सौंफ के फायदे
• विश्व के लगभग सभी देशों के औषधिकोश में सौंफ को गौरवशाली स्थान प्राप्त है। यह मूत्र लाने वाली, वायु को निकालने वालीद्व कमजोरी दूर करने वाली ऑंखों की ज्योति के लिए अत्यन्त ही लाभकारी है। इसका स्वाद भी मधुर है।
• भोजनोपरान्त थोड़ी सी सौंफ चबाने से मुख के छाले नष्ट हो जाते हैं।
• सौंफ का चूर्ण 6-6 ग्राम सुबह शाम सेवन करने से आमाशय शक्तिशाली हो जाता है तथा नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है।
• गर्भवती सौंफ का अर्क यदि सेवन करती रहे तो उसका गर्भ स्थिर रहता है।
• गर्भवती स्त्री प्रतिदिन पान-सुपारी की भॉंति यदि सौंफ चबाती रहे तो उसकी जन्म लेने वाली संतार गोरी (गौर वर्ण) की होती है।
• 6 ग्राम सौंफ आधा किलो पानी में उबालें, जब पानी 200 ग्राम तक शेष बचे तो इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री 250 ग्राम गाय का दूध मिलाकर सुबह-शाम नित्य प्रति पीते रहने से तोतलापन दूर हो जाता है।
• सौंफ को हल्की-हल्की चोट करके कूटलें ताकि इसका छिलका उतर जाए। रात्रि के समय 20 ग्राम (नाजुक प्रकृति के लोग 10 ग्राम) साबुत ही दूध या पानी के साथ निरन्तर सेवन करते रहें तो नेत्रों की ज्योति तेज हो जाती है।
• सौंफ चूर्ण 6 माशा में 6 माशा खान्ड मिलाकर सेवन करने से कुछ समय में ही सिर चकराना बंद हो जाता है।
• 6 माशा सौंफ का 40 तोला पानी में क्वाथ करें। जब पानी 10 तोला शेष बचे तब उसमें 250 ग्राम गाय का दूध और 1 तोला गाय का घी मिलाकर पीने से अनिद्र रोग (नींद न आना) दूर हो जाता है।
• सौंफ यवकूटकर 6 माशा लेकर 30 तोला पानी में क्वाथ करें। चौथाई (10 तोला) पानी शेष रहने पर नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से अधिक निद्रा (नींद अधिक आना) दूर होकर अवस्थानुसार प्राकृतिक रूप से नींद आती है।
• सौंफ 6 माशा को यवकूटकर 1 पाव पानी में औटावें। चौथाई पानी शेष रहने पर गाय का दूध 1 पाव, घी 1 तोला और थोड़ी सी खान्ड मिलाकर चाय की भाँति सुबह-शाम पीने से दिमाग में ताकत आकर बहरापन नष्ट हो जाता है।
• 1 तोला सौंफ यवकूटकर आधा सेर पानी में औटावें। जब आधा पाव पानी शेष रह जाए तब मिश्री मिलाकर पीने से स्वरभंग खुल जाता है।
आमाशय का भारीपन- सौंफ यवकूटकर 1 हथेली भर सुबह-शाम पानी से लेना हितकारी है। अथवा सौंफ का चूर्ण 5 तोला तथा कुलकंद 15 तोला को मिलाकर रखलें। साढ़े पांच ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें। आमाशय का भारीपन तथा कब्ज में लाभकारी है।
• सौंफ 2 तोला को 1 सेर पानी में औटावें। चौथाई पानी शेष रहने पर इसमें सैंधानमक और कालानमक 2-2 माशा मिलाकर कुछ दिनों सेवन करने से अफारा रोग दूर हो जाता है।
• सौंफ आधा तोला को कूट छानकर 1 पाव दूध में मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से दस्त आना बंद हो जाता है।
• 1 तोला सौंफ को 40 तोला पानी में ठण्डाई की तरह घोटकर मिश्री मिलाकर तथा 1 माशा शोरा मिलाकर पीने से पेशाब साफ होता है।
• सौंफ चूर्ण और खान्ड सममात्रा में मिलाकर सुरक्षित रखलें। इसे 1-1 तोला की मात्रा मे सुबह-शाम नियमित रूप से 40 दिनों तक सेवन करने से किसी भी कारण से बंद मासिकधर्म अवश्य ही खुल जाता है।
• सौंफ चूर्ण 1 तोला, गुलकंद 5 तोला को गाय के दूध से 40 दिन तक निरन्त सेवन करने से बांझपन दूर होकर स्त्री पुत्रवती हो जाती है।
• दो तोला सौंफ यवकूटकर 1 पाव पानी में क्वाथ करें। जब पानी आधा पाव रह जाए तो इसमें 2 तोला मिश्री एवं 1 तोला गाय का घी मिलाकर मंदोष्ण पिलाने से (आवश्यकता पड़ने पर 2-3 बार पिलायें) प्रसव विलम्ब दूर होकर प्रसव सुखपूर्वक हो जाता है।
• 1 सेर सौंफ को 7 भाग करें। 1 भाग को प्रत्येक रात्रि के समय 1 कुल्लड़ में भिगोदें तथा प्रात:काल घोट-छानकर पियें ( यह प्रयोग नियमित रूप से 7 दिन करें) नमक कम खायें तथा बादी चीजों को परहेज रखें। इस योग के सेवन से अत्यार्त्तव (मासिक धर्म अधिक होना) रोग नष्ट हो जाता है।
गर्भवती की कब्ज में – 10 तोला सौंफ को 20 तोला गुलकंद में मिलाकर रखलें। इसे डेढ तोला लेकर 250 ग्राम गरम दूध से सेवन करायें। गर्भवती स्त्री की कब्ज की शिकायत में गुणकारी है।
• 6 माशा सौंफ की पोटली बनाकर आधा सेर दूध में औटा लें तीन उफान आने पर नीचे उतारकर थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से गभवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।
• दो तोला सौंफ कड़ाही में कच्ची पक्की भूनलें। उसमें 1 तोला खान्ड मिलाकर चूर्ण बनालें। ज्वर के रोगी को उसी समय सेवन करवाकर गरम पानी पिलादें और कपड़ा ओढाकर सुलादें। पसीना आकर ज्वर उतर जाएगा।
• 5 तोला सौफ यवकुट कर रात को पानी में भिगो दें। प्रात: काल इसी से स्नान करने से गरमी के मौसम में निकलने वाली फुन्सियॉं नही निकलती हैं।
• सौंफ और मिश्री 6-6 माशा, बादाम मग्ज 7 नग बारीक पीसकर रात्रि को सोते समय सेवन करने से दिमाग (मस्तिष्क) के बल में वृद्धि हो जाती है।
• सौंफ और छोटी हरड़ (भुनी हुई) 5-5 तोला का चूर्ण कर 10 तोला खान्ड मिलाकर डेढ तोला की मात्रा में पानी या चावल के मॉंड से सेवकन करने सेस पेचिश मिट जाती है।
• सौंफ और पीपल की जटा 20-20 तोला तथा खान्ड भी 20 तोला का बारीक चूर्ण बनाकर रखलें। स्त्री-पुरुष डेढ़ तोला की मात्रा में दोनों समय दूध से दस दिन तक सेवन करें तथा 11 वें दिन संभोग करें। इस प्रयोग से अवश्य ही गर्भ ठहर जाता है।
• सौंफ और धनियॉं 1-1 पाव बारीक पीसकर इसमें तीन पाव घी और 1 सेर मिश्री मिलाकर रखलें। सुबह-शाम 5-5 तोला की मात्रा में सेवन करने से प्रत्येक प्रकार की खाज, खारिश, खुजली में लाभ हो जाता है।
• सौंफ 9 माशा, सौंठ 3 माशा, मिश्री 1 तोला लें। सभी को बारीक पीसकर रख लें। दिन में 3 बार गरम से सेवन करने से प्रत्येक प्रकार की बदहाजमी शांत हो जाती है।
• सौंफ, गुड़ और धी आधा-आधा सेर लें। पहले गुड़ और धी को लेकर यथाविधि पाक कर लें। तदुपरांत इसमें बारीक पिसी हुई सौंफ मिलाकर छटांक भरके लड्डू बनालें। मात्रा 1 से 2 लड्डू तक प्रतिदिन खायें। इस योग के सेवन से फोते में पानी उतर आना अथवा दर्द हो जाना या खुजली हो जाना आदि विकार नष्ट हो जाते हें।
• 6 माशे भुनी सौंफ और 6 माशा मिश्री चूर्ण दोनों को मिलाकर सुबह-शाम फंकी लगाकर पानी पीने से कुछ ही दिनों में यकृत विकार नष्ट हो जाते हैं और अमेविक डिसेन्ट्री तो जड़ से नष्ट हो जाती है।
नोट- सौंफ की मात्रा 9 ग्राम तक है। गरम प्रकृति वालों को हानिकारक है तथा देर से हजम होती है। इसकी बदल तुख्म करकस है। इसके दर्प नाश हेतु सफेद संदल कपूर व सिकन्जवीन या धनिया सेवन करें।
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