर्च और पीपल सभी को सम भाग लेकर कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इसे प्रतिदिन 2-3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चटाने से प्रत्येक प्रकार की खाँसी नष्ट हो जाता है।
• फिटकरी भुनी हुई 10 ग्राम तथा इतनी ही देसी खाँड़ दोनों को बारीक पीसकर सूखी खॉंसी वाले रोगी को दूध के साथ तथा आर्द्र (गीली, कफयुक्त) खाँसी वाले रोगी को जल के साथ मात्र 14 पुडि़या बनाकर सेवन करायें। इस प्रयोग से पुरानी से पुरानी खाँसी यहाँ तक कि साधारण दमा तक दूर होता है।
• सरसों का तेल गुदा के भीतरी भाग तथा बाहरी भाग (ऊपर) लगाने से प्रत्येक प्रकार की खाँसी नष्ट हो जाती है।
• बार-बार शीशा (दर्पण) देखना खाँसी में लाभप्रद है।
• अतीस का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटना खाँसी में अत्यन्त लाभप्रद है।
• तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से सूखी खाँसी नष्ट हो जाती है।
• तालीस पत्र (3 ग्राम को) गरम पानी में मसलकर पीने से दुर्जन्य प्रकार की खाँसी भी नष्ट होती है।
• सुहागा फुलाकर तथा बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटायें। गरम पानी में डालकर भी सेवन कराया जा सकता है। अत्यन्त अदभुत, चमत्कारी योग है। प्रथम दिन के सेवन से ही खॉंसी मिट जाती है। कुछ दिनों के प्रयोग से जुकाम भी मिट जाता है।
• मुलहठी 3 ग्राम, दालचीनी 1 ग्राम, छोटी इलायची सात नग, मिरी 20 ग्राम लें। प्रथम औषधियों को जौकुट कर 400 ग्राम पानी में औटावें। जब आधा पानी शेष रह जाए तब उतार कर छाल लें तथा मिरी मिलाकर रोगी को सुबह शाम पिलायें। परहेज में गुड़, तैल, खटाई एवं लाल मिर्च का सेवन न करें। मात्र 3 दिन के प्रयोग से नजला ठीक हो जाता है।
• अदरक 6 ग्राम, काली मिर्च 6 ग्राम तथा पुराना गुड़ 20 ग्राम लें। अदरक के बारीक टुकड़े कर लें एवं काली मिर्चों को कूट लें फिर सभी वस्तुओं को 250 ग्राम जल में औटा लें। पानी चौथाई शेष बचे तब उतारकर छानकर रोगी को पिला दें। मात्र 2-3 दिन के प्रयोग से खाँसी, जुकाम भाग जायेगें।
• अदरक का रस 6 ग्राम तथा 6 ग्राम शुद्ध मधु दोनों को मिलाकर चाटने से श्वास, खाँसी, सर्दी, जुकाम, कफ तथा अरूचि नष्ट हो जाती है।
• काकड़ा सिंगी 10 ग्राम को बारीक पीसकर 4-4 ग्रेन की पुडि़या बनाकर रख लें। सुबह-शाम 1-1 पुडि़या पानी से सेवन करायें। यह तुच्छ योग बड़े-बड़े मूल्यवान योगों का कान काटने वाला तथा गुणों से भरपूर है।
• दूध 250 ग्राम, पानी 125 ग्राम, हल्दी की 1 गॉंठ का चूर्ण तथा गुड़ आवश्यकतानुसार सभी को औटा लें और दुग्ध मात्र शेष रह जाने पर उतारकर छानकर थोड़ा गरम-गरम ही रोगी को पिलाने से खॉंसी में शर्तिया लाभ हो जाता है। परीक्षित है।
• दो लौंग तवे पर भूनकर (गरम तवे पर 1 मिनट में ही लौंग फूली हुई नजर आने लगेगी, तभी उतार लें) बारीक पीसकर 1 चम्मच दूध में मिलाकर गुनगुना करके सोते समय रात्रि में बच्चे को पिलायें। यह योग बच्चों की खाँसी के लिए अत्यन्त साधारण किन्तु प्रभावशाली है।
• खिले चना, मिश्री, दक्खिनी मिर्च (सफेद) तथा पोस्त के दाने सभी 10-10 ग्राम। इन सबको मिलाकर (चूर्ण बनाकर) सुरक्षित रख लें। इस औषधि को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चों को चटाते रहने से बच्चों की खाँसी में अत्यन्त लाभ होता है।
• शुष्क कास (सूखी खाँसी) में अमरूद का फल बिना चाकू से काटे ही चबा कर खाना लाभप्रद है। प्रयोग दो-तीन बार करें।
• छोटे बच्चों को कभी-कभी मुँह के अंतर तालु के पास वाली छोटी चीभ के बढ़ जाने से भयंकर खाँसी पैदा हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में इमली के बीजों को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर तालू (मुंह के अंदर का ऊपरी हिस्सा) पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप करना लाभप्रद है। इस लेप के सूखते ही अंदर की जीभ अपने स्थान पर बैठ जाती है और खाँसी आना बंद हो जाता है।
• साधारण खाँस में कचूर (Zedoary काली हल्दी) का टुकड़ा मुख में रखकर चूसना लाभप्रद है।
• काली मिर्च का 2-3 ग्राम चूर्ण शक्कर या मिश्री तथा शहद और घी (विषम मात्रा में) एकत्र कर चाटने से कफ निकल कर खाँसी में लाभ होता है।
• पान के रस को शहद के साथ चटाना बच्चों की खाँसी में लाभप्रद है।
