रोग परिचय :- इस रोग की आजकल बहुतायत हो गई है। इस रोग में शर्करा (Sugar) बिना किसी रासायनिक परिवर्तन के मूत्र के साथ बाहर निकलती रहती है। इस रोग में शक्कर पच नहीं पाती है तथा रोगी को मूत्र अधिक आता है। बार-बार मूत्र त्याग के कारण प्यास भी अधिक लगती है, मुख सूखता रहता है, रोगी कमजोर व कृषकाया (शरीर से क्षीण) हो जाता है।
मधुमेह का आयुर्वेदिक उपचार:-
Ayurvedic treatment of diabetes in Hindi
• जामुन की गुठली का चूर्ण सौंठ, 50-50 ग्राम तथा गुडमार बूटी 100 ग्राम लें। सभी को कूटपीसकर कपड़छन कर लें। फिर ग्वारपाठे के रस में घोटकर झड़बेर (जंगली बेर) के समान गोलियाँ बना लें। ये 1-1 गोली दिन में 3 बार शहद के साथ प्रयोग करायें। एक माह तक प्रयोग जारी रखें।
नोट- इस योग के प्रारम्भ करने से पूर्व 3 दिन का उपवास करें। इस रोग में शक्कर अथवा शक्कर से बनी मिठाईयाँ, पकवान व पेय निषेध है। रोगी कम खाये। हरी साग- सब्जियों का प्रयोग अधिक करें। अल्प मात्रा में फल ले सकते हैं। दिन में सोवें, स्वच्छ पानी में तैरना लाभप्रद है, कम बोलें, व्यायाम (शारीरिक शक्तिनुसान) अवश्य करें, यदि कर सकें तो नित्य 30 ग्राम गौ मूत्र का पान करें, अवश्य लाभ होगा।
• केवल चने की रोटी सात दिनों तक खाने से पेशाब की शक्कर बंद हो जाती है। गूलर के पत्तों के उबाले जल से स्नान करें। खूब घूमें, पानी एक साथ न पीकर कई बार में थोड़ा-थोड़ा पियें। आँवले के रस में मधु मिलाकर सेवन करें। नासपाती, सेब, अमरूद, नीबू, करेला, टमाटर लाभकारी है। जौ की रोटी खाना भी लाभप्रद है। एक समय रोटी तथा एक समय फलाहर तथा बिना चीनी का दूध लेना लाभप्रद है।
• बढि़या क्वालिटी के उत्तम छुहारे लेकर उनके टुकड़े कर उनकी गुठलियाँ निकाल दें। उसके 3-4 टुकड़े मुख में रखकर चूसते रहें। दिन भर में 8-10 बार लगातार 5-6 माह तक चूसें। लाभप्रद है।
• हरी गिलोय 40 ग्राम, पाषाण भेद तथा शहद 6-6 ग्राम लें। तीनों को मिलाकर 1 माह पियें। मधुमेह नष्ट हो जायेगा।
• 5 ग्राम की मात्रा में शुद्ध शिलाजीत प्रतिदिन दूध में डालकर पीने से मधुमेह शर्तिया नष्ट हो जाता है। कम से कम 1 किलो शिलाजीत का सेवन कर लें। यह प्रयोग सर्दियों की ऋतु में करें।
• गुड़मार बूटी, जामुन की गुठली दोनों सममात्रा में लेकर कूटपीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गरम पानी के साथ नित्य सेवन करें। लाभप्रद है।
• 20 ग्राम बिनौले को कूटकर 600 ग्राम पानी में औटावें। जब चौथाई रह जाये तब मल छानकर 10-10 ग्राम जल दिन में 3-4 बार में पिलायें। कुछ दिनों के निरन्तर सेवन से स्थायी लाभ हो जायेगा।
• चित्रक के पंचाग को यवकुट (जौकुट) करके 6 ग्राम की मात्रा में प्रात: सायं 300 ग्राम पानी में डालकर पकायें। जब 500 ग्राम पानी शेष रह जाये तब अग्नि से उतार छानकर गुनगुना ही रोगी को पिलायें। मात्र 3 सप्ताह के सेवन से मधुमेह एवं बहुमूत्र रोग नष्ट हो जाता है। अल्प-मोली घरेलू प्रयोग है।
