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हाल ही अमरीका के साइलंट स्प्रिंग इंस्टीट्यूट की ओर से हुई रिसर्च में सामने आया है कि फास्ट फूड पैक करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पेपर, कंटेनर आदि आपको बीमार बना सकते हैं।
बर्गर, पिज्जा या अन्य फास्ट फूड से होने वाले नुकसान के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन घर बैठे जब आप इन्हें ऑर्डर करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य को दोगुना नुकसान पहुंचाते हैं। हाल ही अमरीका में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि फास्ट फूड को पैक करने के लिए जिस कागज, प्लास्टिक या कंटेनर का इस्तेमाल किया जाता ह, उसमें फ्लोरीन की मात्रा होती है। खाने के जरिए फ्लोरीन हमारे शरीर में पहुंचता है। लंगे समय तक इसके इस्तेमाल से बीमारियां धीरे-धीरे अपना घर बनाने लगती है।
कई प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल
ज्यादा मात्रा में फ्लोरिनेटेड कैमिकल्स जिन्हें पीएफएएस या पीएफसी के जौर पर जाना जाता है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इन कैमिकल्स का इस्तेमाल दाग-धब्बे मिटाने, पानी को रोकने और नाफन स्टिक बर्तनों, फर्नीचर, कारपेट, कपड़ों, सौंदर्य प्रसाधनों आदि में किया जाता है। लेकिन इन दिनों फूड इंडस्ट्री में पैकेजिंग के लिए भी इनका इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है।
यह है स्टडी
हाल ही अमरीका के विभिन्न इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स के एक ग्रुम ने फूड पैकेट के लिए इस्तेमाल एि जाने वाले विभिन्न कागज, प्लास्टिक और कंटेनर्स पर स्टडी की। इसके तहत विभिन्न देशों के 27 फास्ट फूड रेस्टोरेंट्स से 400 से ज्यादा सैंपल लिए गए। स्टडी में सामने आया कि आधे से ज्यादा पेपर रैपर्स जिनमें बर्गर रैपर्स, पेस्ट्री बैग्स आदिश् शामिल हैं और फ्रेंच फ्राइज और पिज्जा पैक किए जाने वाले पेपर बोर्ड के 20 प्रतिशत नमूनों में फ्लोराइन अत्यधिक मात्रा में उपस्थित था। फास्ट फूड में मिलाए कैमिकल्स भी पैकेट के साइड इफेक्ट्स को बढ़ाता है।
फ्लोराइन की उपस्थिति
नॉट्रे डेम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओ के अनुसार पीएफएएस का अपघटन आसानी से नहीं होता। ऐसे में वह लंबे समय तक पर्यावरण और हमारे शरीर में बने रहते हैं। इनका इस्तेमाल चीजों को चिकनी और दाग रहित बनाने के लिए किया जाता है।
फ्लोराइन की उपस्थिति का ऐसा रहा प्रतिशत:-
सैंडल्स और बर्गर के रैपर 38 प्रतिशत।
मिठाई औश्र ब्रेड का रैपर 56 प्रतिशत।
खाना पैक करने वाला पेपर 46 प्रतिशत।
पेपरबोर्ड में 20 प्रतिशत।
जूस, दूध आदि पेय पदार्थ में 16 प्रतिशत।
स्वास्थ्य पर यह असर
फ्लोरिनेटेड कैमिकल्स की अत्यधिक मात्रा किडनी और टेस्टीक्युलर कैंसर के साथ ही कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती है। प्रजनन शक्ति कमजोर करती है। थयरॉइड व हॉर्मोन की प्रक्रिया में बदलाव लाने के साथ ही बच्चों के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। प्रेशर महिलाओं के रक्त में पीएफएएस की ज्यादा मात्रा से गर्मपात की आशंका बढ़ जाती है। प्रेशर के दौरान यह कैमिकल प्लेसेंटा और ब्रेड मिल्क को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा भी कई तरह से नुकसान करता है।
बचाव
ज्यादा से ज्यादा फ्रेश फूड पर जोर दें और ग्रीस प्रूफ पैकेजिंग में खाना पैक कराकर ले जाने से बचें। रेस्टोरेंट्स से पैकेट के लिए फ्लोरिनेटेड कैमिकल्स से मुक्त चीजों का इस्तेमाल करने के लिए कहें। मिठाई या फ्रेंच फ्राइज जैसी चीजें पेपर कप या ऐसे पेपर बैग्स में पैक करवाएं, जिनमें फ्लोराइन न हो।
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