• रंग भेदानुसान प्याज प्राय: तीन रंगों में प्रकृति से हमें प्राप्त अनमोल तोहफा है। सफेद, लाल और पीली प्याज। गुणों की दृष्टि में इनमें कोई विशेष अंतर नहीं है। किन्तु औषाधियों गुणों को मद्देनजर रखते हुए सफेद प्याज को हमारे आयुर्वेद मनीषियों ने अधिक महत्व दिया है, किन्तु दैनिक खान-पान में लाल प्याज का अधिक उपयोग किया जाता है।
• सफेद प्याज कुडवी, ताकतवर, भारी, कफ, पित्त नाशक, स्वास्थ्य वर्धक, रुचिकर, चिकनी और वमनरोधक है। पचने पर यह स्वादिष्ट डकार वाली, मामूली शीतल, रसवाली, किंचित कफकारक और थोड़ी पित्तवर्द्धक भी है। इससे वायु का हरण होता है तथा यह वीर्यवर्धक है। इसके सेवन से पेट और शरीर के किसी भी भाग का दर्द दूर हो जाता है। वायुगोला का दर्द में भी गुणकारी है। ज्वर, उदर, खॉंसी, जिसमें बलगम एकत्र हाता रहता है सूखी और तर खुजली, कर्णशूल तथा कीट-पंतग मधुमक्खी आदि के डंक मारने में लाभप्रद है।
• लाल प्याज पेट की आग को तेज करने वाली और निद्राकरक है। यह क्षारयुक्त, तीक्ष्ण, मधुर, अत्यन्त ताकतवर, गला सूखने में लाभप्रद है और जठराग्नि वर्धक है। एक प्याज की गांठ के अंदर दे अण्डों के बराबर लाभप्रद शक्ति समाहित रहती है। प्याज की तीखी दुर्गन्ध के ही कारण यह सस्ती वस्तु है अन्यथा इसमें इतने अधिक गुण हैं कि सेव, आम, अंगूर जैसी यदि इसमें गंध होती तो यह इन सभी की नानी होती, क्योंकि गुणों की दृष्टि से यह अनुपम वस्तु है।
• प्याज के अंदर प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन्स और कैलरीज सभी कुछ हैं। प्याज में उड़नशल इत्र भी हैं जिसमें गंधक, एल्युमिना, चूने के सिट्रेट और प्रस्फुटक अम्ल इत्यादि मौजूद हैं।
• प्राचीनतम आयुर्वेदीय ग्रन्थकारों के अनुसार प्याज के अभ्यासपूर्ण सेवन से रूखे-सूखे अंग स्निग्ध हो जाती है। रंग और कान्ति में चार चॉंद लग जाते हैं। पाचन शक्ति प्रदीप हो जाती है। त्वचा के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। वृषत्व (सांड जैसी मर्दानगी) आ जाती है। व्याधियों के उद्वेग शान्त होकर सुखमय जीवन और दीर्घायु प्राप्त होती है। महिलाओं को तो प्याज सुन्दरता के ढांचे में ढाल देता है उनकी गोराई, ललाई, भरे-भरे अंग और अनिंद्य सौन्दर्य का रहस्य ही प्याज है। यह चिकनी, स्वाद में मीठी, तीखी, चटपटी और तासीर मे गरम होती है। नाड़ी सस्थान की यह विशेष रूप से प्रभावित करती है। कुल मिलाकर प्याज बल-वीर्य, आयु और जीवन वर्धक है। यह रक्त का शोधन कर, उसकी कमी हो दूर करती है। ब्लडप्रेशर के लिए तो यह अद्भुत वरदान है। सिर ठण्डा, पेट परम, पॉंव गरम उत्तम स्वास्थ्य की निशानी होती है, जो प्याज सेवन करने से आसानी से प्राप्त हो जाती है।
