The Best Informative Web Portal in Hindi
बहुत से माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे बचपन से ही जीवन के असली संघषों का सामना करना सीख जाएं। इसके लिए वे चाहते हैं कि बच्चे अपने रोजमर्रा के कामों को करने के लिए उन पर निर्भर न हों बल्कि खुद ही अपने कामों को करें। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक बनकर उसं छोटी-छोटी लेकिन जीवन से जुड़ी अहम बातों के बारे में समझाएं जैसे कि खाने का क्या महत्व है, बिस्तर को समेटना, कपड़ों को लॉन्ड्री के लिए निकालना, राशन लाते समय चीजों का ध्यान रखना और मार्केट में किस तरह से डील करना आदि। यही वे खास बातें हैं जो आगे चलकर आपके बच्चे का भविष्य व्यवस्थित कर सकती हैं।
कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनके पास ढेर सारे खिलौने होते हैं। उन्हें न तो वे किसी भाई-बहन के साथ शेयर करते हैं और न ही संवार कर रखते हैं। माता-पिता को चाहिए कि जो भी खिलौना लाएं सबसे पहले उसे बच्चे को अपने भाई-बहन के साथ शेयर करे के किलए कहें। आप बड़े हो आप मत मांगों, आपका छोटा भाई या बहन है दे दो कहकर किसी एक बच्चे का पक्ष बिल्कुल न लें।। इससे बच्चे में पक्षपात की भावना बढ़ेगी। साथ ही बच्चों को बताएं कि खिलौनों के लिए यह जगह निश्चित है और आपको यहीं पर खेलने के बाद अपने खिलौनों को रोजाना रखना है।
किचन में खाना बनाते हुए बच्चे को भी अपने साथ रखें और पूरे प्रोसेस के दौरान उसे भोजन को उपयोगिता, किस मसाले में क्या खासियत है, किसी चीज को खाने से क्या लाभ चाहिए। इससे आपका बच्चा आपकी अनुपस्थिति में या आपकी तबीयत खराब होने पर खुद से कुछ न कुछ बना पाएगा। साथ ही, आपके बच्चे को इस बात का भी बहसास होगा की किन चीजों को खाने से उसे ज्यादा फायदा होगा और यह हरी सब्जियों को खाने के नाम पर नाक-मुंह भी नहीं बनाएंगा। इससे बच्चा खाने की भी बर्बादी नहीं करेगा।
अक्सर देखने में आता है कि कुछ माता-पिता बच्चे द्वारा गलत बात या अपशब्द कहने पर हंसते हैं। लेकिन धीरे-धीरे ये शब्द उसकी आदत में शुमार हो जाते हैं और आगे चलकर वे सभी से उसी तरह बात करने लगता है। माता-पिता को चाहिए कि अगर आपका बच्चा अचानक से किसी को अपशब्द कहे या किसी पर हाथ चलाए तो उसे फौरन समझाएं और दोबारा कभी भी ऐसा न करने के लिए कहें।
बिस्तर और अपना कमरा साफ करना व समेटना हर बच्चे के लिए आवश्यक है। इससे आके बच्चे को अकेले काम करने की आदत पड़ेगी और वह हर समय आप पर उसका अपना कमरा ठीक करने के लिए निर्भर भी नहीं रहेगा। यह भविष्य में उसके काफी काम आएगी।
गंदे कपड़ों को लॉन्ड्री के लिए अलग करना और धुले हुए कपड़े तय करना, बच्चों को जरूर सिखाएं। इससे उनको अपनी जिम्मेदारी का अहसास होगा और वे अपनी चीजों के लिए हर समय आपको ही आवाज नहीं लगाएंगे। इससे आपके भी समय की बचत होगी।
जब भी घर का पूरा राशन लाना हो तो बच्चे को बैठाकर सामान की लिस्ट तैयार करें। इससे बच्चे की डिक्टेशन होगी, उसे चीजों की जानकारी होगी, नाप-तौल का ज्ञान होगा, साथ ही वह जान सकेगा कि चीजों को कैसेट मैनेज और प्लान किया जाता है। इसी तरह जब मार्केट जाएं तो बच्चे को साथ लेकर जाएं। इससे उसे मार्केट में लोगों से डील करने का तरीका समझ में आएगा, पैसों के लेन-देन की समझ बनेगी और वह संकोची नहीं रहेगा।