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बिगड़ता खानपान, जीवनशैली व शरीरिक सक्रियता घटने से दिक्कत
देश के 26 राज्यों के 86 शहरों में 07 साल से 18 साल के बच्चों पर एडुस्पोर्ट्स हैल्थ सर्वे-2018 की रिपोर्ट के अनुसार 3 में से 2 बच्चों का बीएमआई सामान्य से ज्यादा है। हर दूसरे बच्चे का शरीरिक लचीलापन कम पाया गया। तीन में से 2 बच्चों मे तेज दौड़ने की क्षमता नहीं थी। साथ ही, 40 प्रतिशत लड़कों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) लड़कियों से बेहतर है।
बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। गलत खानपान और आउटडोर खेल गतिविधियां कम होने से शहरों के बच्चों का वजन तेती से बढ़ रहा है। किशोरों में 25% मोटज्ञपे की वृद्धि हुई है। वजन का पैमाना बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) यानी शरीर का वजन और लंबाई का अनुपात होता है। बच्चों में अनियंत्रित ढंग से बढता वजन अमरीका में भी बड़ी समस्या बन गया हैं। वहां के डॉक्टरों ने तो इसे महामारी के रूप में लेने की चेतावनी तक दे डाली है।
प्रतिवर्ष दो किलोग्राम वजन बढ़ना जरूरी
एक औसत स्वस्थ बच्चे का वजन, उसकी 3-7 वर्ष तक की आयु तक प्रति वर्ष दो किलोग्राम की दर से बढ़ना चाहिए। उसके बाद वयस्क होने तक उसका वजन प्रति वर्ष तीन किलोग्राम की प्रतिवर्ष बढ़ना चाहिए।
80% बच्चों में चॉकलेट, पिज्जा खाने का क्रेज
11 से 20 वर्ष की आयु के 80% बच्चे कैंडी, चॉकलेट, पिज्जा, फ्रेंज फ्राइज, मीठी चीजें खाते हैं। इस आयु में बच्चों को वजन भी तेजी से बढ़ता है।
वजन बढ़ने से ये दिक्कतें होती है
फैटी लिवर, खरांटे, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, उच्च रक्तचाप, पीसीओडी, त्वचा संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास में कमी, तनाव व डिप्रेशन की समस्या होती है।
इन चार कारणों से बढता है वजन
खाने की गलत आदतें:- बच्चों की खाने की गलत आदतों से मोटापा बढता है। भूख लगने से पहले खाना, स्नैक्स, जंकफूड, अधिक मीठा खाने से तेजी से वजन बढ़ता है।
निष्क्रिय जीवनश्ौली:- अक्सर बच्चे नियमित शारीरिक गतिविध्ाियां नहीं करते हैं। वीडियो गेम, टीवी, मोबाइल देख्ाते हैं। कैलोरी खर्च नहीं हो पाती। 90 फीसदी मोटापा गलत खानपान से होता है।
अानुवांशिक:- आनुवांशिक कारणों से भी मोटापा बढ़ता है, हालांकि यह 3 से 5 प्रतिशत बच्चों में ही होता है। यदि माता-पिता मोटापे से ग्रस्त हैं तो बच्चे में भी मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।
बीमारी:- किसी बीमारी के लंबे समय तक इलाज के दौरान एंटीबॉयटिक्स दवाएं वजन बढ़ा सकती है। 7-10 प्रतिशत बच्चों में इस वजह से मोटापा बढ़ता है।
जरूरी हैं ये कदम:-
• खानपान की आदतों को बदलें।
• जंकफूड, फास्ट फूड खाने से बचें।
• सपरिवार बच्चे के साथ भोजन करें।
• टीवी देखते हुए कुछ भी न खाएं।
• कभी भी खाने की आदत बदलें।
• खाने से आधे घंटे पहले सलाद दें।
जन्म के आधार पर हो बच्चे का वजन
जन्म से 10 साल तक के बच्चे का वजन उसके जन्म के वजन के आधार पर निर्धारण करते है।
आयु वजन
0-3 माह प्रति सप्ताह 210 ग्रा. की बढत
5 माह जन्म के वजन से दुगुना
6-12 माह प्रति माह 400 ग्रा. की बढ़त
1 वर्ष जन्म के वजन से तीन गुना
2 वर्ष जन्म के वजन से चार गुना
3 वर्ष जन्म के वजन से पांच गुना
5 वर्ष जन्म के वजन से छह गुना
7 वर्ष जन्म के वजन से 7 गुना
10 वर्ष जन्म के वजन से दस गुना
(यह चार्ट डब्लूएसओ के आंकड़ों के आधार पर है।)
जानें बीएमआइ – बीएमआइ जानने के लिए पहले वजन व लंबाई मापें। बीएमआइ – वजन (किग्रा.)/(ऊंचाई गुणा (ऊंचाई मीटर ) में)
मोटापाग्रस्त बच्चों के माता-पिता के सवाल
प्र. मेरा बच्चा मोटापे से ग्रस्त है। क्या वाे आगे भी मोटा ही रहेगा?
ऐसा जरूरी नहीं है। संतुलित खानपान व आउटडोर एक्टिविटी से वजन कम होता है। हालांकि कभी-कभी मोटापाग्रस्त माता-पिता के बच्चे में ऐसी दिक्कत हो सकती है।
प्र. बच्चे का वजन घटाने के लिए क्या करूं ?
जंकफूड-फास्टफूड खिलाने से बचें। उसके खाने में 40 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 30 प्रतिशत फैट व 30 प्रतिशत प्रोटीन का अनुपात जरूरी है। इसके अलावा प्रतिदिन एक घंटा खेलने के लिए बाहर ले जाएं।
प्र. बच्चे में हैल्दी खानपान की आदत कैसे डालें ?
बड़ों की आदतों को देखकर बच्चे सीखते हैं। जो आदत उसमें चाहते है पहले वह खुद करें। बच्चा वह सब कुछ खाना शुरू कर देगा। कभी वह खुद को अलग नहीं समझेगा।
प्र. बच्चे में खेलने व व्यायाम की आदत कैसे डालें ?
उसके सोने-जागने, खाने -पीने व पढ़ने-खेलने का समय तय कर दें। मोबाइल-टीवी के लिए एक घंटे से ज्यादा समय न दें। दोस्तों के साथ मैदानी खेलों व व्यायाम की आदत डालें। खुद भी साथ जाएं।
प्र. क्या वजन घटाने वाली दवाएं दे सकते हैं ?
बच्चों का वजन घटाने के लिए दवा या स्टेरॉयड का सहारा न लें। ये सेहत के लिए ठीक नहीं है। क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट या हैल्थ कोच से डाइट प्लान कर वजन कम कराएं।
डॉ. राकेश मिश्रा,
वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, गांधी मेडिकल काॅलेज, भोपाल
डॉ. विष्णु अग्रवाल
शिशु रोग विशेषज्ञ, जेके लॉन, शिशु चिकित्सालय, जयपुर
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