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स्वप्न दोष क्या होता है रोग परिचय:-
( Night Fall Kya Hai ?)
इस रोग को उर्दू में एहतलाम के नाम से जाना जाता है। इस रोग में नींद में स्त्री का स्वप्न आता है। रोगी स्वप्न में उस स्त्री से संभोग करता है, जिसके फलस्वरूप नींद में ही वीर्यपात हो जाता है और पहने हुए कपड़े गंदे हो जाते है। इस प्रकार स्वप्न में जब बार-बार वीय निकलने लग जाता है तब यह स्वप्नदोष रोग के नाम से जाना जाता है।
स्वप्न दोष होने का कारण:-
(Nightfall Reason in Hindi)
बुरे विचार, अत्यधिक मैथुन, हस्त मैथुन, गुदा मैथुन, कब्ज, बदहज्मी, चित्त पड़कर सोना, अविवाहित रहना, वृक्कों की गर्मी, भोजनोपरान्त तुरंत सो जाना, स्वप्नदोष हो जाने का मन में भय बने रहना, पेट में कीड़े होना, प्रोस्टेट ग्लैन्ड की खराश, सुपारी का लम्बा होना, मूत्रमार्ग का प्रदाह, काम इच्छा बढ़ जाना, उत्तेजक एवं मादक पदार्थें का अत्यधिक सेवन, स्तम्भन शक्ति की कमी, वीर्य की थैलियों में ऐंठन, नंगे चित्र अथवा चलचित्रों का देखना, वीर्य की अधिकता, वीर्य की गर्मी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्राशय की खराश, खट्टे अथवा अधिक भोजन खाना इत्यादि है।
स्वप्नदोष के रोगी के कमर में दर्द रहने लगता है, उसका चेहरा पीला आँखे धँसी हुई और वीर्य पतला पड़ जाता है। रोगी का शरीर ढीला-ढाला और वजन कम हो जाता है। आलस्य से वह ऊँखता रहता है, माथे में दर्द हो सकता है। दृष्टि-एकाग्रता में कमी हो जाती है, स्मरण शक्ति का अभाव, आँखों के पीछे की ओर दर्द, मर्दाना शक्ति की कमी इत्यादि हो जाती है। अनुभवहीन चिकित्सक स्वप्नदोष हो एक भयानक रोग को बतलाकर और भी अधिक पीडि़त कर देते हैं। जबकि यह एक मामूली रोग है जो उचित उपचार नियम, संयम के पालन एवं उचित आहार-विहार के फलस्वरूप अवश्य ही पूर्णरूपेण नष्ट हो जाता है।
स्वप्न दोष का इलाज / उपचार:-
(Swapn Dosh / Nightfall Ayurvedic Treatment in Hindi)
• धतूरे के बीज का पुंकेश्वर जीरा 1 तोला, बंगभस्म 3 ग्राम, खरल करके 10 पुडि़या (खुराक) बनाकर 1 मात्रा सायंकाल के समय खायें। यह योग स्वप्नदोष तथा शीघ्रपतन नाशक है।
• बड़ का दूध 10 बूँद प्रात:काल बताशे में डालकर खाना स्वप्नदोष के लिए अमृत समान है। स्वप्नदोष नाशक अनुभूत योग है।
• भोफली बूटी 6 से 9 ग्राम तक जल में पीसकर खान्ड मिलाकर प्रात:काल पीना अत्यन्त लाभप्रद है।
• इमली के बीजों को थोड़ा भूनकर (छिलका दूर करके) मैदा के समान चूर्ण बनाकर डेढ़ ग्राम की मात्रा में खान्ड मिलाकर गाय के दूध के साथ प्रात: सायं खाना अतीव गुणकारी है।
• शतावरी, असगन्ध, विधारा के बीज प्रत्येक सममात्रा में लेकर कूट पीसकर सभी वजन के बराबर खान्ड मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम जल या गोदुग्ध से सेवन करने से स्वप्नदोष एवं वीर्य प्रमेह नष्ट हो जाता है। वीर्य गाढ़ा हो जाता है एवं रोगी का कायाकल्प होकर वह मोटा-ताजा, हष्ट पुष्ट हो जाता है। इसे टॉनिक के तौर पर स्वस्थ व्यक्ति भी प्रयोग कर सकता है। अत्यन्त ही शाक्तिवर्धक योग है।
• ईसबगोल का छिलका (भूसी) 20 ग्राम को 3 बार बड़ के दूध में गीला करके खुश्क करें तथा बड़ वृक्ष की कोपलें छाया में शुष्क की हुई 12 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी 12 ग्राम, बंग भस्म 6 माशा सभी का चूर्ण बनाकर बड़ वृक्ष के ताजा दूध में भली प्रकार खरल करके मटर के आकार की गोलियॉं बनाकर सुरक्षित रखलें। 2 से 4 गोली तक सुबह-शाम बकरी या गाय के दूध से सेवन करने से स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन दूर होता है।
• सोते समय 4 ग्रेन कपूर मिश्री मिलाकर फाँकने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष होना बंद हो जाता है।
• मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मधु में मिलाकर चाटने से स्वप्नदोष रोग नष्ट हो जाता है।
स्वप्नदोष नाशक प्रमुख पेटेन्ट आयुर्वेदिक दवाई :-
( SwapnDosh / Nightfall Ayurvedic Medicine in Hindi )
स्वप्नहरी टेबलेट (डाबर)- 1-1 गोली दिन में 2 बार ताजा जल से लें।
जियो टेबलेट (चरक)- 2-2 टिकिया दिन में 3 बार दूध से सेवन करायें।
प्रमेह केसरी कैपसूल (मिश्रा) – 1-1 कैपसूल सुबह-शाम लें। स्वप्नदोष व वीर्य प्रमेह नाशक है।
स्वप्नहरी लिक्विड (डाबर)- आवश्यकतानुसार पत्रक देखकर सेवन करें।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
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