सूरदास जी का दोहा क्रमांक : 11) कबहुं बोलत तात खीझत जात माखन खात। अरुन लोचन भौंह टेढ़ी बार बार जंभात॥ कबहुं रुनझुन चलत घुटुरुनि धूरि धूसर गात। कबहुं झुकि कै अलक खैंच नैन जल भरि जात॥ कबहुं तोतर बोल बोलत कबहुं बोलत तात। सूर हरि की निरखि सोभा निमिष तजत न मात॥ अर्थ: यह […]
Category: Dohe / Couplets
सूरदास जी, गोस्वामी तुलसीदास जी, रहीम दास जी, कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित हिंदी में | Read Surdas Ji, Tulsidas ji, Rahim Das ji, Kabir Das Ji Famous Dohe ( Couplets ) Arth Sahit in Hindi