71) मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार। जब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।। अर्थ: दूसरों...
Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi
51) हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार । मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार...
41) बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नही फल लागे अति...
31) दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख...
21) हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास। सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास।।...
11) अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप। अति का भला न बरसना, अति...
1) बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न...