• वट वृक्ष ( बड़ या बरगद) की 400 ग्राम छाल को 400 ग्राम पानी में पकायें। जब पानी 200 ग्राम शेष बचे, तब उतार छानकर दोनों समय (सुबह और शाम) 1-1 मात्रा पिलायें। एक माह मात्र के नियमित सेवन से मधुमेह रोग नष्ट हो जाता है।
• जामुन की गुठली 12 ग्राम तथा अफीम 1 ग्राम लें। दोनों को जल के साथ घोटकर 32 गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर शीशी में सुरक्षित रख लें। 2-2 गोली सुबह शाम जल के साथ निकलवायें। जौ की रोटी और हरे साग सब्जियों का प्रयोग अधिकता से करें।
• शीतलचीनी, गुडमार, असगन्ध, शंखहूली सभी समभाग लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें। सुबह शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में ताजा जल के साथ दें। मधुमेह में अत्यंत लाभकारी है।
• करेले का रस नित्य प्रात: काल 2 तोला की मात्रा में खाली पेट और भोजनोपरान्त पीने से 10 दिन में ही शर्करा का पेशाब में जाना बंद हो जाता है। मधुमेह का अत्यन्त सफल प्रयोग है। करेला के रस को सुबह-शाम नित्य खाली पेट पीने से उदर की बढ़ी हुई तिल्ली (स्पलीन) कम हो जाती है।
• काली मिर्च व काला जीरा 2-2 तोला, तुलसी के पत्ते 2 तोला, काला नमक 1 तोला लें। सभी को खरल में डालकर जल के साथ घोटकर बेर के बराबर गोलियॉं बनालें। यह 1-1 गोली सुबह शाम जल के साथ लें। केवल 1 माह के अंदर बहुमूत्र रोग जड़ से नष्ट हो जायेगा।
• करेलों के छाया-शुष्क टुकड़ों का महीन चूण बनाकर इसे 6 ग्राम की मात्रा में जल के साथ लेने से मूत्र में शर्करा आना धीरे-धीरे बंद हो जाता है।
• गुड़मार के चूर्ण को करेले के रस की 8 भावनायें देकर सुखाकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे सुबह-शाम 3 से 6 ग्राम की मात्रा में जल के साथ्ज्ञ लेने से तथा पूर्ण संयम के साथ पथ्य सेवन करने से महीना-डेढ़ महीना में मधुमेह नष्ट हो जाता है। इस रोग में मांस, मछली, अण्डे का शोरबी, घी मक्खन, पनीर, ताजा साग-सब्जियाँ, मूली, पालक, परवल, लौकी, करेला, बैगन, आदि तथा फल- आम, अनार, सेब, जामुन, संतरा, मौसमी, आदि सेवन करना तथा थोड़े नमक के साथ कागजी नीबू का रस पानी मिलाकर पीना पथ्य (लाभदायक) है। नये चावल, शीतल जल, बरफ, गरम और मीठे पदार्थ, धूप में घूमना-फिरना, परिश्रम, मैदा, चीनी, गुड़़, मॉंस, मछली, तेल का सेवन तथा मैथुन करना अपथ्य (हानिकारक) है।
इस रोग के प्रारम्भ होने से पूर्व खूब भूख लगती है किन्तु धीरे-धीरे भूख कम होती जाती है। शरीर की त्वचा शुष्क और स्पर्श करने से रूखी, खुरदरी महसूस होती है। मसूढ़े फूल जाते है, उनमें रक्त निकलता है, कब्ज, अत्यधिक प्यास, पेशाब अधिक आना, मूत्र का आपेक्षित गुरूतत्व 1060 से भी ऊपर हो जाना, पेशाब में शर्करा निकलना, शरीर में खुजलाहट, शरीर रुक्ष होना, दुर्बलता, शरीरिक भार में कमी इत्यादि प्रधान लक्षण है। इसके बाद शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है। पैर में शोथ हो जाता है। स्त्रियों को यह रोग होने पर उनकी योनि में खुजली उत्पन्न हो जाती है। बीमारी बढ़ने के साथ ही साथ फैफड़े भी खराब हो जाते है और अंत में कारबन्कल (फोड़ा) होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है।
