माँ न जाने क्यों मुझे अब माँ की बहोत याद आती है कुछ कहने पर, अपनी बेटी को जैसे वह मुँह बनती है, मुझे मेरी ही याद दिलाती है न जाने क्यों, मुझे माँ की बहोत याद आती है उसका वो सुबह, जल्दी उठना साथ मुझे उठाना मुँह बनता था, मेरा भी की इतनी जल्दी…
माँ क्या हैं ये तो आज तक कोई भी नहीं बता पाया हैं… हज़ारों जतन करके भी इस छोटे से लब्ज़ की अहमियत कोई लब्ज़ों में नहीं बयान कर पाया हैं.. प्यार और ममता का अनमोल खज़ाना है माँ.. खुद को खो के हमारे लिए जो अपनी खुशियाँ खुशी खुशी वार दे वो है माँ…..
!!! माँ !!! माँ की ममता है सबसे न्यारी, है हम सबकी माता प्यारी।। हम सब का ख्याल है रखती, इसीलिए प्रथम गुरू कहलाती हमेशा अच्छी बातें बातें बताती सद् मार्ग का राह दिखाती कभी ना आँसू आने देती नौ महीने तक पेट में रखती चुप-चाप सब दर्द है सहती कभी ना रूकती कभी ना…