• प्याज अपने सेवनकर्त्ता को ओज और वीर्य से भरकर लबालब कर देती है। इसके सेवन से वीर्य की थैलियां कभी खाली नहीं होती हैं। संभोग में नर और नारी को पूर्ण तृप्ति की अवस्था तक कामकेलि की स्तम्भन शक्ति प्रदान करता है। महिलाओं के मासिकधर्म और पुरुषों के शुक्र दोषों को दूर कर देता है। खॉंसी, हैजा में लाभप्रद है। दॉंत पैने और उचले रखता है। मल-मूत्र के रास्ते शरीर के समस्त विकारों को निकाल बाहर फेंकता है। शरीर के अंदरूनी घाव भर देता है। सूजन नष्ट करता है। खून को साफ करता है कफ का जानी दुश्मन है। शरीर से दूषित गर्मी को निकालकर संजीवनी ऊष्मा प्रदान करता है। यदि संक्षेप में कहा जाए कि प्याज के सही विधि से सेवन से रोगी मृत्यु के द्वार से भी वापस आ जाता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
• प्लेग या हैजा फैलने के समय कच्चे प्याज का रस पीने से और इसे हमेशा अपने पास रखने से इन बीमारियों के आक्रमण का भय नहीं रहता है।
• भूख की कमी में प्याज को सिरके के साथ खाना अत्यन्त लाभप्रद है।
• प्याज के रस में घी मिलाकर पीने से अत्यन्त ताकत प्राप्त होती है।
• प्याज का ताजा रस शरीर में मलने से (लू) गर्मी की ऋृतु में चलने वाली गर्म हवा का असर तुरंत खत्म हो जाता है।
• प्याज का सेवन करने वालों को लू नहीं लगती है।
• प्याज कीटाणु नाशक भी है। छूत के रोगों के फैलने के समय इसे घर में रखने से रोगों से बचाव होता है। ताजा रंगे हुए कमरे की दुर्गन्ध को दूर करने के लिए थोड़ा-सा प्याज काटकर कमरे में रखना चाहिए।
• सफेद प्याज घर के अंदर रखने से घर में सॉंप प्रवेश नहीं करता है।
• प्याज काटकर बल्व अथवा लालटेन के पास टांग देने से कीड़े-मकोड़े नहीं आते हैं।
• कच्चे प्याज के खाने से टायफाइड बुखार के कीटाणु मर जाते हैं। इसका सेवन क्षय जैसी भयंकर बीमारी में भी लाभप्रद है।
• प्याज प्यास को कम करता है और दॉंतों को मजबूत करता है। प्याज का पूर्ण लाभ प्याज को कच्चा खाने से ही होता है। प्याज खाने के बाद खुश्क धनिया, पान, इलायची, लौंग, सौंफ इत्यादि खाने से प्याज की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।
• यदि आप कमजोर महसूस करते हों और शरीर दुर्बल हो गया हो तो प्रतिदिन प्रात: काल कच्ची प्याज को शहद के साथ खायें। कुछ ही दिनों में कमजोरी दूर होकर शरीर स्वस्थ सुंदर और स्फूतिवान हो जायेगा।
• प्याज का रस सिर पर 1 मास तक निरन्तर मलने से बालों का झड़ना रुक जाता है।
• वायुमण्डल में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचाव हेतु प्याज की मालाऐं बनाकर घर के आंगन में लटकाना अत्यन्त ही लाभप्रद है।
• सम्भोग से पूर्व लिगेन्द्रिय अथवा स्त्री की योनि में प्याज का रस लगाकर संभोग करने से गर्भ धारण की संभावना नष्ट हो जाती है।
• प्याज पीसकर बालों पर लेप करने से बाल काले रंग के उगने शुरू हो जाते हैं। प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजे स्थान पर लगाते रहने से बाल पुन: उग आते हैं तथा सफेद बाल काले हो जाते हैं।
• काले दागों पर प्याज का रस लगाते रहने से कालापन दूर हो जाता है।
• लू लगने के उपरान्त सिर के दर्द में प्याज को बारीक पीसकर पैर के तलुवों पर लेप करना अत्यन्त लाभप्रद है।
• प्याज के बीजों को दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं तथा कमजोर बाल मजबूत हो जाते हैं।
