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71 to 95 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 71 से 95 तक।

71) मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार। जब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।। अर्थ: दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के लिये परमात्मा की भक्ति करने लगते हैं, पर जब वह नहीं मिलता तब वह मूर्खों की तरह इस संसार में ही दोष निकालने लगते हैं। 72) माटी कहे कुम्हार से, तु…

51 to 70 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit with Meaning in Hindi

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 51 से 70 तक।

51) हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार । मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार ॥ अर्थ: जिस व्यक्ति ने परमात्मा के अमृत को चख लिया हो, वह सारा समय उसी नशे में मस्त रहता है। उसे न अपने शरीर कि, न ही रूप और भेष कि चिंता रहती है। 52) जबही नाम…

41 to 50 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 41 से 50 तक।

41) बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥ अर्थ: खजूर का पेड़ न तो राही को छाया देता है, और न ही उसका फल आसानी से पाया जा सकता है। इसी तरह, उस शक्ति का कोई महत्व नहीं है, जो दूसरों के काम नहीं…

31 to 40 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi With Images

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 31 से 40 तक।

31) दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥ अर्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता। यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो…

21 to 30 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi With Image

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 21 से 30 तक।

21) हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास। सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास।। अर्थ: यह नश्वर मानव देह अंत समय में लकड़ी की तरह जलती है और केश घास की तरह जल उठते हैं। सम्पूर्ण शरीर को इस तरह जलता देख, इस अंत पर कबीर का मन उदासी से भर जाता…

11 to 20 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi With Images

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 11 से 20 तक।

11) अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप। अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।। अर्थ: न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है। 12) निंदक…

1 to 10 Kabir Das Ke Dohe Arth Sahit in Hindi With Images

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित हिंदी में 1 से 10 तक।

1) बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।। अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। 2) पोथी पढ़ि पढ़ि जग…

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