सूरदास जी का दोहा क्रमांक : 1) चोरि माखन खात… चोरि माखन खात चली ब्रज घर घरनि...
Literary / Sahityik
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गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे अर्थ सहित हिंदी में गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीरामचरितमानस के रचयिता थे और...
31) रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि । उनते पहिले वे मुये, जिन मुख...
21) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन...
11) रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय । सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न...
1) बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय । रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन...
71) मान बड़ाई देखि कर, भक्ति करै संसार। जब देखैं कछु हीनता, अवगुन धरै गंवार।। अर्थ: दूसरों...
51) हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार । मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार...
41) बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नही फल लागे अति...
31) दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख...