दोस्तो आप इस पोस्ट में जानेंगे की शहद ( Honey Health Benefits in Hindi ) हमारे स्वास्थ्य एव शरीर के लिय कितनी महत्वपूर्ण होती है, इस पोस्ट में जो भी नुस्खे दिये गये है वह डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’ जी की पुस्तक से लिये गये है आप इनका उपयोग अपनी सूझ-बूझ से करें।
• ढाई तोला शहद को 10 तोला जल में मिलाकर नित्य प्रति पीने से मोटापा दूर होकर रक्त शुद्ध व साफ हो जाता है।
• मधु को नित्य रात्रि को आँख में डालने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
• 1 तोला शहद और 2 तोला मक्खन (ताजा) को मिलाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है और धातुक्षय नष्ट होता है।
• असली शहद वृश्चिक दंश पर लगाकर मलना अत्यन्त उपयोगी है।
• सर्पदंश को छोड़कर प्रत्येक प्रकार का कीटदंश की पीड़ा शहद लगाने से मिट जाती है।
• घाव पर शहद का फाया लगाते रहने से घाव अति शीघ्र भर जाता है।
• शहद को बार-बार चाटते रहने से खाँसी का वेग कम हो जाता है।
• शहद को पानी में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद बंद हो जाता है।
• टूटी हुई हड्डी को तत्काल जोड़कर शहद से तर किया हुआ कपड़ा हड्डी पर लपेटना का प्रथम उपचार हेतु अतिशय उपयोगी है।
• 2-2 या 3-3 चम्मच शहद दिन भर में 3-4 बार प्रतिदिन खाते रहने से लम्बी आयु होती है। बुढ़ापों में भी जवानी का आनंद लिया जा सकता है।
• 2-3 चम्मच शहद प्रतिदिन दिन में 3-4 बार सेवन करते रहने से हार्टफेल होने का भय दूर हो जाता है।
• मधु का नियमित सेवन करने से नामर्द भी मर्द बन जाता है। शहद में दूध से 6 गुना अधिक शक्ति होती है और इसमें 1 मुर्गी के अण्डे के बराबर शक्ति होती है।
• सर्दी की ऋतु में 1 पाव दूध में 1 मुर्गी के अण्डे की जर्दी और शहद मिलाकर कम से कम 21 या 40 दिन नियमित सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट मजबूत हो जाता है।
• शहद को सेवन करते रहने से श्वासा-साधनाशक्ति बढ़ जाती है।
• शहद प्रतिदिन सेवन करने से आमाशय व आन्त्र के वण ठीक होते है।
• शहद सेवन करने से न्यूमोक्स सैप्टिक, व्रण, एमीबा, टाइकोसस इत्यादि बीमारी उत्पन्न करने वाले कीटाणु नश्ट हो जाते है।
• पुराने घाव और कैन्सर भी मधु खाने और लगाने से ठीक हो जाते हैं।
• अग्न्दिग्ध स्थान पर शहद की पट्टी रखने से दर्द और जलन तुरंत शांत हो जाती है एवं व्रण भी ठीक हो जाता है।
• छोटे बच्चों को शहद जनरल टानिक के स्थान पर सेवन करवाकर उनहें हष्ट-पुष्ट और निरोग रखा जा सकता है।
• 12 वर्ष तक आयु के बच्चों को सोते समय 1-2 चम्मच शहद निरन्तर सेवन करवाते रहने से उनका बिस्तर पर मूतना बंद हो जाता है।
• खिलाडि़यों को नित्य शहद सेवन करने से थकावट नहीं आती है।
• जब-जब सुरापान की इच्छा हो, तब-तब (2-4 चम्मच शहद) पीने से शराब पीने की लत छूट जाती है।
• पक्षाघात, लकवा, ऐंठन और स्नायुरोग 2-4 चम्मच दिन में 2-4 बार सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं। शहद कैल्शियम की मात्रा की पूर्ति करता है।
• टायफाइड ज्वर की कमजोरी में मधु सेवन अंग्रेजी टॉनिक जैसा काम करता है।
• जोड़ों के दर्द और शोथ में मधु सेवन करते रहने से पोटाशियम की पूर्ति होकर रोग शांत हो जाता है।
• 1-2 चम्मच शहद प्रतिदिन 1-2 बार निरन्तर 1-2 सप्ताह तक सेवन करते रहने से ही ऑंखें बार-बार झपकाने का रोग ठीक हो जाता है।
• 1-2 चम्मच शहद दिन में 3-4 बार खाने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।
• 2-3 चम्मच शहद दिन में 1-2 बार तथा रात्रि को सोते समय सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होकर गाढ़ा (गहरी) निद्रा आने लगती है।
• एक पके नीबू को 10 मिनट पानी में उबालकर तदुपरान्त इसका रस निकालकर इसमें दो चम्मच ग्लैसरीन और 4 औंस शहद मिलाकर रखलें। इसे 1-2 चम्मच की मात्रा में दिन मे 3-4 बार चाटने से प्रत्येक प्रकार की खांसी नष्ट हो जाती है।