यह रोग स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को तथा निर्धनों की अपेक्षा धनवानों को, मध्य आयु वालों तथा वृद्धों को (40 से 60) वर्ष वालों को अधिक होता है। अत्यधिक मानसिक परिश्रम करना, उत्तेजना, चोट एवं कुछ संक्रामक रोग जैसे- डिफ्थीरिया, मलेरिया, इन्फ्लूएन्जा आदि के कारण भी यह रोग हो जाया करता है। अधिक मद्यपान, या शर्करा युक्त भोजनों तथा यकृत और क्लोम ग्रन्थियों की कार्य प्रणाली में अवरोध उत्पन्न हो जाना भी कारण है। इस रोग में तेल और मिर्च मसाला रहित करेला की तरकारी विषेषरूप से खाते रहना रोगी के लिए हितकर है।
• 3 ग्राम हल्दी चूर्ण 12 ग्राम शहद में मिलाकर नित्य प्रति 3 माह तक चाटने से मधुमेह ऐसा भागता है कि फिर मुडकर पीछे नहीं देखता है।
• करेले को केवल धोकर ऊपर से कोमल वाले उभार को छीलकर निचोड़कर लीजिए। सुबह कुल्लादि करके आधा कप यह रस पी जाइए। निचुड़े हुए गूदे को हल्दी आदि में डालकर गाय के घी में भूनकर नाश्ता कर डालिए। करेलों की सुबह प्याज के साथ मसाले डालवाकर सब्जी बनवा लीजिए, दोपहर का खाना इसी सब्जी से खाइये। शाम को 2 साबुत करेले बारीक कुतरकर मक्खन में फ्राई कराइये और चाय के साथ शाम का नाश्ता करियें। रात में 2 केले कुतरबाकर पिसवा लीजिए और किसी भी तरीदार सब्जी के लिए मसाले के तौर पर प्याज करेले की पिसी हुई पीठी भी भुनवा डालिए। यदि किसी मधुमेह के रोगी ने नियमित रूप से 3 माह यही दिनचर्या बना ली तो मधुमेह के छक्के ही छूट जायेगें। ऐसे रोगी जो ऐलौपैथी की औषधियां और सूचीबेधों तथा इन्सूलीन से तंग आ चुके हो, उन्हें तो यह कुदरत का करिश्मा या वरदान ही साबित होगा।
• नीम की छाल का काढ़ा पीना भी मधुमेह नाशक है।
• त्रिबंग भस्म, नागभस्म 0.1-0.18 ग्राम, बंग भस्म 0.364 ग्राम, जामुन की गुठली का चूर्ण 2.92 ग्राम लेकर खरल करें, यह एक मात्रा है। इसे सुबह-शाम मधु से चटाकर ऊपर से 1 पाव गौ दुग्ध पिलावें।
• मधुमेह के रोगी प्रतिदिन 2 बार भोजन के बाद त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, ऑंवला) आधा तोला को गरम जल से अथवा पंच-सकार चूर्ण (सनाय, सौंठ, शिवा, हरड़, सेंधा नमक और सौंठ का मिश्रण) आधा तोला (6ग्राम) के साथ आधा तोला जामुन की गुठली का चूर्ण मिलाकर गरम जल के साथ लेते रहने से उदर शुद्धि होकर वातिक कोप का शमन हो जाता है।
इस रोग में सुबह-शाम 1 पाव गरम दूध से 3 से 6 रत्ती की मात्रा में शुद्ध शिलाजीत का प्रयोग करने से मधुमेह का कुछ ही दिनों में शमन हो जाता है।
