लघुकथा – मालिक किसान ‘ज़मीदार’ होता है, ज़मीन का मालिक। लेकिन इसका अहसास कितने लोगों को होता है ? नत्थूराम के दोनों बेटे क़ाबिल थे। बड़ा बेटा रोहित एम.ए. करने के पश्चात प्रतियोगी परीक्षा…
तीन लघु कथाएं 1- ईमानदारी – महेश राजा 2- प्रवचन – शुभम बैश्णव 3- पश्चाताप की अग्नि – शांतिलाल सोनी ईमानदारी – महेश राजा थ्री टीयर, स्लीपर कोच के पास बड़ी भीड़ थी।…
नसीहत मुंबई स्टेशन पर खड़ी ट्रेन का इंजतार कर रही थी। मैं प्लेटफॉर्म पर बैठी पत्रिका पढ़ने का प्रयास कर रही थी। एक बच्चे की गिड़गिड़ाहट ने तन्मयता भंग की। सुबू को भूक्खा हैं…
असली चेहरा! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सोसाइटी की चार वायोव़द्ध महिलाओं को संमानित करके सोसाइटी के सचिव भरत जी ने तमाम महिलाओं के मन में अपनी एक खास जगह बना ली थी। अपने उद्बोधन…
रात के दो बजे एक कुत्ता झोपड़ी के आगे उदास बैठा था! दूसरा कुत्ता आया और बोला:- रोज तो खूब भौकता है, आज चुप क्यों बैठा है? उदास कुत्ता बोला:- रोटी तो कई बार…
यह एक राजा की कहानी है, जिसने अपने ही 3 दरबारियों को एक ही अपराध की तीन अलग-अलग प्रकार की सजा दी। पहले को राजा ने कुछ बर्षो का कारावास दिया, दूसरे को देश…
एक धनवान व्यक्ति था, वह बडा ही विलासी था। हर समय ही उसके मन में भोग विलास सुरा-सुंदरियों के विचार ही आते रहते। वह खुद भी इन विचारों से बहुत परेशान था, उसने बहुत…
शर्माजी जब लगभग 45 वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। बहुत से लोगों ने शर्माजी से दूसरी शादी की सलाह दी परंतु शर्माजी ने यह कहकर मना कर दिया…