• शरीर में झटके लगना, दांतो और अस्थियों के रोग, निर्बलता, सुस्ती, थकावट, चिंता, वजन गिर जाना (कमजोरी होना), गले के रोग, साहस की कमी, कुरूपता, कैन्सर, जल्द बुढ़ापा आ जाना, क्षय रोग और मधुमेह इत्यादि में मधु सेवन अमृत की भांति लाभ प्रदान करता है।
• जिस प्रकार अंग्रेजी (ऐलोपैथी) चिकित्सा में विटामिन बी काम्पलैक्स और विटामिन सी की गोलियॉं पेयो या इंजेक्शनों को महत्वपूण माना जाता है, उसी प्रकार आयुर्वेद मनीषियों ने सदियों पूर्व से ही शहद को महत्व प्रदान किया है।
• मोटापे में 1 गिलास ताजा पानी में आधा नीबू निचोड़कर चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
• 1 गिलास पानी में 6 रत्ती (पान में खाने वाला) चूना और तीन चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम हो जाता है। चर्बी, रक्त व अन्य धातुऐं शुद्ध हो जाती है। तीन मास तक निरन्तर सेवन करें।
• पित्त तथा रक्त विकार में शहद को दूध में मिलाकर सेवन करें।
• आधासीसी के दर्द में सिर दर्द के विपरीत ओर की नासिका में शहद 1-2 बूँद डालने से आराम मिलता है।
• प्रतिश्याय में आधा नीबू का रस और 2-4 चम्मच शहद दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है अथवा 1 चम्मच अदरक को शहद के साथ सेवन करना भी लाभकारी है।
• मुखपाक में मधु को मुख में धारण करने पर मुखपाक में लाभ होता है अथवा मधु को शुद्ध सुहागे में मिलाकर मुख के अंदर घावों पर लगाना अत्यन्त गुणकारी है। इससे घाव शीघ्र ठीक हो जाते है।
• कृमिदन्त में दॉंत में दर्द होने पर दर्द वाले स्थान में रुई के फाहे में मधु को रखने से दॉंत का दर्द मिट जाता है।
• मधु को प्रतिदिन मंजन की भॉंति मलने से दॉंत साफ हो जाते हैं। मसूढे मजबूत हो जाते हैं। मुख के अंदर के घाव में भी आराम हो जाता है
• बच्चों के दांत निकलने के समय मधु और शुद्ध फिटकरी को मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से दाँत बगैर कष्ट के सरलता से निकल आते है।
• दॉंतों के हिलने पर शुद्ध फिटकरी, शहद और सिरका को सम मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम दॉंतों पर मलने से दॉंतों का हिलना बंद हो जाता है।
• सोने के वर्क मधु के साथ सेवन करने से नेत्रज्योंति बढ़ती है।
• प्याज का रस और शहद सममात्रा में लेकर प्रतिदिन 2-3 बार ऑंखों में डालने से मोतिया बिन्दु में आराम पहुँचता है।
• 2-2 बूँद शहद दुखती ऑंखों में डालने से ऑंखें ठीक हो जाती हैं।
• कलमी शोरा 1 भाग एवं शुद्ध मधु 3 भाग लेकर गरम जल में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद (कान का बजना) दूर हो जाता है।
• कान के साफ करके शहद डालने से कर्ण स्त्राव (मवाद बहना) और दर्द ठीक हो जाता है।
• तुलसी के पत्तों का स्वरस और मधु सममात्रा में मिलाकर पीने से खांसी और प्रतिश्याय में लाभ होता है।
• काली मिर्च, सौंठ, पीपल के चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से कफ जनित मल निकलकर श्वास कष्ट (श्वास रोग) में लाभ होता है।
• उर:क्षत- मधु का आरम्भ से ही प्रयोग करने से यह उर में होने वाले क्षत को भरता है तथा रोग के उपसर्ग, ज्वर और कास में भी लाभ होता है।
• गिलोय के क्वाथ में सममात्रा में शहद सेवन करने से वमन रुक जाती है।
• मोरपंख के चंदे की भस्म बनाकर शहद के साथ चाटने से हिचकियॉं रुक जाती है।
• भोजनोपरान्त 1-2 तोला शहद चाट लेने से भोजन शीघ्र पचता है तथा पाचन शक्ति में वृद्धि भी होती है।
• पिसी हुई पीपल 6 माशा 2 तोला शहद के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
• मधु को जल के साथ दिन में 2-3 बार पीने से तृष्णा शान्त हो जाती है।
• मधु को आधा या सममात्रा एरन्ड तैल में मिलाकर बच्चों को पिलाने से अजीर्ण रोग व मरोड़ दूर होती है।
