उस समय फ्रांस के महान विजेता नेपोलियन एक साधारण सैनिक थे। वह बेहद मेहनती और अपने काम के प्रति समर्पित थे। एक दिन राह में एक ज्योतिषी कुछ लोगों का हाथ देख रहे थे।
नेपोलियन भी वहां रूक गए और अपना हाथ ज्योतिषी के आगे कर दिया। ज्योतिषी काफी देर तक हाथ पढ़ता रहा और अचानक उनका चेहरा उदास हो गया। उसके मनोभावों को नेपोलियन समझ गए और बोल:-
‘क्या हुआ महाराज? क्या मेरे हाथ में कोई अनहोनी बात लिखी है! जिससे आप चिन्तित हो गऐ है।’
ज्योतिषी ने अपनी गर्दन मोड़ी और बोला ‘तुम्हारे हाथ में आयु रेखा ही नहीं है ‘में यही देखकर चिन्तित था।
जिसके हाथ में भाग्य रेखा ही न हो उसका भाग्य प्रबल कैसे हो सकता है?
ज्योतिषी की बात सुनकर नेपोलियन दंग रह गए। वह बहुत ही महत्वाकांक्षी थे उन्होंने ज्योतिषी की बात से बहुत आघात पहुंचा। वह ज्योतिषी से बोले ‘महाराज, मैं अपने कर्म से अपना भाग्य ही बदल दूंगा।
जीवन हाथ की रेखाओं पर नहीं, कर्म की रेखा पर निर्भर करता है। हमारे सद्कर्मो की रेखा जितनी बड़ी होगी, सफलता भी उसी हिसाब से मिलेगी।’ज्योतिषी बोले ‘बेटा, काश तुम्हारी बात सच साबित हो।’
नेपोलियन को अपने अदम्य साहस और खुद पर पूरा विश्वास था। इसलिए उन्होंने तय कर लिय कि जो सफलता उनके भाग्य में नहीं है, इसे वे कर्म के बल पर मेहनत से पाकर दिखाएंगे। और सचमुच अनेक कष्टों का सामना करते हुए नेपोलियन एक साधारण सैनिक से सम्राट बनें।
उन्होंने कर्म से भाग्य लेखा को कर्म रेखा में बदला और दुनिया को एक नई दिशा प्रदान करते हुए दिखा दिया कि कर्म की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती।
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