• प्याज का रस शुद्ध शहद 250-250 ग्राम खाने का सोड़ा 50 ग्राम तीनों को मिलाकर रखलें। यह अक्सीर-ए-दमा तैयार हो गया। दमा के रोगी सुबह-शाम 1-1 चम्मच प्रयोग कर ईश्वर के गुण गायें।
• प्याज का रस 10 ग्राम और इतनी ही शुद्ध शहद तथा भीमसैनी कपूर के ढाई ग्राम मिलाकर रात को सोते समय 2-2 सलाई ऑंखों मे लगाते रहने से उतरजा हुआ मोतियाबिन्द ही नहीं, बल्कि उतरा हुआ मोतियाबिन्द भी साफ हो जाता है।
• 60 ग्राम प्याज बारीक करके आधा किलो पानी में जोश दें। अब आधा शेष रह जाए तो छानकर ठण्डा होने पर पीने से मूत्र की जलन दूर हो जाती है।
• प्याज को भूभल में दबाकर नरम कर निचोड़कर रस (पानी) निकालकर पुन: गुनगुना करके बच्चों के कान में दर्द में 2-3 बूंद डालने से तुरंत दर्द बंद हो जाता है।
• बच्चों की ऑंखे दुखने पर प्याज का रस और शहद 1-1 भाग अर्क गुलाब 2 भाग में मिलाकर 1-1 बूंद दोनों समय ऑंखों में डालें। तुरंत लाभ होगा। नोट- इस औषधि को नित्य ताजा बनाकर प्रयोग करें।
• प्याज का रस और नौशादर 1-1 तोला खरल में डालकर खूब खरल करें जब दोनों औषधियॉं खूब मिल-जुलकर एकजान हो जाऐं तो किसी साफ शीशी में भरकर सुरक्षित रखलें। यह बिषहर लोशन तैयार हो गया। बिच्छू, बर्र, शहद की मक्खी, मच्छर, कुत्ता के काट लेने पर इसकी कुछ बूँदें डालकर मल दें तुरत ठण्डक पड़कर लाभ हागा।
• प्याज का रस 20 से 30 ग्राम तक प्रत्येक आधा घंटे के अंतर पर हैजे में पिलाना लाभप्रद है।
• प्याज और पोदीना का रस 20-20 ग्राम प्रत्येक आधा घंटे पर पिलाने से हैजा ठीक हो जाता है।
• प्याज का रस 15 ग्राम, काली मिर्च 7 दानें दोनों को पत्थर के खरल या कूड़ी में खूब घोटकर इसमें 10-15 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से कै, दस्त और हैजा की प्याज और बेचैनी दूर होकर हैजा अच्छा हो जाता है।
• हैजा के संक्रमण के समय रात्रि को भोजन से पूर्व 20 ग्राम प्याज के रस में 1 मि.ग्राम भुनी हींग, सौंफ और धनिया 1-1 ग्राम (सभी को मिलाकर) खाते रहने से हैजा के आक्रमण का खतरा समाप्त हो जाता है।
• सफेद प्याज का रस, अदरक का रस 5-5 गाम गाय का घी 1 चम्मच भर सभी को मिलाकर चाटते रहने से स्मरणशक्तिहीनता नश्ट होकर याददाश्त इतनी अधिक तीव्र हो जाती है कि पुरानी यादों के सारे अध्याय खुल जाते हैं।
• मुख पर झांई, मुँहासे, दाग, विवर्णता इत्यादि होने की स्थिति में ताजा प्याज के टुकड़े मुख पर मलने से खूब लाभ प्राप्त होता है।
• मुँहासों में प्याज के रस में शहद मिलाकर लगाना या कच्चा प्याज का रस और बादाम पीसकर लगाना भी अति लाभकारी है।
• मुखमण्डल की झाईयों में प्याज के बीजों को जल के साथ पीसकर शहद के साथ अथवा दूध मलाई के साथ लगाना भी अत्यन्त हितकार है।
• नकसीर में प्याज का रस सूंघना लाभप्रद है। प्याज का नियमित सेवन इस रोग में अतीव गुणकारी है। कच्ची प्याज खाने से नाक के गिरने वाला रक्त रुक जाता है। प्याज को पीसकर गले में बाधने से नकसीर में लाभ होता है। यह प्रयोग कण्ठ विकार और जुकाम में भी लाभप्रद है।