• गरम दूध के साथ 2 चम्मच शहद को पीने से मलावरोध रोग दूर हो जाता है।
• लम्बे समय तक निरन्त जल और मधु का सेवन करते रहना जलोदर रोग में उपयोगी है।
• गाय के दूध में मधु मिलाकर सेवन करने से यकृत की निर्बलता मिटती है।
• सुहागे को मधु के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार चाट लेने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है औश्र अश्मरी गलकर बाहर निकल आती है।
• शीतलचीनी के साथ मधु का शर्बत पीने से पेशाब की रुकावट दूर होकर मूत्र खुलकर आता है अथवा रुई की बत्ती को मधु में भिगोकर मूत्रमार्ग में रखने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है।
• शिलाजीत के साथ मधु सेवन करना मधुमेह रोग में परम लाभकारी है।
• कुष्ठ रोग में बकरी के दूध के साथ 1 से 2 तोला तक मधु सेवन करें। नमक का सेवन बंद करके क्रमश: दूध और मधु की मात्रा बढ़ाते जाऐं। इस प्रकार के उपचार से रोग नष्ट होकर रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है।
• दाद और झाइयों में शहद लगाना अतीव गुणकारी है।
• गेहूँ के आटे के साथ शहद गूंथकर सूजन पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है तथा फोड़े पर लगाने से फोड़ा पक जाता है।
• सिरका और नमक के साथ शहद मिलाकर लगाने से शरीर के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
• मधु को गरम पानी के साथ (प्रारम्भ में 1 तोला) सेवन करने से तदुपरान्त शहद की मात्रा बढ़ाते जाने से मोटापा दूर हो जाता है।
• तिलों को पीसकर मधु में मिलाकर मरहम बनाकर घावों पर लगाने से घाव अति शीघ्र भर जाते है।
• विष सेवन किये रोगी को मधु पिलाकर वमन द्वारा विष से मुक्त कर लिया जाता है। जब तक आमाशय में विष का प्रभाव अवशेष रहेगा तब तक निरन्त वमन होकर विष निकलता रहेगा।
• सफेद प्याज का रस और मधु मिलाकर सेवन करने से वीर्य की अधिक उत्पत्ति होती है और बाजीकरण शक्ति बढ़ती है अथवा भैंस के दूध में दो बड़े चम्मच मधु भली प्रकार मिलाकर पीने से शारीरिक बल और शक्ति में वृद्धि होती है।
• मधु स्त्री के गुप्त रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी औषधि है। इसके सेवन से गर्भाशय मूत्र और आर्त्तव संबंधी रोग नश्ट हो जाते हैं।
• भैंस के मक्खन में शहद मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से बच्चों के दॉंत सरलता से निकलते हैं।
• बच्चों को मधु चटाने से उनका गला साफ रहता है और उजीर्ण और ऐंठन दूर हो जाती है।
नोट- भाव प्रकाश निघन्टु में शहद आठ प्रकार का बतलाया गया है। जिसका यहॉं उल्लेख हम विस्तारमय से नहीं कर रहे हैं फिर भी शुद्ध शहद की पहचान की जानकारी हम अपने प्रवुद्ध पाठकों को देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं- 1. मक्खी को पकड़कर जोर से शहद में डालें तो वह डूब जाती है किन्तु फिर निकलकर वह साफ उड़ जाती है शहद में लिपटती नहीं है। 2. कुत्ता शुद्ध शहद को कभी चाटता नहीं है। 3. शहद आंखों में आंजने पर चिपकता नहीं है। 4. शहद जलाने पर जलने लगाता है। 5. शुद्ध शहद ठण्डक में जमता नहीं है।
यदि गुड़ की चासनी शुद्ध शहद में मिली होगी (शहद में मिलावट होना) तो ऊपर शुद्ध शहद रहता है और नीचे चासनी रहती है। प्राय: बेईमान शहद व्यवसायी शहद में गुड़ की चासनी (बख्खर) की मिलावट कर देते हैं। नीम और जामुन के पेड़ पर लगे हुए छत्ते का शहद औषधि में गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
मधु की सेवन मात्रा- पुरुषों में (व्यस्कों में) 1 से 2 तोला तक तथा बच्चों को और निर्बल स्त्री-पुरुषों को दिन भर में 4-6 माशा तक का विधान है। शुद्ध शहद रूई में भिगोकर आग लगाये जाने पर सम्पूर्ण जल जाता है जबकि कृत्रिम (मिलावट) मधु होने पर उसका कोयला शेष रह जाता है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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