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बाइक से चलें तो हेलमेट के साथ मास्क भी लगाएं।
सर्दी की शुरूआत में नमी से संक्रमण बढ़ता है। पसीना आना, ठंड लगना मौसमी बीमारी के मुख्य कारणों में से एक है। सर्दी-खांसी-जुकाम जल्दी होने लगाता है। युवा बाइक से चलें तो हेलमेट के साथ मास्क लगाएं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहलाने के बजाय उसे कपड़ा गीला कर पोंछें।
इस मौसम में दिन-रात के तापमान का अंतर तेजी से कम हो जाता है। इस वजह से एलर्जी व वायरल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, गला खराब होने जैसी दिक्कतें होती हैं। इसका सबसे ज्यादा असर अब युवाओं में देखने को मिल रहा है। उन्हें एलर्जी सहित कई शरीरिक समस्याएं होती हैं। बुजुर्गों में युवाओं की जुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में उनमें खून की कमी, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्या होने के कारण संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है। उच्च रक्तचाप से दिमाग, हृदय, किडनी और आंखों पर असर दिखाई देता है। मौसमी बीमारी होने पर बुजुर्गों को फेफड़ों के संक्रमण के अलावा अन्य बीमारियों के बढने की भी संभावना ज्यादा रहती है।
मास्क लगाकर निकलें।
नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लें। दूध और दूध से बने उत्पाद, ड्राई फ्रूट्स, ताजे फल और हरी सब्जियों को खान-पान में शामिल करें। भरपूर पानी और तरल पदार्थ लें। एलर्जी से बचने के लिए धूल-मिट्टी से बचें। घर से निकलते समय प्रदूषण से बचने के लिए चेहरे को कपड़े और मास्क से ढंककर रखें।
एलर्जी से ऐसे बचाव संभव है।
कॉमन कोल्ड एलर्जी: सर्दी में गरम कपड़े पहनने में लापरवाही न बरतें। सिर पर टोपी पहनें। बाहर निकलते वक्त चेहरे पर मफलर बांध लें। बाइक चला रहें हैं तो आंखों के बचाव के लिए चश्मा और हेलमेट जरूर पहनें जिससे हवा आंखों व चेहरे पर न लगे। तेज ठंडी हवा फेसियल नर्व पर देर तक लगती है तो उसके सुन्न होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
डस्ट एलर्जी: सर्दियों में डस्ट एलजी की समस्या भी तेजी से बढ़ती है। बिस्तर से निकलते ही लगातार छींक आना प्रमुख लक्षण है। ऐसे में जो चीज ओढ़ रहे हैं उसे साफ रखें। डस्ट से बचाव के लिए मुंह पर मास्क लगाना बेहतर होगा।
बुखार-सिर दर्द: सर्दी लगने पर बुखार के साथ सिर में दर्द की समस्या तेजी से रहती है। कारण हवा जब शरीर में घुसती है तो शरीर के तापमान में असंतुलन होता है जिसकी वजह से बुखार होने के बाद व्यक्ति को सिर में दर्द होने लगता है।
अस्थमा एलर्जी: सांस संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए ठंडक में बहुत देर तक बाहर न रहें। बाक पर चलने से बचें। इससे सांस लेने की समस्या हो सकती है। ऐसे में सावधानी बरतें।
मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार इलाज।
इस मौसम में धूल मिट्टी के कण उड़ते दिखाई देते हैं। एलर्जी बढ़ने का कारण अगरबत्ती, परफ्यूम, इत्र, डीओडरन्ट, कपड़ों में फाइबर से हो सकती है। कई सालों से युवाओं में छींके, सांस लेने में समस्या, नाक में दर्द, जुकाम, नाक के आस-पास लगातार खुजली, दम घटने जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे उनकी दैनिक दिनचर्या प्रभवित हो रही है। उम्र और मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार होम्योपैथी में इलाज किया जाता है।
आइसक्रीम, दही लेने से बचें: सर्दियों में आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, दही व दूसरी चीजें खाने का ट्रेंड है। इनसे परहेज कर बीमारियों से बचा जा सकता है। सर्दियों में बच्चों का खास खयाल रखें जिससे इम्युनिटी कमजोर न हो। पूरे कपड़े पहनाएं। बच्चे की उम्र पांच साल से कम है तो उसे ठंडे पानी से नहलाने की बजाए कपड़ा गीला कर उससे पोंछ दें। धूप में उसे थोड़े समय खेलने देना चाहिए।
डॉ. अरविन्द पालावत
सीनियर फिजिशियन, एसएमएस, अस्पताल, जयपुर
डॉ. अमित खंडेलवाल
होम्योपैथी एक्सपर्ट, जयपुर
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