यह कहानी नहीं एक सच्चाई है, आज के रिश्तों की..
एक व्यक्ति रामकिशन जिसने 14 साल की उम्रः से एक छोटे से किराना के काम से व्यवसाय शुरू किया। पिता की मृत्यु चूँकि पहले ही हो चुकी थी, उनके नाना ने उन्हें पाला, उनके 2 भाई और जिनका भार उन पर था। उन्होंने 14 साल की उम्र से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने दोनों छोटे भाइयों को पढ़ा कर एक अच्छी नौकरी के काबिल बना दिया, वह दोनों भाई आज अपने परिवार के साथ सम्पन्न है।
रामकिशन की पत्नी बहुत ममता प्रिय, साक्षात लक्ष्मी महिला, उन्होंने अपने पति का हमेशा साथ दिया दुःख और सुख में, रामकिशन के 6 बेटे और 4 लड़कियां हुई। लगातार 3 बेटियों के बाद उन्हें पुत्र हुआ, उसके बाद लगातार 2 पुत्र और एक पुत्री और २ पुत्र। जैसा की भाई बहिन में उम्र के अनुसार अंतर काफी रहा। पिता ने बहुत संघर्ष किया, अपनी छोटी सी दुकान को नामी (विख्यात) कर दिया पुरे शहर में। आज उनका ब्रांड QUALITY SYMBOL चलता है।
एक पिता ने मेहनत करके सबको उनकी इच्छा अनुसार पढ़ा दिया, बेटियों की शादी भी कर दी, शादी के बाद भी बेटियों से बहुत प्रेम रखा, और काफी दिया समयानुसार बिना भेद भाव के। एक बेटा तीसरे नंबर का, शादी के थोड़े दिन बाद ही अलग हो गया अपने रुपये लेके, अलग दुकान लगा ली। चौथे बेटे ने अपने पढ़ाई करते हुए नए काम की ट्रेनिंग ली और स्वयं अपने पैरो पर खड़ा हो गया।
शुरू के दो भाई अपने पिता के साथ ही और 5 NO का भाई भी उसकी दुकान पे जहाँ पिता काम करते है, 6 NO का बेटा काफी छोटा रह गया, तब तक माँ की तबियत भी ज्यादा ठीक नहीं रहती थी, जैसे तैसे उसकी शादी करवाई माँ ने ताकि अपनी सबसे छोटी बहु देख सके, उसका परिवार पूरा हो जाये। शादी के बाद 6 no का पुत्र अपने बड़े भाई 4 no के साथ काम में लग गया।
सब ठीक चल रहा था, उम्रः के साथ माँ चल बसी| अब पिता अकेले, कही न कही उन्हें अपनी पत्नी की याद बहुत रहती थी, कयूं की शादी जल्दी हो गयी थी तो पत्नी के बिना उन्होंने कभी इतना समय नहीं निकाला।
अब वही समय जब बाप की सम्पति से बेटों को हिस्सा चाहिए, पिता ने बहुत सोच कर अपनी जिंदगी भर की पूंजी अपने बेटों में बाँट दी – बड़े बेटे को जिसके 3 पुत्र है उसे अपना एजेंसी का कार्य दे दिया और 2 गोडाउन दे दिए। घर जिसमे वह खुद रहते है वह बड़े बेटे के हिस्से में दे दिया, दूसरे पुत्र को जिसके 3 बिटिया और एक छोटा लड़का है, अपनी दुकान खुद की दुकान दी ,जहाँ से वह कमा सके और एक प्लाट दे दिया, चौथे और छठे बैठे को अपने मकान के सामने मकान दिलवा दिया और व्यवसाय उनका वैसे ही अलग था ही, पांचवा बेटा जिसके 2 पुत्र है, उन्हें दुकान वही जहाँ से वह खुद कमा के निकले और प्लाट दे दिया।
और एक दिन वह खुद रात को ऐसे सोये की सुबह वापस जागे नहीं। जब उन्हें मोक्षधाम ले जाया गया पुरे शहर के किराना व्यापारी के शोक व्यक्त किया, उन्हें 240 शाले ओढाई गयी, इतना सम्मान एक आदमी ने अपनी मेहनत से कमाया।
आज की सामजिकता को देखते हुए एक पिता ने बहुत अच्छा किया अपने हर बेटे के साथ, पर आज भी सब बेटे संतुष्ट नहीं। बहुत किस्मत वाले वह दो बेटे जिन्हें अपने पिता की दुकान से कमाने का मौका मिला, साल दो साल में उस दुकान का भी बॅटवारा कर डाला, उस दुकान का जो रामकिशन जी की जिंदगी भर की वह पेढ़ी थी जिस से उन्होंने पूरा परिवार को इतना काबिल बनाया, इतने खर्चे उठाये।
आज भी जब हम उस दुकान को देखते है एक दर्द सा होता है, क्या यह दो भाई सिर्फ एक दुकान को बिना बांटे नहीं रख सकते थे, जबकि दोनों भाई में उम्रः का अंतर है, बड़ा भाई के 3 लड़की एक लड़का और छोटे भाई के 2 लड़के, क्या वह कुछ और समय नहीं निकल सकते थे थोड़ा एडजस्ट करके।
कहने को यह सब पुत्र अपने माता पिता की फोटो हर जगह लगाते है उन्हें हमेशा याद रखते है, इतना प्यार भी करते है, पर क्या उन्होंने उन माता पिता से घर को जोड़ने की शिक्षा ली?, क्या उनके संस्कार को वह अपने दिल में उतार पाए? क्या छोटा भाई कभी बड़े भाई को पिता के जितना सम्मान नहीं दे सका? क्या कभी बड़ा भाई अपने छोटे भाई को बेटा समझ कर माफ़ नहीं कर सकता था? पिता ने कुछ सोच कर उन दोनों को वह दुकान दी होगी, जहाँ एक तरफ उनका गल्ला होता था और दूसरी और उनका एकाउंट्स और एजेंट्स के साथ डील होती थी, वह दोनों जगह आज एक दूसरे से अलग हो गयी बीच में कभी न मिटने वाली दिवार आ गयी।
यह रिश्तों की कौनसी परिभाषा है? जो माता पिता 10 बच्चे पल सकते है, वह दो भाई एक दूसरे का दर्द नहीं बाँट सकते, जबकि माँ पिता के बाद भाई और बहन से ही इंसान का पहला रिश्ता जुड़ता है, बाकि सब रिश्ते बाद में बनते है।
जिस परिवार को चलने के लिए हम अलग होते है, उन परिवार के मेंबर को भी सोचना चाहिए जो अपने माता पिता और भाई की भावनाओ को नहीं समझ सके वह उन्हें क्या समझेंगे। किसी के लिए किसी को छोड़ना, यह क्या रिश्ता है?
क्या सिर्फ दिखावा है, या वाकई यह सच्चे रिश्तें है?
यह भी पढ़े :- Teacher Student Relationship Short Moral Stories in Hindi
यह रिश्ता क्या कहलाता है? Bikharte Rishte Family Parivar Ki Kahani Moral Story in Hindi, Aaj Kal Ke Rishte, bhai bhai ka batwara