• कण्ठ विकार के कारण गले में खराश हो जाने पर (जिसमें कॉंटे से पड़ जाते है और पानी पीना तक कठिन हो जाता है।) प्याज के रस में शहद मिलाकर इसको फेरैरी से लगाना अत्यन्त लाभप्रद है। प्याज को सिरके के साथ खाना भी लाभकारी है।
• सिर के भारीपन में प्याज के रस को गाय अथवा भैंस आदि के सामान्य देशी घी में मिलाकर देते रहने से धीरे-धीरे लाभ हो जाता है। प्याज को काटकर सूंघना या प्याज को बारीक पीसकर पैर के तलुवों पर लेप लगाना भी उपयोगी है।
• भोजन के साथ्ज्ञ कच्चा प्याज खाते रहने से दुग्धपान कराने वाली स्त्री के स्तनों में भरपूर दूध उतरने लगता है। धीरे-धीरे इस प्रयोग से स्तन भरे-भरे दिखाई देने लगते हैं तथा शिशु के दुग्धपान छोड़ देने के बाद भी स्तन पिलपिले या लम्बोतरे नहीं होते हैं फलरूवरूप ऐसी स्त्री वृद्धवस्था में युवा स्त्री की भांति सौन्दर्यवान दीखती है।
• रक्तस्त्राव होने, चोट आदि लग जाने अथवा खून में उबाल आने या शरीर में पित्त का प्रकोप हो जाने इत्यादि कारणों से रक्त बहना बंद न हो तो सफेद प्याज को शाह-भाजी की भांति मट्ठे में पकाकर खाना अत्यधिक लाभप्रद है। यह ‘चरक’ का अनुभूत योग है।
• 10 ग्राम प्याज के रस में 20 ग्राम शहद मिलाकर हल्की आग पर काढ़ा सा बनाकर भोजनोपरान्त चाटने से तेजहीन चेहरों पर कान्ति आकर वे दमक उठते हैं। पूरा परिवार सेवन कर सकता है। एक मास में ही चमत्कार दृष्टिगोचर होगा। युवा स्त्री व पुरुष 25 ग्राम प्याज का रस 50 ग्राम शहद में चाटें।
• बुखार, खांसी, आँखों में जलन और जोड़ों में दर्द ये सब फ्लू (इन्फ्लूएन्जा) ज्वर के लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में एक चम्मच प्याज का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटने से एक ही दिन में तबियत सँभल जाती है।
नोट- प्याज और शहद गरम हैं अत: गर्भवती स्त्री को मात्र प्याज का रस ही दें।
• यदि शरीर में बार-बार ऐंठन होती है, चमक सी उठती हो तो प्याज का रस थोड़ा सा गरम करके रोगी के पैरों के तलुवों में मालिश करायें।
नोट- इस योग से महिलाओं को तुरंत आराम होता है क्योंकि पुरुषों की तुलना में स्त्रियों के तलुवे अधिक संवेदनशील और सुकोमल होते हैं।
• पेट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी जैसे अफारा, अपचन, अग्निमांद्य, पेट दर्द, आध्मान इत्यादि की शिकायत उत्पन्न हो जाए तो प्याज, अदरक और लहसुन का रस 1-1 चम्मच तथा शहद तीन चम्मच मिलाकर भोजन से पूर्व चाटने से अत्यन्त लाभ होता है। सिरके के साथ प्याज खाना भी लाभकारी है। इसमें यदि अदरक का रस और कुछ काला नमक भी डाल लिया जाए तो और भी अधिक उपयोगी है। अग्निमांद्य और अपचन में यह योग अत्यन्त ही लाभकारी है।
• कच्ची लाल प्याज या पकाई हुई प्याज अथवा गरम राख में प्याज पकाकर इसका 4 चम्मच रस पीने से अनिद्र दूर होकर गहरी शांतिपूर्वक नींद आती है।
• आँख में जाला होने पर (आँखों की पुतली पर सफेदी उत्पन्न हो जाना ही जाला कहलाता है) रुई की बत्ती प्याज के रस मं भिगोकर सुखा लें। तदुपरांत इस बत्ती को तिल के तैल में जलाकर काजल बनाकर प्रयोग करें। इस योग के प्रयोग करने से जाला दूर हो जाता है।
