मौसमी बदलाव कहीं आपको आलसी तो नहीं बना रहा ?

मानसून ने दस्‍तक दे दी है। बदलते मौसम के साथ खुद को ना बदल पाने से कहीं आप बीमार तो नहीं महसूस कर रहे?
विकल्‍पों में से एक को चुनिए और खुद को परखिए।

1. आप आलसपन की आदत को आराम करना मानते हैं, हालांकि अपनी सच्‍चाई खुद जानते हैं ?
अ: सहमत ब: असहमत

2. आप सोने के लिए बिस्‍तर पर या कहीं और पड़े हों तो बजाय झपकी लेने के सिर्फ सोचते हैं ?
अ: सहमत ब: असहमत

3. कई बार आपकी ‘आराम मुद्रा’ के पीछे कोई बहाना या किसी व्‍यक्ति अथवा काम से बचने की कोशिश होती है ?
अ: सहमत ब: असहमत

4. आप अक्‍सर ‘सेहत के लिए सोने’ की बजाय ‘सोने में सेहत’ ढूंढते रहते हैं ?
अ: सहमत ब: असहमत

5. आप ‘आरामी-जीव’ इसलिए बन जाते हैं, क्‍योंकि आपका काम बहुत थकाऊ और उबाऊ है ?
अ: सहमत ब: असहमत

6. ऐसा भी होता है कि सोने के बाद आप खुद को पहले से ज्‍यादा थका और परेशान पाते हैं ?
अ: सहमत ब: असहमत

7. आपने सोने के सही तरीकों के बारे में कहीं से कोई ज्ञान हासिल नहीं किया ?
अ: सहमत ब: असहमत

8. आपको सोना बहुत पसंद है, भले ही वह कभी भी हो, कैसा भी हो ?
अ: सहमत ब: असहमत

9. आप दिन-रात के 24 घंटों में 6 घंटे से सोने के अलावा भी सोने का मौका ढूंढते हैं ?
अ: सहमत ब: असहमत

स्‍कोर और एनालिसिस

आरामी जीव ना बनें:-
अगर आप सात या उससे ज्‍यादा विचारों से सहमत हैं तो आप ‘आरामी-जीव’ हैं। आपको भी पता है कि बेहार में पड़े रहने से कुछ मिलने वाला नहीं, लेकिन आपकी आदत बदल नहीं रही। उपाय के तौर पर आपको अपनी सोच में यह बदलाव लाना होगा कि, पहले काम, बाद में आराम। आराम जरूरी है लेकिन इतना नहीं कि सेहत, काम और संबंधों पर बुरा असर पड़े। उठिए, थोड़ा बेचैन बनिए।

अापका रूटिन ठीक है:-
यदि आप सात या उससे ज्‍यादा विचारों से सहमत नहीं हैं तो आप आराम तब करते हैं जब जरूरत होती है, जैसे कि कोई औषधि। सही मायनों में आराम एक औषधि है और आपको उसे लेने का तरीका अच्‍छी तरह पता है। यही वजह है कि आपके काम, व्‍यवहार में आराम आड़े नहीं आता। अपने ‘आराम-अनुशासन’ को बनाए रखिए, आपको जीवन में चैन मिलेगा।


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