घनश्याम दास जी बिड़ला (G.D. Birla) द्वारा अपने पुत्र बसंत कुमार जी बिड़ला (B.K. Birla) के नाम 1934 में लिखा गया एक अत्यंत प्रेरक पत्र जो हर एक को जरूर पढ़ना चाहिए। चि. बसंत……
उभरती बुराई ने दबती सी अच्छाई से कहा, कुछ भी हो, लाख मतभेद हो पर है तू मेरी सहेली। मुझे अपने सामने तेरा दबना अच्छा नही लगता। अलग खड़ी न हो मुझमें मिल जा।…
एक वृध्द व्यक्ति अपने बहु-बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत पड चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से…
उस समय फ्रांस के महान विजेता नेपोलियन एक साधारण सैनिक थे। वह बेहद मेहनती और अपने काम के प्रति समर्पित थे। एक दिन राह में एक ज्योतिषी कुछ लोगों का हाथ देख रहे थे।…
ऑफिस से निकल कर शर्माजी ने स्कूटर स्टार्ट किया ही था कि उन्हें याद आया, पत्नी ने कहा था, 1 Kg अमरूद लेते आना। तभी उन्हें सड़क किनारे बड़े और ताज़ा अमरूद बेचते हुए…
उभरती बुराई ने दबती सी अच्छाई से कहा, कुछ भी हो, लाख मतभेद हो पर है तू मेरी सहेली। मुझे अपने सामने तेरा दबना अच्छा नही लगता। अलग खड़ी न हो मुझमें मिल जा।…
एक बार यूनान के मशहूर दार्शनिक सुकरात भ्रमण करते हुए एक नगर में गए। वहां उनकी मुलाकात एक वृद्ध सज्जन से हुई, दोनों आपस में काफी घुलमिल गए। वृद्ध सज्जन आग्रहपूर्वक सुकरात को अपने…
देवदूत ने सृष्टि के निर्माता के कक्ष में आते हुए कहा:- “भगवान क्या लिख रहे हो, इतनी देर से?” भगवान् ने उसकी तरफ ध्यान दिए बगैर लिखना चालू रखा। देवदूत ने कहा:- “सो जाइये…
एक दोस्त हलवाई की दुकान पर मिल गया। मुझसे कहा- आज माँ का श्राद्ध है, माँ को लड्डू बहुत पसन्द है, इसलिए लड्डू लेने आया हूँ! मैं आश्चर्य में पड़ गया, अभी पाँच मिनिट…