मूत्र संबंधी रोग- 1 कि.ग्रा. पानी में 45 ग्राम प्याज काटकर उबाल लें। तदुपरान्त इसे छानकर शहद मिलाकर प्रतिदिन तीन बार पिलाने से मूत्र खुलकर बगैर कष्ट के आता है। इस योग के सेवन से बार-बार मूत्र आना बंद हो जाता है तथा बंद हुआ मूत्र आने लगता है। मूत्र की रूकावट दूर हो जाती है।
• जिनके हृदय की धड़कन बढ़ गई हो और वे हृदय संबंधी रोगों से बचाव चाहते हों तो नित्य प्रति एक गॉंठ प्याज की खाना खाते समय खायें। प्याज का रस शरीर में उचित मात्रा में पहुँचते रहने से रक्त प्रवाह सुचारू रूप से होने लग जाता है, फलस्वरूप हृदय संबंधी बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त हो जाती है।
• रक्ताल्पता के रोगियों को प्याज का रस अथवा कच्चा प्याज अवश्य ही सेवन करते रहना चाहिए। प्याज में लोहा काफी मात्रा में होता है तथा विटामिन सी, गंधक, तांबा, प्रोटीन, कैरोटिन, विटामिन बी, नायसिन, थायमिन, प्राकृतिक लवण, फास्फोरस, कैल्शियम, शर्करा, जल, ऊष्मांक आदि बहुमूल्य खनिज पर्याप्त मात्रा में होते हैं। फलस्वरूप प्याज पाचनांगों में उत्तेचना पैदा करके रक्तवृद्धि कर शारीरिक शक्ति बढ़ा देता है।
• खूनी बबासीर में 100 ग्राम प्याज का रस और 50 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है। गुदा द्वार पर बबासीर मस्सों के फूल जाने और उनमें दर्द होने पर दो प्याज गरम राख में भूनकर पीसकर उसे घी में सेंक कर गरम लुगदी से मस्सों को सेंक करके इसी लुगदी को मस्सों पर बांध दें। मस्सों का दर्द दूर हो जाएगा।
हार्टअटैक- प्रात:काल नाश्ते में एक प्लेट में टुकड़े-टुकड़े करके प्याज को तलकर या उबालकर नित्य प्रति सेवन करते रहने से मनुष्य को दिल के दौरे नहीं पड़ते हैं। रायल विक्टोरिया इन्फमरी संस्था बिटेन के अनुसार प्याज से हृदय धमनियों (कोरोनरी आट्रीज) में रक्त के थक्के नहीं बनते हैं फलस्वरूप हृदय सम्भावित क्षति से बचा रहता है।
• नाड़ी शूल में प्याज पीसकर फिर इसे तैल में भूनकर (स्नायुरोग में) बॉंधने से आराम मिलता है। प्याज के रस को राई के तैल में मिलाकर मालिश करने से गाठिया में आराम होता है। प्याज के रस को सरसों के तैल में मिलाकर गरम करके वात रोग से होने वाले दर्दो में लगाने (मालिश करने) से लाभ होता है।
• सफेद प्याज का रस मृगी से पीडि़त रोगी की नाक में डालने से व ऑंख में लगाने से मृगी के रोगी को आराम मिलता है।
• 500 ग्राम प्याज को कूटकर 50 ग्राम शहद और 400 ग्राम शक्कर तथा एक लीटर पानी मिलाकर मन्दाग्नि पर उबालकर ठण्डा होने पर छानकर एक साफ स्वच्छ बोतल में भरकर रखलें। कष्टदायक खाँसी (जो काफी दवा कराने पर भी दूर न हुइ हो) दिन में 4-5 बार एक बड़ा चम्मच भर पिलाते रहने से दूर हो जाता है। कफ की खॉंसी में प्याज का रस शहद के साथ देने से कफ आसानी से निकल जाता है। गले की खरखराहट व जुकाम में प्याज को भूनकर खाने से आराम मिलता है।
• जुकाम में प्याज काटकर सूँघना अत्यन्त हितकर है। जुकाम में एक आध प्याज की गॉंठ खा लेने से भी लाभ मिलता है। रात्रि को सोते समय प्याज की 1 गॉंठ खा लेने से जुकाम में बहुत लाभ होता है।