• मधुमेह की चिकित्सा उत्यन्त ही सरल है और अत्यन्त कठिन भी। जो रोगी संयमी हैं, जो अपनी जीभ को वश में रखते हैं, उनके लिए इस रोग से मुक्ति मात्र बच्चों का खेल है और जो असंयमी, पेटू है, उन्हें उनके लिए इसकी चिकित्सा असम्भव है। सर्वप्रथम हर किसी को यह भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि (We Eat to live But We donot live to eat) अर्थात हम जीने के लिए खाते हैं, खाने के लिए नहीं जीते हैं। मधुमेह रोग के साथ-साथ मधुमेह े रोगी को जो व्रण, पाण्डु, फोड़े, घाव, मोटापा, इत्यादि जो भी सहायह हों- उन सबके लिए अलग से किसी चिकित्सा अथवा चिन्ता की आवश्यकता नहीं है। मधुमेह के दूर होते ही वह सब स्वयं नष्ट हो जायेंगे जैसे जड़ काट देने पर किसी पेड़ के फूल और पत्ते आदि स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं।
• छाया में सुखाये हुए आम के 1 तोला पत्तों को आधा सेर (500 ग्राम) पानी में उबालकर आधा पानी शेष रहने पर कपड़े से छानकर सुबह-शाम पीना मधुमेह नाशक है।
• महुआ की छाल 5 ग्राम एवं काली मिर्च 1 ग्राम लें। दोनों को मिलाकर जल के साथ पीसकर पीना मधुमेह नाशक है।
• पान के साथ जस्ता-भस्म खाना मधुमेह नाशक है।
• बेल की ताजी हरी पत्तियॉं 2 तोला को 11 नग काली मिर्चों के साथ पीसकर नित्यप्रति पीने से मधुमेह रोग नष्ट हो जाता है।
• बिल्व पत्र स्वरस ढाई तोला को मधु के साथ सूर्योदय के पूर्व नित्य पीने से पेशाब में जाने वाली शर्करा 15 दिन में निरस्त हो जाती है।
मधुमेह नाशक पेटेन्ट प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं
जे.के. 22 टेबलेट (चरक) 1-2 टिकिया भोजनोपरान्त दिन में 1-2 बार जल के साथ दें। नोट- जिन्हें मधुमेह रोग न हो उन्हे कदापि न दें।
डायबिट टेबलेट (मेहता) 1-2 टिकिया आवश्यकतानुसार प्रयोग करायें।
उदुम्बर धनसत्व (गर्ग बनौषधि) 1-1 ग्राम दिन में दो बार।
लिव 52 सीरप (हिमालय) 2 से 5 मि.ली, दिन में 2 बार दें।
टालवुटेबस टेबलेट (मार्तन्ड) आधा से 1 गोली दिन में 3-4 बार दें।
मधुमेहान्तक कैपसूल (गर्ग बनौषधि) आधा-आधा कैपसूल सुबह शाम दें।
मधुरौल कैपसूल (अतुल फार्मेसी) सुबह शाम 1-1 कैपसूल जल से दें। उदुम्बर फल के चूर्ण के क्वाथ के साथ देना शीघ्र लाभप्रद है। मधुमेह मूत्र तथा मूत्र संस्थान के रोगों में सर्वोत्तम है। मधुमेह को जड़ मूल से नष्ट कर देता है।
उदुम्बर धनसत्व (अतुल फार्मेसी) मात्रा 1 ग्राम है। सुबह शाम जल से लें मधुमेह तथा बहुमूत्र नाशक है। इसके अतिरिक्त रक्त पित्त, रक्तार्श और रक्त प्रदर में भी लाभप्रद है। अग्निदग्ध में इसका घोल अंग्रजी औषधियों से भी अधिक लाभकारी सिद्ध हुआ है।
मधुमेह नाशक सैट (अतुल फार्मेसी) इसमें मधुमेह गुटिका 60 गोली, बसन्त कुसुमाकुर रस 60 गोली तथा मधु शैल कैपसूल 60 शामिल है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से!
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