• ईख (गन्ना) का स्वरस पीना कामला रोग (पीलिया Jaundice) में अत्यधिक लाभप्रद है।
• ईख (गन्ना) कफकारक और गुड़ वात और कफ नाशक है। गुड़ खाकर जल पीने से पित्त शांत होता है।
• गुड़ से बना शरबत पीने से लू की बैचैनी शांत हो जाती है।
• तीव्र ज्वर में गुड़ के साथ ताजा तक्र पीने से ज्वर का वेग धीरे-धीरे शांत हो जाता है। इस प्रयोग से रोगी ज्वर रहित हो जाता है।
• प्रसूता स्त्री को गुड़ 5 तोला और सौंठ 1 माशा नित्य घृत के साथ खिलाकर गरम दूध पिलाने से गर्भाशय का दूषित स्त्राव खुलकर बाहर निकल जाता है। 40 दिनों के नियमित प्रयोग से गर्भाशय पूर्णत: स्वच्छ व शुद्ध हो जाता है।
• गुड़ 5 तोला, हल्दी 1 माशा, सौंठ 1 माशा, जल 20 तोला का गरम पेय बनाकर पीने से उर:क्षत ( हीमोप्टाइसिस – छाती का एक भयंकर रोग है जिसमें छाती के अन्दर फेफड़ों में घाव हो जाता है।), वातज, पित्तज, कफज कास नष्ट हो जाते हैं।
• गुड़ 5 तोला, हल्दी 1 माशा, सौंठ 1 माशा, जल 20 तोला का गरम पेय बनाकर पीने से उर:क्षत, पातज, पित्तज, कफज कास नष्ट हो जाते है।
• गुड़ और चना सममात्रा में पीसलें। इसका लेप करने से गुलगन्ड और कर्णमूल शोथ (कनफेड़े) में लाभ होता है।
• गुड़ 5 तोला और हरड़ डेढ़ माशा को सोते समय नित्य प्रति (रात्रि को) गरम जल से सेवन करने से गैस का विकार दूर होकर वायु अनुलोम होती है।
• हल्दी व गुड़ गरम दूध में घोलकर पीने से चोट का दर्द और सूजन मिट जाती है।
• आँखों में लाली और दर्द होने पर गुड़ और खाने वाला गीला चूना मिलाकर आँखों के पास (कनपटी पर) लगाना अत्यन्त लाभकारी है।
• गुड़ और तिल के लड्डू खिलाने से बच्चों का बहुमूत्र रोग और सोते हुए विस्तर पर ही मूत्र करने की आदत मिट जाती है।
नोट- गुड़ वलवीर्य वर्घक, भारी, स्निग्ध, वात नाशक, मूत्र शोधक, पित्त नाशक मेद, कफ, कृमि नाशक और बल बढ़ाने के गुणों से भरपूर होती है। पुराना गुड़ हल्का पथ्य, अनभिष्यन्द, अग्नि प्रदीप्त करने वाला, पित्त नाशक, मधुर, पोषक, वातनाशक और रक्तशोधक होता है। नया गुड़ कफ, श्वास, खाँसी, कृमि और अग्नि बढ़ाने वाला होता है। नया गुड़ सेवन योग्य नहीं होता है। पुराना गुड़ (कम से कम एक साल पुराना) ही सेवनीय होता है।
• अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ और खांसी का नाश हो जाता है।
• हरड़ के साथ गुड़ खाने से पित्त का शमन हो जाता है।
• सौंठ के साथ गुड़ खाने से समस्त वात रोगों को नष्ट होता है।
• भोजन के साथ थोड़ा सा गुड़ खाने से आहार में पित्त कारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। श्वास-कास, हृदय रोग, अजीर्ण, रक्तविकार मिटते हैं। कामला, जीर्ण ज्वर में पुराना गुड़ उत्तम पथ्य और सुखावह औषधि है। गरम जल, ताजी जल, गरम दूध, फलों के रस तक के साथ गुड़ का सेवन करना उचित है।
• सूखी खॉंसी, विकलता, हृदस्पंदन वृद्धि, मुखशोष और गले की खराश में मिश्री मुख में रखकर चूसना अत्यन्त लाभकारी है।
• धूप की विकलता और मार्ग चलने की थकान शक्कर का शीतल शरबत पीने से तत्काल मिट जाती है।
स्रोत:-
डॉ. ओमप्रकाश सक्सैना ‘निडर’
(M.A., G.A.M.S.) युवा वैद्य आयुवैंदाचार्य जी की पुस्तक से
अतिरिक्त जानकारी:-
• गन्ने का रस एक 100 नैचुरल ड्रिंक है जिसमें किसी तरह कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। हालांकि इसमें थोड़ा फैट, फाइबर और प्रोटीन की मात्रा होती है। गन्ने का रस में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसी पोषक पाए जाते हैं।
• अध्ययनों से पता चला है कि गन्ने के रस में मौजूद पॉलीफेनोल्स, हाई एंटीऑक्सीडेंट और एंटी कैंसर गुण होते हैं। यही वजह है कि गन्ने के रस में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है।
• अगर आपका पाचन तंत्र कमजोर है, तो आपको गन्ने का रस पीना चाहिए। गन्ने के रस में मौजूद पोटैशियम पेट में पीएच लेवल को संतुलित करता है। गन्ने का रस पीने से व्यक्ति हाइड्रेटेड रहता है और नियमित मल त्याग में मदद मिलती है। यह पेट के संक्रमण को रोकने में भी मदद करता है।
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