• ऑंवले के आकार वाली प्याज की गांइे लेकर आवश्यकतानुसार कम या अधिक गॉंठे ले लें। इनके 4 ऐसे टुकड़े (प्रत्येक गॉंठ के) करें कि टुकडे सभी आपस में जुडे़ रहें। तदुपरान्त इन्हें किसी कांच या चीनी मिटृटी के पात्र में रखकर ऊपर से इतना सिरका डालें कि प्याज खूब भली भांति डूब जाए उसके बाद सिरके में थोड़ा सा नमक और काली मिर्च पीसकर मिलादें। इसे प्रतिदिन सुबह-शाम को खाते रहने से पीलिया (पान्डु रोग) होने का भय नहीं रहता है तथा पाचन शक्ति भी ठीक बनी रहती है।
• पान्डु रोग से पीडि़त व्यक्ति को प्याज का रस व शहद सममात्रा में मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात:काल सेवन करना अत्यन्त लाभकारी है।
• प्याज में सिरका मिलाकर खाने से बढ़ी हुई तिल्ली में लाभ होता है।
• प्याज के बीजों को सिरके मे पीसकर दाद पर लगाने से जल्दी ही दाद नष्ट हो जाता है।
• खुजली के स्थान पर प्याज का रस लगाना लाभकारी है।
• शरीर में कहीं भी जलन होने पर प्याज काटकर रगड़ने से लाभ होता है।
• प्याज पर चूना लगाकर मस्से पर रगड़ने से तुरन्त जलकर निकल जाता है।
• प्याज को कुचलकर बिबाई पर कुछ दिनों तक लगातार लगाते रहने से लाभ हो जाता है।
• जब स्त्री के स्तनों का वरम फूटकर घाव बन जाए तो 100 ग्राम मीठा तैल लेकर 15 ग्राम प्याज और फिर नीम के पत्ते जला लें। तदुपरांत थोड़ा सा मोम मिलाकर मरहम बनालें। इस मरहम को रोगिणी अपने स्तनों के घाव पर लगाये। अत्यन्त असरकारक और शीघ्र फलदायी मरहम है।
गूंगापन- प्याज के रस को थोड़े से पानी में मिलाकर बच्चों को पिलाते रहने से उनके बोलने की शक्ति में वृद्धि हो जाती है। इसमें यदि अल्पमात्रा में अकरकरा का चूर्ण और मिला लिया जाए तो अधिक लाभप्रद बन जाता है।
• बच्चों को दस्त या हैजा हो जाने पर 5 से 15 ग्राम तक प्याज का रस चूने के निथरे और छने हुए पानी के साथ सेवन कराने से तुरंत लाभ होता है।
• 4-6 बूँद प्याज का रस चटा देने से बच्चों की बदहज्मी दूर हो जाती है। आवश्यकतानुसार इसे कई बार चटाया जा सकता है।
• प्याज के रस की 2-4 बूँदें शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से पेटदर्द दूर हो जाता है।
• छोटे बचचों को प्याज का रस शक्कर में मिलाकर चटाने से वात-पित्त और कफ तीनों ही प्रकार के विकार नष्ट हो जाते हैं।
• यदि बालक को शीघ्र बढ़ाना हो तो प्याज और गुड़ मिलाकर कुछ निों तक खिलाने से लाभ होता है।
• शिशुओं के दॉंत निकलते समय दस्त लग जाते हैं, ऑंखें आ जाती हैं उनका शारीरिक विकास रुक जाता है। प्याज का रस सेवन कराते रहने से समस्त प्रकार के विकार नश्ट होकर कैल्शियम की भरपूर पूर्ति हो जाती है।
• बच्चों के पेट में कीड़े होने पर एक चम्मच प्याज का रस में आधा चम्मच पानी मिलाकर पिलाना अत्यधिक लाभप्रद है।
• प्याज के आधा किलो रस में 50 ग्राम रैक्टीफाईड स्प्रिट मिलाकर 15 दिनों तक रखा रहने दें तदुपरान्त इस अर्क को छानकर किसी दूसरी बोतल में सुरक्षित रखलें। आयु व अवस्थानुसार 5 से 15 ग्राम तक यह दवा दिन में 2-3 बार सेवन कराने से बच्चों का सूखा रोग नष्ट हो जाता है।
