रोजक जानकारी – कहां से आई सांप-सीढ़ी!

बचपन में सांप-सीढ़ी का खेल हम सभी ने खेला है। लेकिन कभी ये सोचा है कि ये खेल आया कहां से? सांप-सीढ़ी सबसे पुराने खेलों में से एक है। अधिकतर लोगों का मानना है कि ये खेल विदेश से आया है। ये कितना सही है और कितना नहीं, जानते हैं सांप-सीढ़ी के रोजक इतिहास के बारे में।

ऐसे हुई सांप-सीढ़ी  की शुरूआत

प्राचीन भारत में इस खेल को ‘मोक्षपट या मोक्ष पटामु’ के नाम से जाना जाता था। ये खेल दूसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व से खेला जाता रहा है। हालांकि ये भी माना जाता है कि स्‍वामी ज्ञानदेव ने इस खेल को 13 वीं शताब्‍दी में बनाया था। तब इस खेल का उद्देश्‍य बच्‍चों को कर्म और काम की शिक्षा देना था। सीढि़यां अच्‍छे कर्म को दर्शाती थीं औश्र सांप बुरे कर्म को दर्शाते थे। इनमें सांपों की संख्‍या सीढि़यों से अधिक होती है। अगर आप खेल के आखरी पायदान 100 पर पहुंच गए तो इसका मतलब है कि आपको मोक्ष प्राप्‍त हो गया ।

सांप-सीढ़ी को इंग्‍लैंड में मिला नया रंग रूप

सांप-सीढ़ी का ये खेल 19वीं शताब्‍दी में इंग्‍लैंड पहुंच गया। कहते हैं इंग्‍लैंड के शासक इसे अपने साथ ले गए थे। इसका नाम बदलकर ‘स्‍लेक एंड लैडर’ रख दिया। वही सांप और सीढि़यों की संख्‍या को बराबर कर दिया गया। 1943 में ये खेल ‘शूट एंड लैडर्स’ के नाम से यूएस पहुंचा। इसमें किसी तरह का कोई संदेश मौजूद नहीं था। इसे सिर्फ़ मनोरंजन का जरिया बनाया गया।


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