“वो ज़माना अच्छा था” – Renuka Kapoor

“वो ज़माना अच्छा था”
गर्मी की छुट्टियां, बिजली का चले जाना
गली के नहीं पुरे मोहल्ले के दोस्तों का
एक आवाज़ मैं चिल्लाना अच्छा था,
अब कहाँ वो दिन दोस्तों,
वो ज़माना अच्छा था,
वो छुप्पन छुपाई, कब्बड्डी, रस्सा, खो खो खेल देखे ज़माना हो गया
बहार के खेल कम न थे !!
पर घर घर खेलने के लिए, दोस्तों का बुलाना अच्छा था
वो ज़माना अच्छा था,
खेल घर पर हो या बहार का
शोर बहोत था बच्चो का ,
वो अंकल आंटी मम्मी पापा का डांट लगाना अच्छा था
सावन के मौसम में एक ही पेड़ के झूले में !!
पुरे मोहल्ले के बच्चो को बारी बारी झूलना अच्छा था
वो ज़माना अच्छा था,

अब कहाँ वो दिन
जब फिफ्टी परसेंट पर खुश हो जाना
फर्स्ट आने की कोन सोचे
सिर्फ पास हो जाना ही अच्छा था
वो चतमोला, सतमोला, मीठा चूरन को छुप कर खाना अच्छा था
बहोत कुछ छूट गया हैं बताना
वो मेरा घर, वो मेरा बचपन, मेरा सहेली
वो मेरा आँगन
सच है वो ज़माना अच्छा था !!

Renuka Kapoor Delhi

लेखिका:- रेणुका कपूर, दिल्ली
[email protected]

Click Here to Read More Articles By Renuka Kapoor



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!