• थोड़ा सा सफेद प्याज का रस, सरसों के तैल में पका करके बच्चों की छाती पर मलने से सर्दीं, जुकाम और खाँसी (छाती पर जमा हुआ कफ निकल कर) नष्ट हो जाती है। सरसों के तेल के स्थान पर पुराना घी प्रयोग कर सकते हैं।
• बच्चों के तालुकन्टक रोग में (इस रोग में बच्चे के सिर में तालु का भाग नीचा हो जाता है और उसमें गड्ढा सा हो जाता है।) सफेद प्याज को आग में पकाकर बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा गाय का घी मिलाकर टिकिया बनाकर बालक के तालु पर रखकर उस पर रेंडी का पत्ता नरम करके रखकर ऊपर से (प्रतिदिन प्रात:काल पट्टी बॉंधें तथा सन्ध्या समय पट्टी खोलकर सिर को धो-पोछकर तालु पर गोधृत लगाये। साथ ही सफेद प्याज के रस में 1 ग्राम सफेद जीरा का चूर्ण तथा खान्ड मिलाकर बालक को पिलायें। मात्र 3-4 दिन के इस प्रयोग से बच्चों का तालु कन्टक रोग ठीक हो जाता है।
• 7 छोटी-छोटी प्याज की गाठों की माला बनाकर बालक के गले में पहिना देने से गर्मियों की गरम हवा ‘लू’ नहीं लगती है। यदि बच्चे को लू लग गई हो तो 5-10 बूँद प्याज का रस पानी में मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाने से तथा प्याज का रस शरीर पर मलने से लू का असर नष्ट हो जाता है।
• प्याज के रस में रूई की फुरैरी डुबोकर कीड़ा लगे दांत में रखना लाभप्रद है अथवा कच्चे प्याज के टुकड़ों को दॉंतों से दाबायें या चबायें।
• कच्चा प्याज बार-बार खाने से मूत्र अधिक होता है। अत: जलोदर के लिए यह लाभप्रद है।
• किसी भी प्रकार का नशा किए हुए व्यक्ति हो 1 कप भर प्याज का रस पिला देने से नशा शर्तिया कम अथवा नष्ट हो जाता है।
• यदि 40 दिनों तक निरन्तर प्रात: काल में दो चम्मच सफेद प्याज के रस में समभाग शहद मिलाकर सेवन कर लिया जाए तो पुश्तैनी दमा (मां-बाप से विरासत में मिला) भी नष्ट हो जाता है। इस योग से पुरानी कहावत दमा दम के साथ जाता है भी शर्तिया फेल हो जाती है। अनुभूत है।
• दो प्याज की गॉंठों का रस शहद में मिलाकर प्रात:काल (नित्यकर्मों से निवृत होकर) चाटते रहने से मात्र एक सप्ताह में ही रक्त बढ़ने के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं।
• पाखाने के साथ ऑंवों मिला हो तो 60 ग्राम प्याज को छीलनकर महीन कूटकर इसे 5-6 बार जल से धोकर 250 ग्राम गाय का ताजा दही के साथ खायें। (नोट- यह 1 खुराक है।) ऐसी दिन में तीन खुराकें (सुबह, दोपहर, शाम) सेवन करने से मात्र 2-3 दिन में ही लाभ हो जाता है।
• प्याज का रस सिर में मलने से जुऐं (लीखें या डींगर) नष्ट हो जाते हैं।
• प्याज का रस 1 भाग शहद दो भाग में मिलाकर पकाकर 10 ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करने से कामेन्द्रिय में उत्तेजना पैदा हो जाती है तथा सेवन कर्ता की अपार काम शक्ति बढ़ जाती है।
• सफेद प्याज का रस और अदरक तथा शहद 5-5 ग्राम खूब भली प्रकार मिलाकर नित्य प्रात:काल 40 दिन तक सेवन करने से नामर्द भी मर्द बनता है।
