गुणों की खान कहते हैं, छोटी सी हरड़ को!!

आयुर्वेद के खजाने में एक दवा यानी की हरड़ में कई बीमारियों को मात देने की क्षमता है।

इन रोगों में लाभदायक:-

त्‍वचा के रोग, गला बैइ जाना, पुराना बुखार, सिर के रोग, आंखों के रोग, खून की कमी, हृदय रोग, पीलिया, शरीर में सोज पड़ना, प्रमेह रोग, उल्‍टी आना, पेट में कीड़े होना, दमा, खांसी, मुह में लार टपकना, बवासीर, प्‍लीहा वृद्धि, पेट में अफरा पड़ना, विष का सेवन, वायु गोला, उदर रोग, भोजन में अरुचि, के साथ-साथ हरड़ का प्रयोग वातज व कफ रोगों में हितकर है। हरड़ चूर्ण को गौमूत्र के साथ प्रतिदिन पी कर व उसके पचने के बाद दूध का सेवन करने से खून की कमी दूर होती है। सौंठ, काली मिरच व पिप्‍पली, गुड़ व तिल तेल के साथ एक मास तक हरड़ का प्रयोग करने से कुष्‍ठ रोग का नाश होता है।

ऐसे करें हरड़ का सेवन:-

भोजन करने से पहले दो बहड़े, भोजन के बाद चार आमले व भोजन पचने के बाद एक हरड़ के फल का चूर्ण नियमित रूप से शहद व गो घृत के साथ एक वर्ष तक प्रयोग करने से व्‍यक्ति सालों तक बिना किसी रोग के साथ जीता है। कहते हैं अकाल में भी उसको वृद्धावस्‍था नहीं घेरती। भोजन करने से पहले दो ग्राम हरड़ चूर्ण पुराने गुड के साथ लेने से बवासीर रोग में लाभ मिलता है। केवल हरड़ के चूर्ण का गर्म जल के साथ सेवन करने से आंव दूर हो जाती है।


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