• लाख का चूर्ण 2-2 रत्ती की मात्रा में 3 ग्राम मक्खन में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग कराने से कुकुरकास (काली खाँसी) नष्ट हो जाती है।
• गैस का जला हुआ मैंन्टल पीसकर इसमें दुगुना यव (जौ) क्षार का चूर्ण मिलाकर 1-1 रत्ती की मात्रा में मधु के साथ दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर, शाम) चटाना कुकुरकास (काली खॉंसी) में लाभकारी है।
• कुकुरकास के कारण जब बच्चा खाँसते-खाँसते अत्यधिक परेशान हो तो उसकी जीभ पर थोड़ी-सी वैसलीन लगा दें। तुरन्त ही खाँसी का वेग थम जाता है।
• पुराने चूते के चमड़े को पानी से भली प्रकार धो एवं सुखाकर फिर इसे जलाकर महीन चूर्ण कर सुरक्षित रख लें। इसे 1 रत्ती की मात्रा में 1 चम्मच दूध या मधु से सुबह, दोपहर, शाम दिन में 3 बार चटाना अत्यन्त लाभकारी है।
⇒ खाँसी के लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं।
• डीकोफ्सिन टेबलेट (अलारसिन) – प्रथम सप्ताह 2 टिकिया दिन में 3 बार तत्पश्चात् 2-2 टिकिया दिन में 2 बार 3-4 सप्ताह तक दें। यह औषधि प्रत्येक प्रकार की खाँसी में निरापद तथा प्रभावशाली है।
• कोफोल टेबलेट (चरक) – दिन भर में 5-6 बार चूसने को निर्देशित करें। कफ को पतलाकर निकालती है तथा खाँसी को कम करती है।
• सर्टिना टेबलेट (चरक) – 2-2 गोली दिन में 3 बार बच्चों को 1-1 गोली दिन में 3 बार दें। सभी प्रकार की खाँसी, विशेषत: क्षयज कास (टी.बी.) में विशेष उपयोगी है।
• कासना टेबलेट (राजवैद्य शीतल प्रसाद) – दिन में 5-6 बार चूसें। कफ को पतलाकर निकालती है तथा खाँसी को नष्ट करती है।
• कासहर वटी (धन्वन्तरि कार्या.) – मात्रा सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• केफ टेबलेट (वैद्यनाथ) – मात्रा सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• कासनाश टेबलेट (ज्वाला आयु.) मात्रा सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• कास वटी (वैद्यनाथ) – मात्रा सेविन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• मुलहठी धनसत्व टेबलेट (गर्ग बनौऔघधि) – मात्रा सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• झेप्स टेबलेट (झन्डू) – मात्रा सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• कासारि शर्बत (धन्वन्तरि कार्या.) – गरम जल में 1-2 चम्मच दें।
• ड्रिकोनिल लिक्विड (चरक) – आधी से डेढ़ चम्मच दें।
• कासनाशी (ज्वाला आयु.) – 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में।
• कफ सीरप (वैद्यनाथ) – 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में।
• कासामृत सीरप (वैद्यनाथ) – 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में।
• कैम्फोकोडी वसाका (झन्डू) – 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में।
• एलरीना सीरप (झन्डू) – 1-2 चम्मच 3-4 बार दिन में।
• जुकामहारी (गर्ग बनौऔषधि) – गरम जल में 2-3 चम्मच डालकर दें। जुकाम युक्त कास में परम उपयोगी।
• जुकाम रिपु सीरप (अतुल फार्मेसी) – सेवन विधि व लाभ उपर्युक्त।
• कासहर सीरप (भजनाश्रम) – 1-2 चम्मच दिन में 3-4 बार प्रत्येक प्रकार की खाँसी में लाभप्रद है।
• कफोल सीरप (देशरक्षक) – मात्रा व लाभ उपर्युक्त।
• सोमा सीरपसीरप (मार्तन्ड) – मात्रा व लाभ उपर्युक्त। टेबलेट तथा सूची विधि भी उपलब्ध है।
• अपामार्गादि घनसत्व टेबलेट व कैपसूल (गर्ग बनौओषधि) – 1-2 केपसूल दिन में 3 बार श्वासयुक्त कास में विशेष उपयोगी है।
• श्वास कासारि कैपसूल (जी.ए. मिश्रा) – मात्रा व लाभ उपर्युक्त।
• यष्टीमधु चूर्ण (झन्डू) 1-2 ग्राम दिन में 2-3 बार चटायें। यह कफज कास में विशेष उपयोगी है।
• कूका कफ सीरप- प्रत्येक प्रकार की खॉंसी, नजला, जुकाम में गुणकारी है। छाती में जमे कफ को बाहर निकालता है तथा नया बलगम बनने से रोकता है। हानि रहित आयुर्वेदिक परिवार के लिए उपयोगी कफ सीरप है। इसके निर्माता मुल्तानी फार्मास्युटिकल्स लि. 36 एच. कनाट प्लेस नई दिल्ली 110001 है।
• खॉंसी मुक्ता (पेय) (घन्वन्तिरि फार्मेसी) – का सेवन प्रत्येक प्रकार की खाँसी, जुकाम, नजला, काली खाँसी, श्वास वाली खाँसी इत्यादि में अत्यन्त लाभप्रद है।
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स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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