गीता नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद गीता को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली। गीता और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा।
दिन बीते, महीने बीते, साल भी बीत गया। न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न गीता जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। गीता को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी। गीता के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी।
एक दिन जब गीता का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई। गीता के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे। उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली:–
“आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी”
बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने गीता के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा:–
“बेटी, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला कर मार दोगी तो तुम्हें पुलिस पकड़ ले जाएगी और साथ ही मुझे भी क्योंकि वो ज़हर मैं तुम्हें दूंगा। इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा.”
लेकिन गीता जिद पर अड़ गई – “आपको मुझे ज़हर देना ही होगा..।
अब मैं किसी भी कीमत पर उसका मुँह देखना नहीं चाहती!”
कुछ सोचकर पिता बोले:– “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी! लेकिन मैं तुम्हें जेल जाते हुए भी नहीं देख सकता इसलिए जैसे मैं कहूँ वैसे तुम्हें करना होगा ! मंजूर हो तो बोलो ?”
“क्या करना होगा ?”, गीता ने पूछा!
पिता ने एक पुडिया में ज़हर का पाउडर बाँधकर गीता के हाथ में देते हुए कहा:–
“तुम्हें इस पुडिया में से सिर्फ एक चुटकी ज़हर रोज़ अपनी सास के भोजन में मिलाना है।
कम मात्रा होने से वह एकदम से नहीं मरेगी बल्कि धीरे-धीरे आंतरिक रूप से कमजोर होकर
5 से 6 महीनों में मर जाएगी. लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई.”
पिता ने आगे कहा:- “लेकिन तुम्हें बेहद सावधान रहना होगा ताकि तुम्हारे पति को बिलकुल भी शक न होने पाए वरना हम दोनों को जेल जाना पड़ेगा! इसके लिए तुम आज के बाद अपनी सास से बिलकुल भी झगडा नहीं करोगी बल्कि उसकी सेवा करोगी। यदि वह तुम पर कोई टीका टिप्पणी करती है तो तुम चुपचाप सुन लोगी, बिलकुल भी प्रत्युत्तर नहीं दोगी ! बोलो कर पाओगी ये सब ?”
गीता ने सोचा, छ: महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा!
उसने पिता की बात मान ली और ज़हर की पुडिया लेकर ससुराल चली आई।
ससुराल आते ही अगले ही दिन से गीता ने सास के भोजन में एक चुटकी ज़हर रोजाना मिलाना शुरू कर दिया। साथ ही उसके प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया। अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि क्रोध को पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती। रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती। सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती।
कुछ हफ्ते बीतते बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया। बहू की ओर से अपने तानों का प्रत्युत्तर न पाकर उसके ताने अब कम हो चले थे बल्कि वह कभी कभी बहू की सेवा के बदले आशीष भी देने लगी थी।
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए। गीता नियमित रूप से सास को रोज़ एक चुटकी ज़हर देती आ रही थी। किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था। सास बहू का झगडा पुरानी बात हो चुकी थी। पहले जो सास गीता को गालियाँ देते नहीं थकती थी, अब वही आस-पड़ोस वालों के आगे गीता की तारीफों के पुल बाँधने लगी थी। बहू को साथ बिठाकर खाना खिलाती और सोने से पहले भी जब तक बहू से चार प्यार भरी बातें न कर ले, उसे नींद नही आती थी।
छठा महीना आते आते गीता को लगने लगा कि उसकी सास उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह मानने लगी हैं। उसे भी अपनी सास में माँ की छवि नज़र आने लगी थी। जब वह सोचती कि उसके दिए ज़हर से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी तो वह परेशान हो जाती थी।
इसी ऊहापोह में एक दिन वह अपने पिता के घर दोबारा जा पहुंची और बोली:–
“पिताजी, मुझे उस ज़हर के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये
क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती!!
वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!”
पिता ठठाकर हँस पड़े और बोले:– “ज़हर ? कैसा ज़हर ? मैंने तो तुम्हें ज़हर के नाम पर हाजमे का चूर्ण दिया था… हा हा हा !!!”
“बेटी को सही रास्ता दिखाये, माँ बाप का पूर्ण फर्ज अदा करे”
जरूर पढ़ें :- अमरूद वाली बुढि़या और शर्मा जी ~ Inspirational Story!
English Summery:- Saas Bahu Moral Story in Hindi, Mother in Law, Daughter in Law Very Moralful Stories in Hindi Read and Share With Friends and Family on Facebook and Whatsapp, Gyanvardhak Kahaniyan Hindi Main