• प्याज के रस में आटा गूंथकर बाटी सेंककर प्याज की ही सब्जी से महीना 20 दिन खाने से खोई हुई मर्दानगी वापस आने लगती है।
• मसूढ़ों की सूजन में कच्ची प्याज को नमक के साथ खाना लाभप्रद है।
• गुदा भ्रंश नामक रोग में प्याज का ताजा रस आधा से 1 औंस तक खान्ड में मिलाकर दिन में दो बार पिलाना अत्यधिक लाभप्रद है।
• गाँठ, फोड़ा, बद एवं व्रण में प्याज को भूनकर पुल्टिस के रूप में प्रभावित अंग पर लगाना (रखना) लाभप्रद है।
नोट- पुल्टिस को क्रमश: प्रति 3-4 घंटे पर बदलते रहना चाहिए जिससे स्थान गरम बना रहे। पुल्टिस बनाने हेतु प्याज को घी में भूनना चाहिए। इस प्रयोग से जो गांठ न बैठती हो और न पकती हो वह कुछ ही दिनों में पक जाती है पुल्टिस में यदि हल्दी मिला ली जाए ता योग और भी अधिक लाभकारी हो जाता है।
• दाद में प्याज को सिरके में पीसकर लगाना लाभप्रद है।
• प्याज के बीजों को पीसकर दाँतों पर मलने से दंतकृमि नष्ट हो जाते हैं।
• प्याज के रस को रसौत मिलाकर 1 औस की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में स्त्रियों का मासिक धर्म नियमित होने लगता है तथा कष्टार्त्तव की स्थिति नष्ट हो जाती है।
• अम्लपित्त रोग में (जब रोगी को खाया हुआ भोजन नहीं पचता है, बार-बार खट्टी डकारें आती हैं) 50 ग्राम प्याज को काटकर गाय के ताजे दही में मिलाकर सेवन करना अत्यधिक लाभप्रद है।
• यदि अधिक सम्भोग करते रहने के कारण कामशक्ति घट गई हो तो प्याज के कटे टुकड़े और गोघृत 50-50 ग्राम 250 मि.ली. गाय के दूध में एकत्र कर पकायें। जब गाढ़ा हो जाए तब उतारकर मिश्री मिलाकर (शीतल होने पर सेवन करें।) दो माह तक सेवन जारी रखें तथा लाल प्याज का ही प्रयोग करें।
• प्याज का रस, अदरक का रस तथा शहद तीनों को मिलाकर 40 दिनों तक सेवन करने से गई हुई जवानी पुन: वापस आ जाती है।
नोट- प्याज की मात्रा 10-15 ग्राम तक है किन्तु आवश्यकतानुसार अधिक मात्रा में भी सेवन किया जा सकता है। गरम प्रकृति के व्यक्ति को प्याज का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्याज प्यास उत्पन्न करता है तथा पसीना अधिक लाता है। स्मरण शक्ति को हानि पहुँचाता है। स्नायु को उत्तेजित करता है तथा काम को बढ़ाता है। कच्चा प्याज अधिक उत्तेजक है। जिनके रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो, उन्हें प्याज का प्रयोग करना हानिकारक है। प्याज दिमाग और गले को भी हानिकारक है। गरम प्रकृति (स्वभाव) वाले व्यक्ति को अधिक प्याज खाने से नजला पैदा हो जाता है। रात्रि को भोजन में बतौर सलाद कच्चा प्याज हर्गिज सेवन न करें। इसके सूंघने से भी गरम प्रकृति के व्यक्ति के सिर में दर्द होने लगता है।
• प्याज को खाने के कुछ देर बाद दही या मट्ठा पी लेने से इसका दर्प नष्ट हो जाता है। कासनी और शहद भी प्याज का दर्प नाशक है। प्याज को पकाकर खाने से हानि कम होती है और प्याज को जितना अधिक पकाया जाएगा, हानि भी उतनी ही कम होगी। सिरका और काला नमक भी प्याज के दर्पनाशक है।
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